स्वाधीनता के 70वें मंगल प्रभत के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से हजारों सुरक्षा सैनिकों की पलकों के साये में खड़े होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आज तक के रिकार्ड तोड़ भाषण के आखिर में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि किस तरह आतंकवाद को लेकर भारत और पड़ोसी देश के नजरिए में फर्क है। उन्होंने कहा कि पेशावर के स्कूल में जब आतंकियों ने मासूम बच्चों को मारा तो भारत में शोक छा गया, लेकिन यहां जब आतंकी बेकसूरों को मारते हैं तो वहां (पाकिस्तान में) जश्न मनाया जाता है। उन्होंने अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान के लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं वहां के लोगों को धन्यवाद देता हूं कि ये लोग मेरी तारीफ करते हैं। यह मेरी नहीं पूरे देश की तारीफ है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में गांव, गरीब, किसान और नारी शक्ति का खासतौर पर जिक्र किया। महंगाई पर पीएम ने कहा, ''अकाल के बाद भी दाल, सब्जी के दाम ज्यादा नहीं बढ़े। मैं गरीब की थाली महंगी नहीं होने दूंगा।''प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार लाल किले से 94 मिनट तक भाषण दिया। यह लाल किले से स्वतंत्रता दिवस का सबसे लम्बा भाषण रहा। पिछली बार उन्होंने 86 मिनट 10 सेकंड का भाषण देकर पंडित जवाहर लाल नेहरू के 1947 में दिए 72 मिनट के भाषण का रिकॉर्ड तोड़ा था। खत्म की। लाल किले की प्राचीर से मोदी ने कहा कि फ्रीडम फाइटर्स के परिवार को 30 हजार की सम्मान राशि दी जायेगी। उन्होंने कहा कि 'देश में स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा है। आज सभी मेरे श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को जो सम्मान राशि मिलती है, उसमें 20% की वृद्धि का एलान करता हूं। अगर किसी को 25 हजार रुपए महीना मिलते थे, उसकी जगह अब 30 हजार रुपए मिलेंगे।'उन्होंने बीमार गरीब के इलाज का साल में एक बार एक लाख रुपये तक का खर्च सरकार उठायेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने परिचित जोशीले अंदाज में कहा कि , "हम टालना नहीं, टकराना जानते हैं। जब तक हम समस्याओं को सामने रखकर भिड़ते नहीं हैं, समस्याएं नहीं सुलझती हैं। उनके इस वाक्य से उम्मीद जगी कि वे अब कश्मीर का संदर्भ उठायेंगे और पाकिस्तान को ललकारेंगे। लेकिन उन्होंने बात की दिशा मोड़ कर कहा कि कि ‘‘कई साल से वन रैंक-वन पेंशन का मामला टल रहा था। अब हमने इसे स्वीकार करके हर जवान के घर खुशहाली पहुंचा दी।'' प्रधानमंत्री ने अपने जोशीले अंदाज में ही कहा कि ‘‘वेद से लेकर विवेकानंद तक , उपनिषद से लेकर उपग्रह तक सुदर्शनधारी मोहन से लेकर चरखाधारी मोहन तक भीम से लेकर भामराव तक भारत का एक पुरातन इतिहास रहा है। ’’ प्रधानमंत्री ने बंगलादेश सीमा विवाद की बात की लेकिन चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं को नजर अंदाज कर गये। यज्कि जिक्र जिस लहजे और अंदाज में उन्होंने किया वह साफ साफ चुनाव का संदेश था एक वादा था जैसा कि चुनाव में अक्सर किया जाता है। उन्होंने कहा कि
''गन्ना किसानों का बकाया यूपी में हमेशा सुर्खियों में रहता था। हजारों करोड़ का बकाया रहता था। हमने 99.5% बकाया चुकता कर दिया। बाकी भी आने वाले वक्त में चुका दिया जाएगा।''
अपने भाषण में सियासत की छौंक लगाते हुये प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि ''लोकतंत्र में अहंकार नहीं चलता। इसलिए हमने पुरानी सरकार के काम को भी उतनी ही तवज्जो दी है। मैं हर महीने खुद रिव्यू करता हूं। हमने पिछली सरकारों द्वारा शुरू किए गए 10 लाख करोड़ रुपए के 270 ऐसे प्रोजेक्ट आइडेंटिफाई किए, जो अटके पड़े थे। इन्हें फिर शुरू किया गया।''
मोदी जी ने ''रिफॉर्म-परफॉर्म-ट्रांसफॉर्म पर काम किया है। हमें सरकार और दल की पहचान से ज्यादा देश की पहचान की फिक्र है। देश की पहचान बनेगी तो आने वाली पीढ़ियों तक लाभ मिलेगा।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि नसीहत देने के अंदाज में कहा कि एकता का मंत्र हमारी जड़ों से जुड़ा हुआ है यहां 100 से ज्यादा भाषाएं हैं और हजारों बोलियां है, यही बड़ी विरासत हैआतकंवाद की राह पर जाने वालों को आखिर में कुछ नहीं मिला। हिंसा और अत्याचार की हमारे देश में कोई जगह नहीं हैयह देश आतंकवाद और माओवाद के सामने नहीं झुकेगा गलत राह पर गए नौजवानों से सही राह पर आने की अपील करता हूं।अपने पूरे भाषण में हालांकि प्रधानमंत्री ने नीति की कोई बात नहीं की पर यकीनन उन्होंने नीयत की बात की और यह तारीफ के काबिल है।
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