पुलवामा को भूलें नहीं
पिछली 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमलों में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए। जिन आतंकियों ने हमला किया था वह पाकिस्तान के जिहादी संगठन जैश ए मोहम्मद के सदस्य थे। जवाब में भारत ने हमला किया और उसके बाद ढेर सारी बातें हुईं। लेकिन याद रखना चाहिए कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंकियों को शह देता है और भारत पर हमले के लिए तैयार करता है। उसकी मदद से भारत पर कई हमले हुए। 2001 में संसद पर हमला हुआ ,2008 में मुंबई पर हमला हुआ, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जुड़े थे और इस हमले में 170 लोग मारे गए । 2015 में गुरदासपुर में हमला हुआ और इसके बाद उड़ी में आतंकियों ने हमले किए। आतंकियों से जंग भारत की नई जंग नहीं है । लगभग दो दशकों से आतंकी हमलों से हमारे देश की ताकत को चुनौती दी जाती रही है। हालांकि, हर आतंकी हमला दुखद है और भयानक है, लेकिन पुलवामा में हुआ हमला कहता है कि इस हमले को कभी भूलना नहीं होगा। विभिन्न आतंकियों संगठनों की जमीन पाकिस्तान को उचित जवाब की आवश्यकता है। भारत में हर आदमी बदले के लिए व्याकुल है और यही कारण है कि पुलवामा हमले के लगभग 12 दिन के बाद भारतीय वायु सेना के युद्धक विमानों ने बालाकोट पर हमला किया । इस हमले ने भारत की जनता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। शांति समर्थक हमारे देश ने इन हमलों के लिए कदम उठाया। अब आगे चुप रहना उचित नहीं होगा। हमें जवाबी कार्रवाई का हक है ,खास करके ऐसे समय में जब देश के गौरव को पाकिस्तान चुनौती देता हो। हमारे वीर सैनिकों को कोई चुनौती देता हो तो वे पाकिस्तानी सीमा में घुसकर आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद कर देंगे। भारतीय वायु सेना का हमला यह संदेश देता है कि अगर पाकिस्तान ने भविष्य में कोई गड़बड़ी की तो उसके साथ यही व्यवहार किया जाएगा । गीता में कृष्ण ने कहा है
"अहिंसा परमो धर्म:, धर्म हिंसा तथैव च।"
गीता ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है कि सत्य की रक्षा के लिए और असत्य के विनाश के लिए हथियार उठाना उचित है । पाकिस्तान जब हमारे देश पर हमला करता है तो उलट कर जवाब देना उचित है। भारत ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि हम अब आतंक बर्दाश्त नहीं कर सकते। अगर, पाकिस्तान अपनी राह नहीं बदली तो हमारे सैनिक उसके यहां पनाह ले रहे आतंकियों को मार डालेंगे।
बालाकोट पर हमले के दूसरे दिन पाकिस्तानी वायु सेना ने नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश की और उस दौरान जो झड़प हुई उसमें वायु सेना का एक पायलट अभिनंदन पकड़ा गया। क्योंकि उसके विमान को गिरा दिया गया था। पाकिस्तानी कैद में 60 घंटे बिताने के बाद अभिनंदन को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया। भारत में उसका भारी स्वागत हुआ। अभिनंदन ने देशवासियों के दिलों को जीत लिया। यह बड़े शर्म की बात है कि भारत में कुछ लोगों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाया। उन्होंने यह नहीं देखा दुनिया भर में पाकिस्तान की थू थू हो रही है। सवाल उठता है कि जो लोग पाकिस्तान को लेकर नरम हैं क्या वे आतंकवाद के प्रति भी नरम हैं। यह बात समझने में कुछ लोगों को कठिनाई हो सकती है लेकिन यह तथ्य स्पष्ट है कि दुनिया भर में जितनी भी आतंकी कार्रवाई होती है उस से पाकिस्तान किसी न किसी तरह से जुड़ा हुआ है । खुद को परमाणु बमों की आड़ में छुपा कर वह आतंकी संगठनों को बढ़ावा देता है । भारत ने बहुत बर्दाश्त किया । अब पाकिस्तान को चाहिए कि वह आतंकी ढांचे को समाप्त कर दे। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो भारत आगे कार्रवाई करने में डरेगा नहीं।
पाकिस्तान को ध्यान में रखना चाहिए कि यह इंदिरा गांधी की जमीन है। एक ऐसी प्रधानमंत्री जिस ने पाकिस्तान को टुकड़े कर दिया । भारत की बदकिस्मती कहिए और पाकिस्तान की खुशकिस्मती कि उन के बाद कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री ऐसा नहीं हुआ जो भीतरी और बाहरी दुश्मनों से उसी बहादुरी के साथ मुकाबला कर सके । आज जैसा हम देखते हैं राजनीतिक बड़बोलापन राष्ट्रीय संप्रभुता पर भारी पड़ता जा रहा है। इंदिरा जी ने कभी नहीं कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ किया। लेकिन आज राष्ट्रवाद सियासत में बदलता जा रहा है। भारत को अमरीका से सबक लेनी चाहिए। 9/11 की घटना के बाद अमरीका ने आतंकियों को खत्म करने का संकल्प ले लिया। भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए। हम भारतीयों को अपनी सेना पर संपूर्ण भरोसा है। उनके पास क्षमता है ,शौर्य है और संकल्प है। वे जब चाहें सफलतापूर्वक आतंकी शिविरों को नष्ट कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह पाकिस्तान पर कड़ी नजर रखे। पाकिस्तान की बातों में ,खास करके शांति की बातों में ना आए।
हां आतंकवाद से मुकाबले के समय हमें और पूरे देशवासियों को यह बात दिमाग में रखनी होगी की यह युद्ध पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ है ना कि कश्मीरियों के खिलाफ। यह तय है कि जब तक पाकिस्तान कायम रहेगा वह जम्मू कश्मीर और पंजाब में आतंकवाद फैलाता ही रहेगा। पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है और उसके साथ उसी की तरह सलूक करना चाहिए । इसलिए हमें पुलवामा को भूलना नहीं चाहिए।
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