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Tuesday, November 20, 2018

अमरीका में हिंदुओं पर बढ़ते हमले

अमरीका में हिंदुओं पर बढ़ते हमले

अमरीकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(एफ बी आई ) ने पिछले हफ्ते जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में नफरत के कारण होने वाले अपराधों के आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़े 2017 के हैं। आलोच्य वर्ष में नफरत के कारण 7हजार115 अपराध हुए । यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत ज्यादा थी।  वर्ष 2016 में नफरत के कारण 6हजार121 अपराध हुए थे । यह आंकड़ा बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। इस आंकड़े में हिंदुओं के प्रति नफरत के कारण अपराध की संख्या बढ़ी है। धार्मिक विद्वेष के कारण होने वाले अपराधों की संख्या 1हजार749 है जिनमें हिंदुओं के प्रति अपराधों की संख्या पंद्रह है। जबकि पिछले वर्ष यह पांच थी। धार्मिक विद्वेष के कारण होने वाली घटना के  ज्यादा शिकार यहूदी हुए हैं। इनका अनुपात 58.1प्रतिशत  है। बाकी अपराध हिंदुओं, सिखों और बौद्धों के विरूद्ध हुए हैं। यह संख्या चिंताजनक है। अमरीका में इन दिनों राजनीतिक स्थिति का भारी ध्रुवीकरण हुआ है। कई लोग इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को और उनके बड़बोलेपन को दोषी बताते हैं। दूसरी तरफ , कुछ लोग इसके लिए लिबरल पार्टी को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका मानना है कि वह दल अपने वर्चस्व के लिए पहचान की राजनीति का सहारा ले रहे हैं। एफबीआई ने 2013 से  हिंदुओं के खिलाफ होने वाले घृणा जन्य अपराधों पर नजर रखनी आरंभ की। क्योंकि ,इसी समय से अमरीका में हिंदू समूहों का गठन होने लगा। खासकर हिंदू अमरीकन  फाउंडेशन इस मामले में बहुत ज्यादा सक्रिय था । एफबीआई के आंकड़ों पर हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने कहा कि "एफबीआई के आंकड़े बेशक मददगार हैं। यह अमरीका में हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहे हैं और उनसे नफरत के कारण जो अपराध हो रहे हैं उसका पूरा चित्र इन आंकड़ों से नहीं प्राप्त होता है। कई ऐसे अपराध जो  शिकार हुए लोगों द्वारा दर्ज ही नहीं कराए जाते या सरकारी एजेंसियां दर्ज नहीं करतीं। इतना ही नहीं कई ऐसे पक्षपातपूर्ण अपराध हैं जिन्हें हिंदू विरोधी वर्ग में दर्ज नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए कुछ ऐसे अपराध है या ऐसी घटनाएं जिनमें अरब विरोधी या मुस्लिम विरोधी भावनाओं की ज्वाला में हिंदू फंस जाते हैं। हिंदुओं के खिलाफ कुछ ऐसे भी अपराध है जो उनके जातीय है या नस्ली पहचान पर आधारित हैं और इनको जातीय या नस्ली वर्ग में दर्ज कर लिया जाता है।"
  अमरीका स्कूलों में हिंदू अमरीकी बच्चों के साथ जो होता है उस पर हिंदू अमरीका फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट तैयार की थी।  एफबीआई के रिपोर्ट उसके समरूप है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हर तीसरे हिंदू अमरीकी बच्चे के साथ स्कूलों में बदमाशी की जाती है, गलत सलूक किया जाता है और उनकी धार्मिक आस्था की खिल्ली उड़ाई जाती है। 5 में से 3 बच्चे यह शिकायत करते हैं कि स्कूल में उनकी जाति और हिंदुत्व के बारे में ज्यादा ध्यान दिया जाता है। हिंदू धर्म और रीति रिवाज के बारे में गलत दावे भी किए जाते हैं। अमरीका में हिंदू  अत्यंत लघु अल्पसंख्यक हैं। उनकी संख्या सबसे कम है । पूरी आबादी के लगभग एक प्रतिशत हिंदू हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समय वहां लगभग 30 लाख हिंदू हैं । अमरीका में हिंदू सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे धार्मिक समुदाय हैं और इनकी आय अन्य जाति - धार्मिक समूहों से ज्यादा है।
       अमरीका में अन्य  अल्पसंख्यक समुदाय की भांति हाल तक हिंदू राजनीतिक रूप से संगठित नहीं थे और ना ही अमरीका में अपने विरुद्ध पक्षपात के लिए लड़ते- भिड़ते  थे। मैक गिल विश्वविद्यालय के "कंपैरेटिव रिलिजन" के प्रोफेसर अरविंद शर्मा के मुताबिक "बाहर के लोग बाहर के ही हैं " ,यह बात अमरीका निवासियों में व्याप गई है । इसलिए वे कभी भी इन्हें अपना समझ कर बात नहीं करते। आजादी के बाद इस तरह की बातें वामपंथी विद्वानों ने और फैला दीं तथा यह भावना भारत और भारत के बाहर फैल गई, अमरीका इसका अपवाद नहीं है।  कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के इतिहास के पाठ्य पुस्तक में हिंदुओं के बारे में गलत और पक्षपातपूर्ण तथ्य लिखे हुए थे लेकिन हिंदू एकजुट होकर इनके खिलाफ हाल तक नहीं लड़े। अभी हाल में उन्होंने एकजुट होकर इसे बदलवाने के लिए संघर्ष किया। पाठ्य पुस्तकों में हिंदुओं को बहुत ही नकारात्मक ढंग से दर्शाया गया था। अमरीका ही क्यों, हिंदुओं के खिलाफ कई जगह गलत बातें और गलत धारणा फैलाई गई है, जिसमें यह बताया गया है कि हिंदू धर्म मूल रूप से दबाब मूलक और पितृसत्तात्मक है। कुछ हिंदू अमरीकी पत्रकार भी हिंदुओं की नकारात्मक छवि तैयार करने में लगे हैं। उदाहरण स्वरुप  गौ रक्षा को लेकर भारत में जो हो रहा है उसे अमरीका अखबारों में बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा  है और नई तरह की भ्रांति फैलाई जा रही है । यह बताया जा रहा है कि हिंदू समूह भारत में 17 करोड़ मुसलमानों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं इस बात का जो दूसरा पक्ष है उस पर कोई बात नहीं हो रही है। इसी तरह से गिरजाघरों पर हमले ,बलात्कार और महिलाओं की सुरक्षा तथा समग्र सांप्रदायिक हिंसा को पश्चिमी मीडिया में काफी उछाला जा रहा है। यह बातें किसी भी देश में एक लघु और शांतिपूर्ण अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भावनाओं को भड़काने के लिए पर्याप्त हैं। इसकी झलक शिकागो में आयोजित दूसरे विश्व हिंदू सम्मेलन  में मिली थी। यह सम्मेलन स्वामी विवेकानंद के धर्म संसद में भाषण के 150  वर्ष  पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था और इसमें 60 देशों के लगभग तीन हजार हिंदू प्रतिनिधि एकत्र हुए थे। यह सम्मेलन शिकागो के उपनगर लोंबार्ड में सितंबर में आयोजित हुआ था। इस अवसर पर विश्व हिंदू सम्मेलन को बदनाम करने के लिए कई हिंदू विरोधी समुदायों  ,जिसमें अति वामपंथी और खालिस्तान समर्थक तथा कट्टरपंथी ईसाई संगठनों ,ने काफी महंगा जनसंपर्क अभियान आरंभ किया था। इससे पता चलता है कि अमरीका में हिंदुओं के खिलाफ कितनी ज्यादा नफरत फैलाई जा रही है । इस नफरत की आंच अमरीकी हिंदुओं को भी अब महसूस होने लगी है। यद्यपि एफबीआई के आंकड़ों से इस नफरत के कारणों का पता नहीं चलता है। हमें अमरीका में अत्यंत सफल और कानून का सम्मान करने वाले इस धार्मिक लघु समुदाय की सुरक्षा के लिए सभी जमीनी स्थितियों पर गौर करना जरूरी है।

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