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Wednesday, April 19, 2017

विजय माल्या की गिरफ्तारी

विजय माल्या की गिरफ्तारी 
विजय माल्या को मंगलवार को भारतीय समय के अनुसार दो पहर बाद तीन बजे ( लंदन समय 9.00) बजे लंदन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और कुछ ही घंटों के बाद वेस्टमिनिस्टर कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया। लंदन पुलिस के प्रवक्ता के अनुसार उसे भारत सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था। भारत सरकार ने उसे प्रत्यर्पण संधि के अंतर्गत गिरफ्तार कर भेजने की मांग की थी । उसपर भारत में धोखाधड़ी का गंभीर आरोप है।भारत सरकार ने उसे गिरफ्तार कर वापस करने की मांग गत वर्ष 3 मार्च को किया था और 2 मार्च को वह वहां से अपने पूरे साजो सामान के साथ दिन दहाड़े लंदन के लिए उड़ गया था।उसपर 9091 करोड़ रुपये का बैंक का कर्ज है। भारत सरकार ने ब्रिटिश हाई कमीशन से उसे गिरफ्तार करने की मांग की थी और ब्रिटिश परराष्ट्र सचिव ने पिछले महीने उस मांग को मंजूरी दी। माल्या पर भर\त में ऐसे कई मामले हैं।  यहां तक किपिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन के एक मामले में गैर जमानती वारंट जारी किया था।यह पहला मौका नहीं है जब कानून से भागा एक आदमी लदान में आकर मज़े करता है। दरअसल , लंदन भगोड़े अपराधियों , कानून से बचने वाले ऐय्याशों और आतंकियों का अड्डा है। पिछले कई दशकों से अपराधी या भगोड़े अपनी दौलत के साथ लंदन में आकर जाम जाते हैं और मौज करते हैं। यह जान कर दांतों तले उंगली दबा लेंगे कि भारत ने ब्रिटेन में छिपे 131 लोगों पर प्रत्यावर्तन का मुकदमा किया हुआ है। इनमें से प्रमुख हैं विजय माल्या, ललित मोदी, रवि शंकरन , 1993 में गुजरात बेम कांड के नायक टाइगर हनीफ , नदीम सैफी , रेमंड वार्ली , लार्ड सुधीर चौधुरी, खालिस्तान आंदोलन से जुड़े कई लोग और लिट्टे और आई एस आई एस के कई आतंकी वगैरह। भारत और इंग्लैंड में 1993 में ही प्रत्यर्पण संधि हुई थी पर आज तक एक भी व्यक्ति वहां  से लाया नही जा सका। 
अब जहां तक विजय माल्या का मसला है अव्वल तो उसे लाया नहीं जा सकेगा और ले भी आया गया तो वह ब्रिटिश  पारस्परिक कानूनी सहायता समझौता के तहत लाया जाएगा। इसके बाद उसपर वर्षों मुकदमा चलेगा। वह 2 मार्च 2016 को यहां से भागा था। उस समय मोदी जी का भ्रष्टाचार विरोध का रेटोरिक पूरे ताप पर था और माल्या सी बी आई कि निगाह में था। तब वह 80 अदद सामान लेकर मोदी जी के भ्रष्टाचार अभियान को ठेंगा दिखाकर  खुल्लम खुल्ला हवाई जहाज़ से भाग निकला। मंगलवार को जब उसे पकड़ा गया तो " भक्त मीडिया" घंटा भर  तक चिल्लाती रही कि " माल्या पकड़ा गया।" उसकी भाषा और उसकी स्टाइल 2019 के चुनाव की मोदी जी की तैयारी की स्क्रिप्ट की तरह थी। क्या विडंबना है कि मोदी जी भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं साथ ही कारपोरेट ऋण माफ भी करते चल रहे हैं वे इसे यू पी ए के 10 साल के शासन की देन बताते हैं। यहां तक कि इस ऋणमाफी पर सुप्रीम कोर्ट को भी पसीना आ गया था। 1 लाख 14 हज़ार करोड़ का कर्ज माफ किया गया है । ऐसे में माल्या ने जाने क्यों भा ज पा और सरकार के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। यह तो तय है कि भा ज पा 2019 के  चुनाव की तैयारी में है  और यू पी में बहुमत हासिल करने के बाद मोदी वर्तमान भारत के सबसे ताकतवर नेता माने जा रहे हैं। ऐसे माल्या की कथा में उसे वापस लाना एक तरह से क्लाइमेक्स होगा और चुनाव प्रचार का सबसे दिलचस्प बतरस होगा। लेकिन यह आसान नही है। इसमें ब्रिटिश अदालत से लेकर भारतीय कचहरियों के बीच कई पेच- ओ - खम हैं, कई भूल भुलैया हैं जिसमें मामला घूमता रहेगा। माल्या का अखडपं और मोदी जी से बेपरवाही ने उसे इस पार्टी के लिए बेशकीमती राजनीतिक दौलत बना दिया है। माल्या को लाया जा सकेगा या नही यह ज्यादा मायने नही रखता बल्कि वह कथा और उससे जुड़े अवांतर तथ्य 2019 के चुनाव मोदी जी के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ दे सकती है।

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