कुछ बहुत बड़ा हो रहा है, लेकिन क्या?
कश्मीर में बहुत जल्दी कुछ बड़ा होने वाला है लेकिन क्या होने वाला है इस पर गंभीर विभ्रम है। शनिवार को पाकिस्तान के बॉर्डर एक्शन ट्रूप के कुछ कमांडो ने हमला कर दिया और भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में कुछ कमांडो मारे गए। उधर, सुरक्षा कारणों से अमरनाथ यात्रा रोक दी गई है। घाटी में अफरा तफरी है । राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि यात्री हमारी जिम्मेदारी हैं और हम उन्हें सकुशल वापस पहुंचाएंगे। दूसरी तरफ , घाटी के लोगों में भयानक दहशत फैल गई है और वह अपने खाने-पीने के सामान खरीद कर इकट्ठा कर रहे हैं। सरकार बार-बार कह रही है की धारा 35 ए को फिलहाल हटाया नहीं जा रहा है और सुरक्षा बलों की तैनाती केवल सुरक्षा कारणों से की जा रही है। सरकार खासकर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बार बार यह कह रहे हैं कि इस तरह के अफवाह राजनीतिक दल फैला रहे हैं। कुछ भी निश्चित का पाना बड़ा कठिन है। कश्मीर के नेता उमर अब्दुल्ला बार-बार पूछ रहे हैं कि अगर खतरा नहीं है तो यात्रा क्यों रोकी गई? उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद बताया कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है। राज्य के अफसरों से पूछा जाता है तो वह कहते हैं कुछ हो रहा है लेकिन क्या किसी को मालूम नहीं है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले राजनीतिक नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमला ना हो जाए इसलिए यात्रा रोकी गई है। सुरक्षा एजेंसियों को खबर मिली है कि बड़े पैमाने पर आतंकी हमले की साजिश रची जा रही है। इसलिए यात्रा को रोकना केवल एक सुरक्षात्मक कदम है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह किसी भी संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन का कोई प्रयास नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि विगत कुछ दिनों से कश्मीर में अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती हुई है। अमरनाथ यात्रा रोके जाने से चारों तरफ हड़कंप मचा हुआ है अभी यात्रा में 10 दिन बाकी हैं और जानकारों का कहना है कि देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। सन 2000 में अमरनाथ यात्रियों पर हमले हुए थे और बहुत यात्री तथा नागरिक मारे गए थे। तब भी ऐसी एडवाइजरी नहीं जारी की गई थी। कभी कश्मीर के सदरे रियासत रहे डॉ करण सिंह ने भी अमरनाथ यात्रा रोकी जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि एक या दो स्नाइपर मिलने से अगर यात्रा रोक दी जाती है तो यह हजम होने वाली बात नहीं है। क्योंकि, ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। राज्य में सुरक्षा के लिए पहले से ही बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। इसके बाद भी लगभग तीस हजार सुरक्षा कर्मियों की तैनाती हुई है। डॉ. कर्ण सिंह ने कहा, 70 साल के सार्वजनिक जीवन में मैंने जम्मू कश्मीर में कई मुश्किल परिस्थितियों देखी हैं लेकिन फिलहाल जो हुआ है वैसा कभी नहीं हुआ। अमरनाथ की यात्रा कभी बंद नहीं की गई । यह शिव भक्तों के लिए गहरा आघात है। उन्होंने कहा कि पवित्र छड़ी का हर साल हर हाल में अमरनाथ की गुफा में पहुंचना होता है। अगर वह नहीं पहुंचती है इसे बढ़ा अशुभ माना जाता है। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में जो हालात बना दिए गए हैं इससे तो सारा विकास ही ठप हो जाएगा।
अब यहां सवाल उठता है कि कश्मीर में आखिर हो क्या रहा है? सब यही पूछते हैं। अटकलें कई हैं। क्या सरकार संविधान की धारा 35 ए या संविधान की धारा 370 को रातों-रात खत्म कर देना चाहती है या मोदी सरकार राज्य को तीन टुकड़ों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर देना चाहती है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो यह कश्मीरियों को भारत से और अलग कर देगा तथा यह भारत के हित में नहीं होगा। या फिर य राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को अत्यंत चुस्त करने का प्रयास है ताकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी स्वाधीनता दिवस के दिन लाल किले के बदले लाल चौक से भाषण दे सकें। कश्मीर में आतंकी हमले का भय है इसलिए एहतियात के तौर पर यह कदम उठाए जा रहे हैं। इस बात पर मोदी भक्तों के सिवा कोई यकीन नहीं कर रहा है। भारत में आज भारी ध्रुवीकरण हो गया है । संयोगवश मोदी के विरोधी राष्ट्रीय सुरक्षा के फंदे में फंस गए हैं। हो सकता है सोमवार को मोदी सरकार यह घोषणा करें कि बहुत बड़ा खतरा टल गया और सरकार ने हिंदू तीर्थ यात्रियों की जान बचाई जा सकी। यहां एक अजीब स्थिति हो गई है। अगर तीर्थ यात्रियों पर हमले हो जाते है यही मोदी विरोधी लोग पानी पी पीकर कोसेंगे कि सरकार खुफिया तंत्र नाकाम है। अब अगर सरकार खुफिया सूचनाओं पर काम करती है तब भी वह नाराज है ।
देश को बेचन रखने का सरकार के लिए खास फायदा है विशेष तौर पर इससे लोगों का ध्यान बट जाएगा और मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था के डूबने पर लोग ध्यान नहीं देंगे। क्यों वह वास्तविक आतंक नहीं है । यही नहीं जितनी अव्यवस्था फैल जाएगी उतना5 ही राजनीतिक लाभ होगा घाटी की ताजा स्थिति जहां 35 ए को हटाए जाने की खबर बेचैनी पैदा कर रही है वही घाटी में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं बढ़ने और वहां के नागरिकों को मिलने वाली आजादी में कटौती की आशंका भी पैदा हो रही है। ऐसी स्थिति में सरकार की खामोशी से अस्थिरता और डर बढ़ रहा है । कहीं ऐसा तो नहीं कि राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह चुप्पी जानबूझकर कायम रखी गई हो। जम्मू कश्मीर में 2 महीनों के बाद चुनाव होने वाले हैं। जितना अव्यवस्था फैल जाएगी उतना ही कम मतदान होगा और इससे दक्षिण कश्मीर तथा उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में बीजेपी को लाभ मिल सकता है बीजेपी के कुछ मुख्य सदस्यों को हाईकमान ने मंगलवार को दिल्ली तलब किया है इससे भी राजनीतिक लाभ वाले सिद्धांत को बल मिलता है साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़ी चालाकी से अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष कश्मीर पर मध्यस्था की पेशकश कर दी है। यह सही समय है जब आतंकी और रावलपिंडी में बैठे उनके आका कश्मीर पर हमले कर दें ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय क्य कर इस ओर ध्यान देना शुरू कर दे कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मसाला बनाना हमेशा से उनका एजेंडा रहा है कुल मिलाकर घाटी में कुछ तो ऐसा हो रहा है जिस के लक्षण शुभ नहीं है लेकिन क्या यह पता नहीं चल रहा है।
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