बापू की विरासत
दो दिन पहले रावण का दहन कर दिया गया. जहां जहां भी रावण का दहन वहाँ वहाँ रावण का अट्टहास सुनायी पड रहा था और उस अट्टहास के बीच रावण कह रहा था कि ” हज़ारों साल के बाद भी तुम रावण बनाते हो तब जलाते हो, कभी एक राम बना सके.”शायद रावण का कहना सही था क्योकि हज़ारों साल तो छोड़ दें 149 साल पहले अच्छाई का थोड़ा सा अंश लेकर जन्मा मोहनदास करम चंद गांधी नाम के इंसान की अच्छाईओं को याद तो करते हैं पर उइसके बताये रास्ते पर चलने से कतराते हैं. उसका उपयोग तो करते हैं पर अनुकरण नहीं करते. विचित्र संयोग है रावण के नाश के दूसरे दिन यानी बुराई के नाश के दो दिन बाद ही 2 अक्तूबर को इस भारत भूमि पर गांधी का जन्मदिन है. हम गांधी को याद करते हैं और पृष्ठ भूमि में चलता रहता है पकिस्तान के खिलाफ भारी नफरत का खुल कर प्रचार, दलितों की सरेआम पिटाई, गोरक्षा के नाम पर समाज के एक वर्ग को यातनाएं. ये चंद बुराईयाँ जिन्हें मिटाने के प्रयास में गाँधी खुद मिट गए. वैसे गांधी आज भी ख़बरों में हैं, जन्म के 149 वर्ष के बाद भी. डेढ़ सौ साल अगले साल पूरा होगा और यह महज संयोग है कि इसी साल चुनाव भी हैं. दुखद यह है कि हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. यह कौन सोच सकता है कि जिस उपमहाद्वीप ने मोहन दास करमचंद गाँधी को महात्मा बनाया वहीँ , उसी महाद्वीप में कहा जा रहा है कि गांधी को हटाया जाना चाहिये, उसकी प्रतिमाओं को हटाया जाना चाहिए. गाँधी जिन्होंने अछूत जैसे अपमानजनक शब्द को समाप्त करने के लिए हरिजन शब्द गढ़ा , अब दलितों पर तरह तरह के जुल्म होते देखे सुने जाते हैं. नतीजा यह हो रहा है कि दलित भी समाज से कटते जा रहे हैं. खबर है कि अब दलितों के बच्चों को यह बताया जा रहा है कि भीम राव अम्बेडकर सबसे बड़े नेता थे. इसके लिए देश में नयी बारहखड़ी ( अल्फाबेट ) तैयार की गयी है. ए से अम्बेडकर , बी से भीमराव सी से कास्ट , डी से डॉक्टर , ई से इंग्लिश इत्यादि. इस क्रम में सबसे दिलचस्प है जी से जी से ग्रेट भीमराव और एल से लीडर भीम राव . सोचिये, एक वर्ग के बच्चो के दिमाग से कैसे गांधी को मिटाने की कोशिश हो रही है औरे उस कोशिश को हवा देने वाले हैं हमारे आज केर नेता. दूसरी तरफ देश की दो बड़ी पार्टियों के पास गांधी के लिए कुछ नहीं है. राहुल गाँधी संघ को नीचा दिखाने के लिए अदालत में यह मामला दायर करने की कोशिश की कि “ संघ के लोगों ने गांधी जी की हत्या की थी.” दूसरी तरफ संघ के प्रचारक और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में उसी रूट पर यात्रा कर खुश हो गए जिस पर कभी गांधी जी ने यात्रा की थी. गाँधी के नाम पर स्वच्छ भारत की बात उठाई और भाषण में गांधी जी का नाम गलत बोल गए. आज गांधी पर कब्जे के लिए कोंग्रेस और भाजपा पंजे लड़ा रहे हैं , लेकिन क्यों? इसलिए कि देश की जनता पर अभी भी गाँधी का असर है, विदेशी विद्वानों को गाँधी अभी भी प्रभावित करते हैं और इसी लिए दोनों दल केवल अपने स्वार्थ के लिए इस नाम का उपयोग करना चाहते हैं. दलित और माओवादी गांधी को खुल कर भला बुरा कहते हैं और जो गांधी का सम्मान करते हैं वे चुप रहते हैं. गाँधी असाधारण व्यक्ति थे और वे सुनाने तथा विचार विमर्श पर विश्वास करते थे. बुद्ध के बाद गांधी ऐसे पुरुष रहे हैं जो अपने मुल्क के हर इंसान के दिमाग में मौजूद हैं. बेशक कोई गाँधी का विरोध करता है पर उन्हें नज़रंदाज़ नहीं कर सकता. चाहे वह सियासत हो या सेकुलरिज्म, चाहे वह बटवारे का मसला हो या जाति का , धार्मिक बहुलवाद हो या ग्राम विकास का गाँधी हर जगह मौजूद मिलते हैं. आज 149 वर्षों के बाद भी गांधी ख़बरों का हिस्सा बने रहते है लेकिन इतिहास उनके साथ अच्छा सलूक करता नज़र नहीं आ रहा है.
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