नहीं सुधरेगा पाकिस्तान
अभी हाल में भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में आतंकी शिविर नष्ट किए जाने के बावजूद पाकिस्तान यह नहीं स्वीकार कर रहा है कि वहां आतंकी शिविर हैं । भारत ने एक महीने पहले पाकिस्तान को एक डोजियर सौंपा था और उसमें बताया गया था कि पाकिस्तान के 22 स्थानों पर आतंकी शिविर चल रहे हैं लेकिन गुरुवार को पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसने इन सभी जगहों की तहकीकात की और कोई शिविर नहीं पाया। उसने कहा है कि यह 14 फरवरी को पुलवामा हमले से पाकिस्तान कहीं नहीं जुड़ा था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह उन 22 जगहों में जाकर देखने की अनुमति देने को तैयार है। यह पहला अवसर है कि पाकिस्तान में भारत द्वारा दिए गए किसी दस्तावेज की जांच करने के बाद सरकारी तौर पर घोषणा की है। यह दस्तावेज भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी भेजी है। भारत ने जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की कूटनीतिक कोशिशें शुरू कर दी है। इसके पहले भी भारत ने यह मसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया लेकिन चीन ने उस पर वीटो कर दिया और मामला दब तो गया लेकिन बात खत्म नहीं हुई । अमरीका ने कदम आगे बढ़ाया और मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने और उसे काली सूची में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना शुरू कर दिया और इसके अंतर्गत उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसौदा पेश किया है। अमरिका के प्रस्ताव को फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन भी किया है। फ्रांस ब्रिटेन और अमरीका ने विगत 27 फरवरी को ऐसा ही एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और और सुरक्षा परिषद के 16 में से 14 देशों ने इस कार्रवाई का समर्थन किया था लेकिन चीन के वीटो कर दिए जाने से कुछ नहीं हो सका। अब फिर अमरीका ने उस पर पाबंदी लगाने और उसकी संपत्ति को जप्त करने आदि के लिए बुधवार को सुरक्षा परिषद में एक मसौदा पेश किया है। पहला मौका है जब अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस ने अजहर का नाम काली सूची में डालने के लिए सुरक्षा परिषद में सीधा मसौदा भेजा। इस मसौदे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन ने कहा यह तो जबरदस्ती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेग शुअंग ने कहा की अमरीका ऐसा करके मुद्दों को जटिल बना रहा है। उन्होंने कहा कि यह वार्ता से किसी मसले के समाधान के अनुरूप नहीं है और ऐसा करके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक आतंकवाद विरोधी इकाई के रूप में बदलना है और उसके अधिकार को कम करना है। यह स्पष्ट है कि चीन ने हमेशा से उसे बचाने की कोशिश की है। दरअसल चीन की भारी पूंजी चीन -पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगी हुई है ।उधर चीन के शिंजियांग प्रांत में विगर मुसलमानों की संख्या एक करोड़ के आसपास है । उस क्षेत्र में यह बहुसंख्यक हैं और चीन कोई कदम उठता है या मसूद अजहर पर पाबंदी लगाता है तो डर है कि वे न भड़क जाएं।
परोक्ष मामला चाहे जो हो और कोशिशें चाहे जो की जाती रहे लेकिन ऐसा नहीं लगता कि अमरीका इस मसौदे को पेश करके कुछ करवा सकेगा। क्योंकि सुरक्षा परिषद में इसे पारित करने के लिए 9 वोटों की जरूरत है और इन 9 वोटो चीन के वोट भी होने चाहिए और चीन ही मुख्य अवरोधक है। वैसे एक उम्मीद है कि चीन अब पिछले दरवाजे से आकर गुपचुप वीटो लगा कर शांत नहीं हो सकता बल्कि ऐसी स्थिति में उसे बताना होगा की पाबंदी के प्रस्ताव पर रोक लगाने के कारण क्या हैं।
उधर पाकिस्तान द्वारा भारतीय डोजियर में उल्लिखित तथ्यों को गलत बताने से भारत र दुखी है विदेश मंत्रालय के सचिव रवीश कुमार ने बताया की पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका दुखद है। पाकिस्तान को मुंबई हमले के बाद भी इसी तरह का डोजियर सौंपा गया था लेकिन उसका भी उसने खंडन किया। यह दुनिया जानती है कि राष्ट्र संघ द्वारा अधिसूचित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद और उसका मुखिया मसूद अजहर पाकिस्तान में है और उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए ढेर सारे पुख्ता सबूत हैं लेकिन करवाई तो दूर पाकिस्तान इसे मानने को भी तैयार नहीं है। पाकिस्तान की इस हरकत से ऐसा लगता है की सरकार चाहे जो हो वह सुधर नहीं सकता है।
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