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Friday, March 1, 2019

भारत की चेतावनी पाकिस्तान समझ गया

भारत की चेतावनी पाकिस्तान समझ गया

भारत और पाकिस्तान जैसे को तैसा नई कार्रवाई पर उतर आए हैं। पुलवामा हमले ने भारतीय वायु सेना को बालाकोट पर हमला करने के लिए मजबूर किया। उसके बाद पाकिस्तानी वायु सेना ने उसके दिखावटी बदले   के लिए भारतीय सीमा में प्रवेश किया। जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों से संयम की अपील करते रहे । भारत में पाकिस्तान को दोबारा जवाब देने की मांग उठने लगी। लेकिन यह समझना जरूरी है कि बालाकोट का हमला रणनीतिक रूप में किसी भी सैनिक कार्रवाई से अलग था। यह हमला भारत के किसी भी स्थिति से निपटने की ताकत को और मजबूत करता है परंतु  इसका परिणाम चाहे कुछ हो ना हो लेकिन आगे सामरिक जोखिम को जरूर बढ़ाता है। यह बात  सही है कि पाकिस्तान ने कुछ सैनिक कार्रवाई की है तब भी भारत को ज्यादा बात बढ़ाने से गुरेज करना चाहिए। क्योंकि पाकिस्तान ने गिरफ्तार कमांडर अभिनंदन वर्थमान को रिहा कर दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान एक लुटा पिटा  मुल्क है और  उसके पास गंवाने के लिए बहुत कुछ नहीं है ।
        सामरिक नजरिए से बदले के लिए केवल बदला लिए जाने से बात नहीं बनती है ।इसलिए भविष्य के हमलों को रोकने के लिए जैसे को तैसा जरूरी है। बालाकोट हमला केवल पुलवामा हमले का बदला नहीं था बल्कि पाक के लिए एक चेतावनी भी था। भारतीय वायुसेना के दुस्साहस पूर्ण हमले पाकिस्तान को चेतावनी भरा  संदेश देते हैं कि आतंकियों को मदद करने से दंड मिलेगा। यद्यपि अभी देश में हमले की भावना बहुत बलवती है लेकिन यह देखना जरूरी है कि किसने बढ़कर मारा । इसलिए पाकिस्तान पाए प्रत्याक्रमण को नजरअंदाज कर देना चाहिए।  पाकिस्तानी हमला भारतीय चेतावनी का शमन नहीं कर सकता । दरअसल पाकिस्तान का हमला एक तरह से भारतीय निवारक कार्रवाई को और शक्तिशाली बना कर प्रस्तुत करता है।  भारत ने बता दिया कि वह पाकिस्तान को आतंकियों को मदद करने के लिए ना केवल दंडित  कर सकता है बल्कि उसकी कीमत भी चुका सकता है । भारत ने बता दिया के वह केवल पाकिस्तान पर हम ले ही नहीं कर सकता बल्कि इस दौरान छोटे-मोटे प्रहारों को झेल भी सकता है। यह एक प्रचंड संदेश है और संभवतः भविष्य में इस्लामाबाद पर इसका असर जरूर पड़ेगा। अतएव अब दुबारा भारतीय सैनिक कार्रवाई इस संदेश को भ्रमित कर देगी। भारतीय उद्देश्य अब यह होना चाहिए की संकट को खत्म किया जाए ना कि इसे बढ़ा दिया जाए। हमें वर्तमान संकट को कुछ  ऐसी नजर से देखना चाहिए कि दोनों पक्ष बातचीत में बैठे हैं और नए अंदाज में अपनी अपनी बात कह रहे हैं । पाकिस्तान को यह  पूरी तरह यकीन है कि उसे घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देने की क्षमता भारत में है। फिर भी वह आतंकवाद को समर्थन दे रहा है क्योंकि इस्लामाबाद को यह उम्मीद नहीं थी कि भारत इस अंदाज में उत्तर देगा।
       भारत इस बात का आकलन जरूर करेगा की सैनिक कार्रवाई का जवाब पाकिस्तान की ओर से भी मिलेगा और फिर स्थिति बिगड़ने का जोखिम होगा ,जो कि आतंकवादी कार्रवाई  के बदले की बहुत ज्यादा कीमत होगी। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पाकिस्तान जरूर महसूस करेगा कि आतंकवाद एक समस्या है लेकिन इतनी गंभीर समस्या नहीं है कि इसके लिए दो परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों में संघर्ष हो जाए। अतीत में भारत ने कई बार बड़े आतंकी हमलों को लेकर सावधानी भरा कदम उठाया है। अब जो कुछ हुआ है वह पाकिस्तान को मजबूर कर देगा कि वह अपने खिलाफ जोखिम का फिर से आकलन करे। बालाकोट हमले से पाकिस्तान ऐसा करने पर मजबूर हो गया है ।  उसके मन में यह भय हो गया है कि आतंकी हमला को लेकर भारत गंभीर भी हो सकता है और मुंह तोड़ जवाब दे सकता है। यह पाकिस्तान के लिए एक नई सूचना है और भविष्य में वह इसे याद रखेगा।
       दूसरी तरफ पाकिस्तान का कथित जवाबी हमला भारत के लिए कोई नई बात नहीं है क्योंकि भारत यह अच्छी तरह जानता है कि नियंत्रण रेखा को लांघना पाकिस्तान की फितरत है। इसके खिलाफ भारतीय कारवाई कोई आश्चर्यजनक नहीं है। यह केवल भारत की नई निवारण नीति नमूना है । अब अगर भारत पाकिस्तान की कार्रवाई का बदला लेता तो वह मूल संदेश पर से लोगों का ध्यान भी विचलित कर देता ।  बदले की इस कार्रवाई के बाद एक मुकम्मल जंग का खतरा बढ़ जाएगा और उस खतरे के बीच भारी तू तू मैं मैं शुरू हो जाएगी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की नरमी यह बताती है कि पाकिस्तान ने भारत की चेतावनी समझ ली है । भारत ने अपना सामरिक लक्ष्य पूरा कर लिया है । भारत  दुनिया को यह भी संदेश दे सकता है की वर्तमान संकट प्रमुख नहीं है प्रमुख है पाकिस्तान का आतंकियों को समर्थन देने की आदतों से बाज नहीं आना। भारत  को पूरी दुनिया के समक्ष यह जाहिर करना चाहिए कि भारतीय कारवाई अपनी सुरक्षा और शांति के लिए थी ना कि बदले की खूनी प्यास के लिए।

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