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Tuesday, April 11, 2017

देश में चल रहे जाली नोटों के रहस्य का पर्दाफाश

सन्मार्ग की खबर का असर

देश में चल रहे जाली नोटों के रहस्य का पर्दाफाश 

भारतीय करेंसी नोट बनाने वाली इकाई ने विदेशी कंपनी को अदालत में घसीटा

हरिराम पाण्डेय

कोलकाता : भारतीय करेंसी नोट छापने के काम में लगी सिक्युरिटी पेपर मिल ( एस पी एम आई एल ) ने उस ब्रिटिश कंपनी पर 11 करोड़ रुपये  की क्षति पूर्ति का दावा किया है जो इसे नोट छापने के सामान मुहैया करा कर मदद करती है। इस मामले की सुनवाई 7 अप्रैल को थी।  
उल्लेखनीय है कि यही ब्रिटिश कंपनी पाकिस्तान की मुद्रा भी छापती है ।  सन्मार्ग ने विगत माह यह रहस्योद्घाटन किया था । इस संबंध में  भारत सरकार के वित्त मंत्रालय से भी  सन्मार्ग ने जानकारी चाही थी और वहां से ऐसी किसी बात से साफ इंकार कर दिया गया था और कहा गया था कि इस मामले में हमारा किसी भी विदेशी कंपनी से कोई संबंध नही है। 
  सन्मार्ग ने उस समय भी अपने पाठकों से वादा किया था कि इस मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। इसी खोज के सिलसिले में अवाक कर देने वाली यह जानकारी है कि भारत सरकार की सिक्युरिटी पेपर मिल की होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)  इकाई ने उस ब्रिटिश कंपनी पर  11 करोड़ का दावा किया है जिसमे कहा गया है कि " आपूर्ति किये गए कागज की जांच के बाद पाया गया कि वह घटिया क्वालिटी का था ।" 160 लाख टन यह घटिया कागज़ 2016 के अक्टूबर - नवम्बर में इंग्लैंड की उसी कंपनी से मंगाया गया था । इतना ही नहीं सिक्युरिटी थ्रेड और नोट छापने की स्याही भी इंग्लैंड से ही मंगाई जाती है। 
यहां यह बता देना ज़रूरी है कि हमारे हाथ में जो नए नोट आ रहे हैं वे पूरी तरह भारतीय नहीं हैं।
   दिलचस्प बात यह है कि इसी कंपनी को 10 रुपये का प्लास्टिक नोट आपूर्ति का भी ठेका दिया गया है। 10 रुपयों के इस नोट को प्रायोगिक तौर पर चलाने की रिजर्व बैंक ने हरी झंडी दे दी है। यही नहीं भारतीय नोटों को विदेश में मुद्रित कराने के लिए आउट सोर्स करने की संभावनाओं पर भी बात चल रही है। 
  बुधवार को सन्मार्ग ने एस पी एम की होशंगाबाद इकाई और दिल्ली मुख्यालय से लगातार  संपर्क किया पर  किसी ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। बाद में कंपनी के वकील सुशील गोयल ने इसकी पुष्टि की और बताया कि मामला चूंकि न्यायाधीन है इसलिए विशेष जानकारी नहीं दी जा सकती है।

यह तथ्य चिंतित करने वाला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के इतने बड़े खतरे से सरकार ने क्यों गुप्त समझौता किया? 
यह चकित कर देने वाला तथ्य है कि  हमारी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने में लगी कंपनी को यह काम क्यों सौंपा गया?

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