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Thursday, March 28, 2019

भारत बना "अंतरिक्ष महाशक्ति"

भारत बना "अंतरिक्ष महाशक्ति"

भारत महा शक्तियों के कतार में बैठने के लायक तो  पहले ही उस समय हो गया था जब पोकरण में परमाणु परीक्षण किया लेकिन अब एक कदम और आगे बढ़ गया है। जल थल और नभ में सर्वशक्तिमान बनने के बाद अंतरिक्ष में भी हमारा देश शक्तिशाली बन गया। केवल 3 मिनट के मिशन शक्ति अभियान में अंतरिक्ष की "लो अर्थ" कक्षा में 300 किलोमीटर दूर एक सेटेलाइट को भारत में मार गिराया। यद्यपि यह परीक्षण था लेकिन इसी से हम महाशक्तियों की सूची में शामिल हो गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी और देशवासियों के नाम एक संदेश देकर उन्हें गर्वित होने का मौका दिया।
          यहां यह बताना जरूरी है की लो अर्थ आर्बिट क्या है ? लो अर्थ आर्बिट को वैज्ञानिक शब्दावली में "लियो" कहते हैं। इस कक्षा में  स्थापित  सैटलाइट का उपयोग सैटेलाइट डेटा संचार के लिए किया जाता है। यानी, इसका उपयोग ई-मेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डाटा संचार के लिए होता है । यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह से ऊपर लगभग 650 से 1600 किलोमीटर रहता है। इसे अंतरिक्ष में स्थाई रूप से एक जगह नहीं रखा जा सकता। यह कक्षा में घूमता रहता है। सेटेलाइट या कहें उपग्रह 3 तरह के होते हैं। लो अर्थ आर्बिट सैटेलाइट, मीडियम अर्थ आर्बिट सैटेलाइट, और जियो सैटलाइट । लो अर्थ आर्बिट सैटेलाइट   छोटे होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी भी संचार सेवा के लिए एक हजार से ज्यादा लो ऑर्बिट सेटेलाइट की जरूरत पड़ सकती है।
      इस अवसर पर डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा कि यह  क्षमता हमारे देश के लिए दुश्मन की ताकतों के प्रति एक निवारक की भूमिका अदा करेगी। रेड्डी ने कहा कि परियोजना के लिए 2 साल पहले ही अनुमति मिली थी। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि इसने मिसाइल क्षमता को प्रदर्शित किया और अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।  डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने कहा आज जब दुनिया अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ा रही है तो हमारे वैज्ञानिकों ने भी अपनी मेधा का प्रदर्शन किया। आज अगर आपको दुनिया के सामने यह बताना है कि वे किसी भी युद्ध के लिए तैयार हैं तो उसे सेटेलाइट युद्ध के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा। इस तकनीक के बारे में डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत का कहना है कि भारत विश्व के उन ताकतों की सूची में  शामिल हुआ जो अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण कर रहे हैं और इस तरह से भारत के पास वह शक्ति हो गई जिसके बल पर वह महाशक्ति बन सकता है।
        विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस उपलब्धि के बारे में कहा कि हमारा मकसद किसी देश पर प्रहार करना या किसी को धमकाना नहीं है बल्कि देश को सुरक्षित करना है।
        भारत की इस उपलब्धि से  जले भुने पाकिस्तान ने कहा कि यह भारत की  काल्पनिक युद्ध लड़ने की तैयारी की तरह है। पाकिस्तान ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करेगा की वे भारत को लगाम लगाए। चीन ने  कहा कि उसे उम्मीद है भारत बाह्य अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेगा।
      उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अंतरिक्ष में जो काम किया है उसका मूल उद्देश्य भारत की सुरक्षा भारत का आर्थिक विकास और भारत की तकनीकी प्रगति है। प्रधानमंत्री ने इसकी आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि दुश्मन सेटेलाइट के माध्यम से आपकी हर गतिविधि पर नजर रखता है तो उसे यह बताना होगा कि भारत इतना शक्तिशाली हो गया है कि दुश्मन देश के खोजी सैटलाइट को जब चाहे मार गिरा सकता है। हमें आने वाले दिनों में चुनौतियों का सामना करने और अपने नागरिकों के जीवन के स्तर में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाना ही होगा। अभियान की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पूर्णतः स्वदेशी है और इसे अपने ही देश में बने एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए अंजाम दिया गया है।
           भारत के अलावा इजराइल भी  इस तरह के सेटेलाइट विकसित करने की प्रक्रिया में है ।आज यह सैटलाइट दुनिया के 3 देश अमरीका, रूस और चीन के पास है और उन्होंने आज तक इसका उपयोग किसी भी युद्ध में नहीं किया। इस उपलब्धि पर तरह-तरह की बातें की जा रही है। चुनाव आयोग को भी बीच में डाला जा रहा है और कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश को संबोधित कर चुनाव की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है की इससे ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यद्यपि चुनाव आयोग ने 4 अधिकारियों के एक पैनल को इसे आदर्श आचार संहिता के आलोक में विश्लेषित करने का आदेश दिया है। इसमें यह तय किया जाएगा की क्या इस प्रक्रिया के तहत सरकारी तंत्र का उपयोग  किया गया है या नहीं । यद्यपि पहले से इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति नहीं ली गई थी ।  जो भी है वाद विवाद हो तर्क वितर्क हो या मत विमत हो सबसे बड़ी बात है कि भारत देश को एक ऐसा शस्त्र मिला है जिससे दुश्मन के पैर कांपने लगेंगे। देश हित में एक बड़ी उपलब्धि है और यही पर्याप्त है।

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