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Wednesday, October 4, 2017

हिंसा को रोकने पर विचार करें

हिंसा को रोकने पर विचार करें

लॉस वेगास में ठीक उसी दिन कुछ बंदूकधारियों ने 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 100 से ज्यादा लोगों को आहत कर दिया जिस दिन शान्ति के मसीहा महात्मा गाँधी का जन्म दिन था. हालांकि अमरीकी जनता के लिए गांधी का प्रतीक कोई मायने नहीं रखता है लेकिन इस घटना ने भारतीय मानस को भी आहत किया है. यहाँ भारत का उल्लेख करना इसलिए ज़रूरी है कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि “ हिंसा से हिंसा पैदा होती है.” नेशनल अकेडमी ऑफ़ साइंस की रिपोर्ट के अनुसार “ हिंसा छूत  की बीमारी की तरह फैलाती है और हर आदमी इससे ग्रस्त हो जाता है.” इस वाक्यांश से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि हिंसा की ऐसी घटनाओं कैसे रोका जाय या कम किया जाय. सोशल नेटवर्क नौजवानों में बहुत लोकप्रिय है और नौजवानों में हिंसा एक समस्या है. अमरीका में तो विभिन्न बीमारीओं से जितने नौ जवान मरते हैं उससे कहीं ज्यादा आत्महत्या से मरते हैं. हिंसा के कई प्रकार होते हैं और उसका प्रसार देश, स्थान,काल और अन्य कई गुणकों पर निर्भर करता है. मसलन दंगा तेजी से फैलता है. यही बात स्थान के साथ है. क्योंकि स्थान सामाजिक समूहों का आधार होता है और विशिष्ट समूह में विशिष्ट प्रकार की हिंसक घटनाएं होती हैं. हिंसा का सबसे महत्वपूर्ण मेकानिज्म है नक़ल या कह सकते हैं अपने ख़ास रोल मोडल की नक़ल.

जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो राजनीतिज्ञ मैदान सम्भालते  हैं. झंडा झुका दिया जाता है, दो मिनट का मौन होता है , भाषण होते हैं , कुछ लोग मोमबतियां जला लेते हैं और बस सबकुछ ख़त्म. अगली ऐसी ही किसी घटना तक सारा काम पूर्ववत चलने लगता है. इस तरह की घटना ना हो इसके लिए कोई तैयारी नहीं. सरकारें इस विषय पर नहीं सोचतीं कि यह कैसे ख़त्म हो? ऐसे मामलों में दो सवाल ख़ास हैं पहला कि कोई भी आखिर क्यों अनजान लोगों की बेमतलब  ह्त्या कर  देता है? ... और दूसरा इसे रोका कैसे जा सकता है? विख्यात फोरेंसिक मनोशास्त्री डा. जेम्स नोल के अनुसार “ऐसी घटनाओं को वही लोग अंजाम देते हैं जो हथियारों को बहुत ज्यादा चाहते हैं और उन्हें एकत्र कर के रखते हैं. ऐसे लोग सत्ता के लिए लालायित रहते हैं वह पाना चाहते हैं जो कानूनी तरीके से संभव ना हो. सामूहिक हत्याएं असल में हिंसा की फेंटासी और छद्म शक्ति के भाव को पूरा करती हैं. ऐसा करने वाला अपने दिमाग में अपनी ताक़त और “ श्रेष्ठता” को किसी फिल्म की तरह देखता है. वह अपनी नाकामयाबी के लिए दूसरे को दोषी बताता है और उसे दंड देता है. इसे रोकने का सबसे अच्छा तरिका है कि हथियारों को आम लोगों की पहुँच से दूर कर दिया जाय.” जर्नल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के अनुसार अगर हथियारों की उपलब्धता कम हो जय तो ऐसी घटनाएं कम हो जायेंगी. पत्रिका में बताया गया है कि 1996 में आस्ट्रेलिया में ऐसी ही सामूहिक ह्त्या की घटना हुई थी , जिसके बाद सरकार हथियार क़ानून को बहुत सख्त कर दिया और एक साल में इस तरह की हमलों की संख्या लगभग आधी हो गयी और हथियार से आत्म ह्त्या की घटनाएं भी आधी हो गयीं. जो ज्ञान गुमानी हैं उनका मानना है कि सामूहिक हत्यायों को रोकने का कोई अचूक नुस्खा  नहीं है और उनका कहना कुछ हद तक सही भी है. क्योंकि कुछ अपराधी किसी भी तरह से हथियार हासिल कर ही लेंगे चाहे वह दुनिया का कोई भी कोना हो. ख़ास कर अमरीका में जहां 32 करोड़ की आबादी में 30 करोड़ हथियार (फायर आर्म्स)  हैं. हार्वर्ड के प्रो. डेविड हेमेनवे के अनुसार अमरीका में रोजाना 92  हथियारों  (फायर आर्म्स) मरते हैं और दुनिया के अन्य विक्सित मुल्कों में जितने बच्चे  हथियारों (फायर आर्म्स) से मरते हैं उससे 14 गुना ज्यादा बच्चे  अमरीका में मरते हैं. इस निष्कर्ष पर पहुंचना बड़ा कठिन है कि वह कौन से कारन थे जिनके तहत लास वेगास की यह घटना हुई. लेकिन यह तो स्पष्ट है कि अधिकाँश सामूहिक हत्याएं हैण्ड गन्स से हुई है और इसमें मरने वालों की तादाद सर्वदा ऐसे ही हथियार से ख़ुदकुशी करने वालों से कम रही है. हथियारों का समर्थन करने वाले यह कह सकते हैं कि यह वक़्त सियासत का नहीं है. लेकिन हम हत्यायों से सबक नहीं ले सकते हैं. इस तरह की घटना के प्रति राजनीति करने का एक सही तरिका है और गलत भी. गलत तरीका है कि इस घटना को अंजाम देने वालों की आईडियोलोजी पर बहस. सही तरीका है कि इसे कैसे रोका जाय इस विषय पर विस्तृत बहस शुरू कर दी जाय. इसे रोकने का सबसे व्याव्य्हारिक तरीका है कि नौजवानों को हिंसक घटनाओं के संपर्क में आने से रोका जाय. स्कूलों और समाजों में समाज सेवा और समाज प्रेम का पाठ पढ़ाया जाय. महात्मा गांधी यहीं आकर सामयिक और प्रासंगिक  लगने लगते हैं.  

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