संसद से बहुप्रतीक्षित जी एस टी बिल पास हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खबर के साथ कहा कि इसके साथ ही टैक्स आतंकवाद का खात्मा हो गया। कुछ लोग इसे आजाद भारत का सबसे ‘बोल्ड’ आर्थिक सुधार बता रहे हैं। इसे लागू करने में क्या व्यवहारिक दिक्कतें आयेंगी यह तो आने वाला वक्त बतायेगा फिर आंकड़े सकारात्मकता की ओर इशारे कर रहे हैं। केंद्र सरकार , राज्य सरकारों और केंद्र शासित राज्यों के कुल 22 लाख करोड़ के 42 प्रतिशत टैक्स जीएसटी में मिला दिये गये हैं। केंद्र और राज्यों के 15 करों को जिसमें अधिभार से लेकर फाटकेबाजी तक पर लगने वाले करों को शामिल किया गया है। इसे 1 अप्रैल 2017 से लागू करने का कार्यक्रम है। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि जी एस टी की दर क्या होगी पर उम्मीद है कि 17 या 18 प्रतिशत के आसपास हो सकती। इसके बावजूद इसे लागू करना कठिन प्रतीत होता है क्योंकि इसमें केंद्र ओर राज्य सरकारों के विभिन्न प्राधिकारों को एक साथ ऑन लाइन लाना होगा।यहां जरा कठिन कार्य है पर लागू करने का ढांचा तैयार हो चुका है। बस एक कमी है कि इसके लिये केंद्र और राज्यों के कर प्राधिकरण के स्टाफ को नयी पद्धति के लिये तैयार करना होगा, उन्हें ट्रेंड करना होगा साथ ही उनका माइंड सेट भी बदलना होगा। जी एस टी कौंसिल केंद्र और राज्यों के बीच करों को तय करेगा, उनमें रियायत को तय करगा और अन्य प्रावधानों की व्यवस्था करेगा। यह नया बदलाव आम उपभोक्ता को प्रभावित करने के साथ-साथ बड़ी कंपनियों से लेकर गांव कस्बों में चल रहे छोटे कारखाने और उत्पादों को भी प्रभावित करेगा। इस नयी प्रणाली से जितनी उलझन आम दुकानदार को होगी, उतनी ही परेशानी बड़े-बड़े कर अधिकारियों को भी हो सकती है। इसे ‘वन इंडिया वन टैक्स’ का नारा दिया गया है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हैं कि एक टैक्स है या समान टैक्स लगाने की नयी प्रणाली लाई जा रही है। यह बड़ा तकनीकि मामला है लेकिन आम जनता को भी इसका सामना करना ही पड़ेगा। सबसे मुश्किल है कि जी एस टी उस छतरी की तरह है जिसमें कई कमानियां हैं अब उन कमानियों के बारे में जानाना जरूरी होगा। जी एस टी के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि यह राज्यों की संप्रभुता का आत्मसमर्पण नहीं है बल्कि केंद्र और राज्य मिलकर पहले से बेहतर और आधुनिक कर प्रणाली की दिशा में बढ़ रहे हैं। जिससे ज्यादा राजस्व पैदा होगा और अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार बढ़ेगी। जीएसटी के कारण भारत में उत्पादों की आवाजाही पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगी। कर चोरी बंद हो जाएगी। प्रधान मंत्री ने कहा कि टैक्स आतंकवाद खत्म हो जायेगा। यही मूल पश्न है कि क्या इससे टैक्स की चोरी रुक जायेगी। इंस्पेक्टर राज खत्म हो जायेगा और टैक्स पर टैक्स लगने का दौर समाप्त जाएगा। केंद्र में प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ सेंट्रल जीएसटी जैसे पद होंगे तो राज्यों में स्टेट जीएसटी कमिश्नर होगा। इसके लिए अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू भी हो चुका है। केंद्र सरकार को दो जीएसटी कानून बनाने हैं। राज्य सरकारों को अपने अपने यहां स्टेट जीएसटी कानून पास करवाना होगा। लेकिन उससे पहले इन तीनों कानूनों के ड्राफ्ट पर जीएसटी काउंसिल में चर्चा होगी। कांउंसिल में चर्चा के बाद उस पर मतदान होगा और उसमें एक तिहाई मत राज्यों का होगा। साथ ही, उसमें केंद्र पर राज्यों का और राज्य पर केंद्र का वीटो होगा। हालांकि इसकी कोई तारीख नहीं तय की गयी है पर वित्त मंत्री का कहना है कि जैसे ही ढांचा तय हो जायेगा वैसे ही उसे लागू कर दिया जायेगा हलांकि उसे 1 अप्रैल 2017 से लागू करने की योजना है पर जानकार लोगों का कहना है कि इस तिथि तक यह नहीं हो पायेगा। गैर भाजपा और गैर कांग्रेस दलों ने राज्यों के अधिकार को लेकर सवाल उठाए हैं। अभी इस तथ्य के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि दुनिया के जिन देशों में जी एस टी लागू हुआ है वहां की आर्थिक स्थिति क्या है। भारत में नई प्रणाली है। इसके नवीन अनुभव होंगे और समय के साथ सुधार होता चलेगा। इतना बड़ा बदलाव एक बार में तो सभी खूबियों को समेट नहीं सकता है। लेकिन जो गुण- दोष पर चर्चा तो हो ही सकती है।
Tuesday, August 9, 2016
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