CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Monday, April 17, 2017

पाकिस्तान के जासूसी का यह कौतुक

पाकिस्तान के जासूसी का यह कौतुक 
हरिराम पाण्डेय 
भारत बलूचिस्तान पर दबाव बढ़ाने की तैयारी में है और यह तय है कि इस क्षेत्र में कई और निर्दोष लोग भारत  के जासूस होने के आरोप में पकड़े जाएंगे। रविवार को पांच लोग रॉ का जासूस होने के आरोप में धरे गए, इसके पहले कुलभूषण जाधव का मामला गर्म हो चुका है आने वाले दिनों में इसतरह की और कहानियां सुनने को मिलेंगी। जो राष्ट्र अलग थलग पड़ जाते हैं वे जासूसी का खेल खेलते हैं। शीत  युद्ध के जमाने में अक्सर जासूसी कथाएँ सुनने को मिलती थीं। ये कथाएं कई उपन्यासों और फिल्मों के कथानक का आधार बनी थीं। ये हथकंडे समाज में सनसनी पैदा करने की गरज से की जाती हैं। तोड़ फोड़ या विध्वंस से इनका कोई लेना देना नही होता। भारतीय उप महाद्वीप भी इस खेल का मैदान हुआ करता था। यह एक तरह से यह एक तरह से प्रचार युद्ध का आयुध हुआ करता था। आज भी अपने क्षेत्रीय हालात और वातावरण को देखते हुए इस तरह की कथाएँ कही जाती हैं तो लोग वैचारिकता और तर्क को तक पर रख कर विश्वास कर लेते हैं। यह स्थिति बारात और पाकिस्तान दोनों के जन समुदाय की है। पाकिस्तान को इसमें महारत हासिल है और वह जानता है कि भारत के गौरव को आघात पहुंचाने वाली कथा उसके देश में सही मान ली जाएगी और इसासे उसे रणनीतिक लाभ होगा। 
अब जाधव का ही मामला देखें। वह भारतीय नौ सेना का पूर्व अफसर रहा है और उसे चाहबहार से पिछले 3 मार्च 2016 को उठा लिया गया था। जिस समय उस्काएफरण किया गया उस समय कही कोई सनसनी नही हुई क्योकि कहानी अभी पूरी पाकी नही थी और सुनने में हास्यस्पद लगती थी। अब जबकि उसे मौत की सजा दी गई और पाक सेनाध्यक्ष ने उसकी मंजूरी दे दी तो लगने लगा बहुत बड़ी अराजक स्थिति होने वाली थी। उसे और सनसनीखेज बताने के लिए कूटनयिकों  के मिलने पर पाबंदी लगा दी गई। उसपर दुश्मन के अफसर का मुलम्मा लगाकर पाकिस्तान सैन्य कानून के तहत मौत की सजा सुना दी गई। कानून तो यह है कि जिन लोगों पर जासूसी के आरोप होते हैं उन पर सैनिक अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जाता पर पाकिस्तान तो विवेकहीनता की पैदाइश है और अविवेकी स्थिति में कायम है।
इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनकी जांच ज़रूरी है। पहला कि क्या सचगमुच सज़ा दी जाएगी दूसरा कि यदि सज़ा दी जाती तो भारत क्या कर सकता है? तीसरा जाधव की गिरफ्तारी और उससे दुर्व्यवहार के कारणों की जांच और उसकी समसाम्यता की पड़ताल। कई लोग यह मानते हैं कि एक तरह से दादागीरी है। इस विश्लेषण का आखरी हिस्सा इस यकीन को बल देता है पर वहां पहुंचने के पूर्व इसके विश्लेषण के पहले हिस्से को जानना होगा। क्या सचमुच सज़ा दी जाएगी या जैसा कि बहुत लोग कह रहे हैं उसे सजा दी जा चुकी है। ताज़ा जानकारी के अनुसार कूटनयिक से मुलाकात की अनुमति दी गई हैयह केवल इस लिए की यह साबित हो जाय कि जाधव जीवित है। लेकिन उसे कोई राहत दी जाएगी ऐसा संभव नही लगता। ऐसा तभी हो सकता था जब नेपाल से गायब हुए आई एस आई का अफसर भारत की गिरफ्त में हो।देश को उम्मीद है कि वह ज़रूर भारत के कब्जे में होगा। लेकिन अगर ऐसा नही होता है तो जाधव को राहत मिलने की डोर डोर तक उम्मीद नहीं है।
हममे से बहुतों को याद होगा कि जब कमर बाजवा पाक सेनाध्यक्ष हुए थे तो तो कई भारतीय विश्लेषकों ने कहा था कि वे बहुत समझदार फौजी हैं और गलत इरादे से कोई काम नहीं करते। यह उनकी ब्रांडिंग कुछ ज्यादा ही कर  दी गई थी। आने वाले दिनों में वे इस तरह के और कई अतार्किक और विवेकहीन काम करेंगे। क्योंकि वह मुतमईन है कि फिलहाल भारत हमला नहीं कर सकता। भीरु होने और सैन्य क्षमता की हानि पर मर्सिया पढ़ने तथा बात बेबात पर जंग लड़ने के उद्धत राष्ट्रवाद के मध्य ऐसे बौद्धिक विश्लेषण का अभाव है जो यह बता सके कि भारत की सहन सीमा क्या है। इस तरह का डर उसे क्यों नही होता कि 130 करोड़ जनता की 13 लाख फौज भारत कजे हितों की हिफाजत बखूबवी कर सकती है और फिलहाल एह बस छोड़ रही है।
यहां फिर वही सवाल कि चाहे जाधव उसकी कैद में हो या उसे सजा दी जाय तो भारत क्या करेगा?  किसी भी देश को एक सीमा तक ही दबाया जा सकता है और भारत  में धैर्य है तथा वह ऐसी कई गुस्ताखियां बर्दाश्त कर सकता  है। वह अपनी जनता की आलोचना भी झेल सकती है। लेकिन कोई यह नहीं जान सकता कि बर्दाश्त की यह हद कहां खत्म होगी। इसने 26/11 का जवाब नही दिया पर राजनीतिक तौर पर लंबे अरसे तक शांति प्रक्रिया बंद रही। जाधव मामले में भी राजनीतिक- राजनयिक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। पहले चरण के तहत वीसा दिया जाना सीमित कर दिया गया। यह जवाब का एक सिरा है और इसका आखरी सिरा युद्ध है। कोई नही कह सकता कि सरकार कब आखरी रास्ता अख्तियार कर लेगी। पाकिस्तान तो यह मान कर चल रहा है कि भारत बातचीत नही चाहता इसलिए उसकी कारस्तानी का कोई खास जोखिम नही है। फौजी कार्रवाई  की सूरत में भी राजनयिक सलाह देते देखे जाते हैं। लोगों को यह तो बताना ही पड़ता है कि आखिरी रास्ता तुरत नहीं अपनाना चाहिए। आकलन एक सही तरीका है जो सेना और कई अन्य क्षेत्रों को मिला कर किया जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं समाझनाचाहिये  कि अंतिम सैन्य विकल्प इस समरनीति का हिस्सा नही होता। जंग तभी होनी चाहिए जब अपना राजनीतिक और रणनीतिक उद्देश्य पूरे होने की शत  प्रतिशत गारंटी हो।  पाकिस्तान जो यह उकसाने का काम कर रहा है  वह उसकी फौजी ताकत में बदलाव की निशानी है। पाकिस्तान कुछ नए साजो सामान खरीद कर इस मुगालते में है कि उसके पास बहुत ताक़त है। वह समझने लगा है कि चीन और रूस से मिल कर उसने अफगानिस्तान में भारत को किनारा कर दिया चीन - पाक आर्थिक कॉरिडोर के शुरू हाने को लेकर उसका वहम और बढ़  गया है। 
जब जाधव का अपहरण हुआ तो यह बताया गया था कि वह जासूसी कर रहा था। यह प्रधान मंत्री नरेंद्र  मोदी की तेहरान यात्रा के पहले की घटना है। मोदी की तेहरान यात्रा के दौरान चाहबहार समझौता हुआ था। लेकिन पाक की यह करतूत यहीं खत्म नही होगी। वह जाधव से राजनयिकों के मिलने की अनुमति देकर दुनिया को यह बतायेगा कि राजनयिक संबंध अभी ठीक हैं। आगे भी बहुत कुछ होने वाला है। पूरी दुनिया इस समय अव्यवस्ता के दौर से गुजर रही है।

0 comments: