CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Tuesday, August 23, 2016

भारत का गुस्सा कायम है

पाकिस्तान ने भारत को बातचीत का न्यौता दिया है। भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने साफ कह दिया कि ‘बातचीत केवल कश्मीर की ताजा समस्या के दायरे में होगी तब तो आमंत्रण स्वीकार है।’ उन्होंने पाकिस्तान के ‘आत्मलाभ के आरोपों’ को खारिज कर दिया। विदेश सचिव ने स्पष्ट कहा कि वे इस मसायल पर बात करना चाहते  पाकिस्तान भारत की कब्जा की हुई जमीन को कितनी जल्दी खाली करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का कश्मीर पर कोई हक नहीं बनता है वह भारत का अभिन्न अंग है। इसबीच चर्चा तो यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवम्बर में होने वाले सार्क सममेलन में भाग न लें। हो सकता है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली भी उस सम्मेलन मे शरीक होने पाकिस्तान नहीं जाएं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह अभी तय होना बाकी है कि उस सममेलन में जाने वाले ग्रुप का स्तर क्या होगा। कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के नेता बुरहान वानी के मारे जाने के बाद वहां के बदले हालात को पाकिस्तान भुना रहा है ओर दुनिया भर में इस मसले को उठाता चल  रहा है। इससे भारत को बाध्य होकर पाकिस्तान का जवाब देना पड़ रहा है कि कैसे पाकिस्तान भारत के हालात को अपने लाभ के लिये इस्तेमाल कर रहा है और भारत विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस के अपने भाषण में बलोचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचार का जिक्र किया। अबसे पहले भारत के किसी नेता ने इेसा नहीं कहा था। पाकिस्तान ने मोदी जी कभाषण पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है और कहा है कि यह अति (रेड लाइन) है। विदेश मंत्रालय ने हालांकि बलोचिस्तान को भारत की विदेश नीति में शामिल होने प्रश्न से इंकार किया है और कहा है कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी लाल किले की प्राचीर से कहा है वह इसके पहले कई और नेताओं ने भी कहा है। बस अंतर केवल यह है कि उन्हें इस बारे बहुत संदेश प्राप्त हुये और इसके कारण उन्होंने बलोच जनता के दुख के प्रति  भारतीयो की संवेदना को जाहिर करने का फैसला किया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि बलोचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के बहुत से लोगों प्रधानमंत्री को संदेश भेज कर धन्यवाद दिया कि उन्होंने 12 अगस्त को सर्व दलीय बैठक में उनका मसला उठाया। कुछ दिन पहले पाकिस्तान के विदेश सचिव ने भारत के विदेश सचिव को कश्मीर पर वार्ता के लिये निमंत्रण भेजा था। पाकिस्तान के अनुसार समस्या का मूल यही है। गत 16 अगस्त को भारतीय विदेश सचिव का पत्र पाकिस्तान में भारतीय हाई कमिशनर गौतम बम्बवाले ने गत 17 अगस्त को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को सौंपा , जिसमें साफ कहा गया था कि कश्मीर में पाकिस्तान अपनी सीमा के भीतर से आतंकवाद को बढ़ावा देना रोके।  जयशंकर ने अपने पत्र में पाकिस्तान को लिखा है कि वह उस पार से कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा ना दे, वह वहां सक्रिय आतंकवादियों को सजा देने का काम रोके नहीं और साथ ही पाकिस्तान में भारत से भागे आतंकियों और अपराधियों को शरण नहीं दे और पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग शिविरों को तत्काल बंद करे। हाल में पाकिस्तान में ट्रेंड आतंकी बहादुर अली को कश्मीर में गिरफ्तार किया गया और वह अभी नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी की हिरासत में है। उसने बताया कि किस तरह से पाकिस्तानी फौज लश्कर-ए­-तैयबा के लोगों को कश्मीर में घुसने ओर कश्मीरियों में घुल मिल कर यहां के सुरक्षा ठिकानों पर हमला करने की ट्रेनिंग देती है। कश्मीर में अभी चालू गड़बड़ी के दोरान कई बार सुरक्षा बलों पर हथगोलों और ऑटोमेटिक हथियारों से हमला किया। सरकार का मानना है कि पाकिस्तान की आई एस आई लश्कर-ए – तैयबा ओर हक्कानी ग्रुप से तालमेल बनाये हुये है। अतीत में भी भारत ने पाकिस्तानी आतंकियों के कई हमले झेले हैं। कुछ साल पहले मुम्बई हमला और हाल में पठानकोट हमला इसका उदाहरण है। इनके हमलावर पाकिस्तानी आतंकी थे और हाल में अफगानिस्तान में भारतीय संस्थाओं पर हमले में भी पाकिस्तानी आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के हाथ का सुराग मिला है। अपने पत्र में जयशंकर ने यह रेखांकित किया है मुम्बई और पठान कोट पर हमला करने वालों को सजा दी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि अगर वे पाकिध्सतान जाते हैं तो वार्ता के दौरान पाकिस्तान के विदेश सचिव से उपरोक्त मसलों पर स्पष्ट बातें सुनना चाहते हैं। विदेश सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि 1947 और 1965 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा पर हमला किया। 1999 में पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर कारगिल पर हमला किया। उन्होंने लाहौर घोषणा का भी जिक्र किया  और कहा कि उसमें जनरल परवेज मुशर्रफ ने भी आश्वासन दिया था कि भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई में पाकिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल नहीं करने दिया जायेगा।  लेकिन विश्लेषकों का मत है कि भारत का यह प्रयास सफल नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को अपनी विदेशनीति का अंग बना चुका हे। उसका यह सलूक केवल भारत के साथ ही नहीं है। हाल में बंगलादेश के सूचनामंत्री ने भी आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान को चेताया है। पाकिस्तान की इस मंशा को सारी दुनिया जानती है। लेकिन इस बार अंतर केवल इतना है कि भारत का गुस्सा कायम है

0 comments: