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Monday, August 19, 2019

बातें अब अधिकृत कश्मीर पर ही होंगी

बातें अब अधिकृत कश्मीर पर ही होंगी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान से बातें अब केवल अधिकृत कश्मीर पर ही होंगी या नहीं होंगी।भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया की वर्तमान भारत के कब्जे वाले कश्मीर पर अब कोई बातचीत नहीं होगी। इसके पहले पाकिस्तान ने कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने को देखकर काफी बवाल मचाया था। वह इस मामले पर दुनिया के कई देशों की चौखट पर पेशानी रगड़ रहा था, पर कोई लाभ नहीं हुआ। कुछ ने  तो इस पर ध्यान ही नहीं दिया और कुछ ने कहा कि यह भारत का आंतरिक  मामला है ,बस बात खत्म हो गई। अब पाकिस्तान एक दूसरे शिगूफेबाजी में लगा है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि " हिंदू सर्वोच्चतावादी और फासीवादी  मोदी सरकार  के नियंत्रण में  भारत के परमाणु भंडार की सुरक्षा के बारे में दुनिया को चिंता करनी चाहिए । " उन्होंने कहा कि "यह एक ऐसा मसला है जिससे केवल यह क्षेत्र ही प्रभावित नहीं होगा। बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर होगा। " दरअसल ,2 दिन पहले सुरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत परमाणु शक्ति के पहले इस्तेमाल वाले नियम पर दोबारा सोच सकता है। उनके इस कथन से इमरान खान की घिग्घी बंध गई है। इसके बाद इमरान खान लगातार ट्वीट कर रहे हैं । इमरान खान ने कहा कि " कश्मीर में लगभग 9लाख कश्मीरियों को भारत से खतरा है । वहां सूचना पर पाबंदियों  और संचार को ठप किए जाने की भारत सरकार की कार्रवाई की इमरान खान ने नाजी जर्मनी के फासीवाद से तुलना करते हुए कहा इससे 90 लाख कश्मीरी दो हफ्तों से बंद पड़े हैं और पूरी दुनिया में इसे देखकर खतरे की घंटी बज रही है। राष्ट्र संघ के पर्यवेक्षक वहां भेजे जा रहे हैं।"
        दूसरी तरफ भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हरियाणा की  एक रैली  में कहा कि कश्मीर में धारा 370 उसके विकास के लिए हटाई गई है। हमारा पड़ोसी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दरवाजे खटखटा रहा है और कहता फिर है कि भारत ने गलती की है। अब तो पाकिस्तान से बातें केवल अधिकृत कश्मीर पर ही होंगी।"
    कश्मीर के मामले पर पाकिस्तान को चीन भी शह दे रहा है।  पिछले हफ्ते फिल्म यह मामला राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में उठाया था, लेकिन राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद ने इस पर कुछ नहीं कहा। लगभग 5 दशकों के बाद जम्मू कश्मीर की स्थिति पर मसला उठा था। वैसे भारत द्वारा कश्मीर में लागू धारा 370 को हटाए जाने के कारण भारत और दुनिया भर को चकित करने की जम्मू कश्मीर की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खींचने का पाकिस्तान का यह अभियान आरंभ हुआ है। मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करना पाकिस्तान के भीतर भय का सबूत है। अमरीका और फ्रांस द्वारा  इसे भारत का   अंदरूनी मामला कहे जाने से स्थिति बदलती नजर आ रही है। क्योंकि इस पर सुरक्षा परिषद में बहस नहीं हो सकती है और कोई महत्वपूर्ण बयान या संकल्प जारी नहीं हो सकता है। अब से कोई पांच दशक पहले शीत युद्ध के जमाने में कश्मीर जब सुरक्षा परिषद के एजेंडे में था तो रूस ने भारत के पक्ष में इस पर वीटो कर दिया था और कहा था किसे भारत और पाकिस्तान दोनों मिलकर सुलझा लें। ब्रिटेन ने परोक्ष रूप से इस मामले में फिलहाल चीन का साथ दे रहा है फिर भी सुरक्षा परिषद  कश्मीर के मामले को उठाए जाने को लेकर दुनिया का सामूहिक मत भारत के पक्ष में है ।  इस संबंध में पाकिस्तान की चीख पुकार को भारत आसानी से नजरअंदाज कर सकता है लेकिन चीन की मदद से पाकिस्तान के सुरक्षा परिषद में दोबारा जाने को भारत नहीं नजरअंदाज कर सकता।  अगली बार सुरक्षा परिषद में क्या होगा यह कश्मीर की स्थिति पर निर्भर करता है। कश्मीर में किसी तरह की कानून और व्यवस्था में  गड़बड़ी और वहां के नागरिकों के खिलाफ दिल्ली द्वारा सुरक्षाबलों के इस्तेमाल से भारत के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय समर्थन घट सकता है। नियंत्रण रेखा पर  मोर्चाबंदी और फौजी जमाव में वृद्धि को अंतरराष्ट्रीय समुदाय अंतरराष्ट्रीय खतरे की तरह मान सकता है ।  यह स्थिति सुरक्षा परिषद के हस्तक्षेप का आधार बन सकती है।  अगर ऐसा होता है तो भारत को तीन तरफा हमले का खतरा है। पहला  पाकिस्तान घाटी में आतंकवाद को खुला छोड़ सकता है । इससे सेना के हस्तक्षेप में वृद्धि हो सकती है और नियंत्रण रेखा पर भी सरगर्मियां बढ़ सकती हैं। चीन  ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद में पूरा समर्थन करने का आश्वासन दिया है। दिल्ली के पास कोई और विकल्प खोजने का वक्त नहीं रह गया है।  चीन भारत की सीमा पर फौज की तैनाती बढ़ा सकता है क्योंकि भारत ने कश्मीर में यथास्थिति को परिवर्तित कर उसके सार्वभौमिक हितों को चुनौती दी है।  भारत के खिलाफ चीन में बढ़ते राजनीतिक मतभेद से यह संकेत मिलते हैं कि  भारत को अभी से इसके मुकाबले की रणनीति बनानी होगी। इसमें विफलता का क्या परिणाम होगा वह भारत को मालूम है।
वैसे भी पाकिस्तान की यह चीख- पुकार का कोई मतलब नहीं है। दुनिया ने देखा-समझा है उसके झूठ को। कुछ दिन पहले तक वह कहता चल रहा है था कि बालाकोट हमले को लेकर भारत झूठ बोल रहा है । ऐसा कोई हमला हुआ ही नहीं। अब इमरान खान साहब रो - रो कर कह रहे हैं कि भारत बालाकोट से भी बड़े हमले की तैयारी में लगा है। इसका सीधा अर्थ है कि वह बालाकोट हमले को स्वीकार कर रहा है।
         

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