पर्यावरण शुद्धि की ओर पहला कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम मन की बात में कहा कि अगले 2 अक्टूबर से प्लास्टिक के प्रयोग के खिलाफ जन आंदोलन आरंभ करें । मोदी जी ने 2 अक्टूबर की तारीख इसलिए रखी है उस दिन महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं जयंती आरंभ हो रही है और महात्मा गांधी भारत की और इसकी जनता की प्रगति के लिए स्वच्छता पर बहुत विश्वास करते थे। मन की बात कार्यक्रम में मोदी जी ने कहा कि हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे हम केवल खुले में शौच से मुक्त भारत के प्रति प्रतिबद्धता ही नहीं व्यक्त करेंगे बल्कि उसी दिन से भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने का आंदोलन भी आरंभ करेंगे। इस बार हमारा जोर प्लास्टिक पर होगा। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से हमने लोगों से अनुरोध किया कि एक सौ 25 करोड़ जनता अगर इससे जुड़ जाए तो यह काम पूरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के इस विशाल अभियान में जनता को पूरी ताकत और उत्साह से जुड़ जाना चाहिए। प्रधान मंत्री ने देश में कुपोषण के मसले को भी रेखांकित किया और कहा कि सितंबर का महीना देशभर में "पोषण अभियान" के रूप में मनाया जाएगा।
यहां यह गौर करने लायक है कि आजादी के बाद से ही हमारे देश के नेताओं का विश्वास रहा है कि वह दुनिया को नैतिक नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं और इसकी उनमें अनोखी क्षमता है। जब भारत गणराज्य बना था तो उस समय उसके पास धन नहीं था लेकिन भारत के नीति निर्माताओं ने कूटनीति में भारत के नैतिक और प्रतीकात्मक नेतृत्व पर जोर दिया। जब भारत साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ रहा था उसी समय वह एक बड़ी आवाज बन गया और उपनिवेशवाद के बाद के समय में उदारवादी अंतर्राष्ट्रीय संवाद का अगुआ बन गया । भारत ने नस्लवाद का विरोध किया। उस समय हमारा देश दुनिया की महा शक्तियों के खिलाफ के साथ नहीं था और किसी महाशक्ति का दामन पकड़ने से बेहतर उसने गुटनिरपेक्षता पर जोर देना समझा। आजादी के बाद का भारत का इतिहास इन्हीं नैतिकता वादी अपेक्षाओं पर चलने का इतिहास रहा है। इसी के बाद आया समेकित विकास का नया मानक जिसमें भारत में आर्थिक विकास को अधिकारों पर आधारित बताया गया। अब मोदी का वक्त आया और मोदी एवं अमित शाह की जोड़ी ने भारत को विश्व गुरु बनाने का अभियान आरंभ किया। इस बड़े लक्ष्य की पूर्ति के लिए राष्ट्र संघ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे छोटे-छोटे काम आरंभ किये। मोदी जी ने प्लास्टिक पर रोक का जो अभियान शुरू किया है वह हमारे देश के जलवायु को प्रदूषण मुक्त करने में पहला कदम है। हमारे देश में प्रदूषण की समस्या इतनी भयानक है कि 2 वर्ष पहले जारी "एयर पोलूशन एंड चाइल्ड हेल्थ: प्रेस्क्राइबिंग क्लीन एयर" की रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में वायु प्रदूषण से मरने वाले 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या लगभग एक लाख थी। यह दुनिया में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का पांचवा भाग है। इन मौतों में 5 वर्ष से कम आयु की बच्चियों का अनुपात 55% और 5 से 14 वर्ष की आयु के बीच यह बढ़कर 57% के लगभग हो जाता है। यदि हम भारत की तुलना अन्य पड़ोसी देशों से करें तो बांग्लादेश में 11,487, भूटान में 37 ,चीन में 11,377, म्यांमार में 5,543, नेपाल में 2,086, पाकिस्तान में 38,252 है। यानी प्रति एक लाख बच्चों पर यह आंकड़ा 96. 6 बच्चियों का और 74.3 बच्चों का है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि हमारे देश में प्रदूषण से ज्यादा खतरा बच्चियों को है। भारत में बढ़ता हुआ प्रदूषण एक चिंता का विषय है और हम अभी तक इस पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं। भारत खुद को विश्व गुरु बनाने के लिए कदम बढ़ा चुका है और इसमें सबसे जरूरी है कि वह प्रदूषण पर नियंत्रण करे। पर्यावरण से जुड़े मामलों को देखने के लिए हमारे देश में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण भी गठित हुआ है। साथ ही कई कार्यक्रम समय-समय पर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं । इसके बावजूद पर्यावरण के प्रति लोगों में चेतना नहीं जग पा रही है। जब तक इससे यानी पर्यावरण मुक्ति अभियान से आम जनता नहीं जुड़ेगी तब तक कुछ हो पाना मुश्किल है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कदम के रूप में प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने के लिए चलाए जाने वाले अभियान में आम जनता को जोड़ने का प्रयास किया है। अगर यह प्रयास खुले में शौच बंद करने के अभियान की तरह सफल होता है तो निश्चय ही दूसरा चरण आरंभ होगा और इसी तरह हमारे देश में जनता की भागीदारी से यह अभियान पूरा किया जा सकता है । प्रधानमंत्री का या आह्वान बेशक सराहनीय है।
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