चिदंबरम गिरफ्तार अब आगे क्या?
भारत के पूर्व वित्त मंत्री एवं गृह मंत्री पी चिदंबरम को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में 4 दिन की हिरासत में भेज दिया। 28 घंटे के हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद यह गिरफ्तारी हुई। देश की इलीट जांच एजेंसियां इस गिरफ्तारी में 28 घंटे तक सांप और सीढ़ी का खेल खेलती रहीं। विगत 28 घंटों से चिदंबरम की खोज चल रही थी। चिदंबरम हठात कांग्रेस मुख्यालय आ गए और प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। उनके साथ कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और मल्लिकार्जुन खड़गे भी थे। गिरफ्तारी कुछ इस ढंग से हुई जैसे किसी शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया जा रहा हो। सीबीआई के लोग दीवार फांद कर चिदंबरम के घर में घुसे इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ता भी आ गए थे और सीबीआई टीम तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई की नौबत भी आ गई। हालात को संभालने दिल्ली पुलिस को भी आना पड़ा। आखिर में घर का दरवाजा खुला औलर सीबीआई की गाड़ी भीतर आई। थोड़ी देर के बाद चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया गया।
उनकी गिरफ्तारी आई एन एक्स मीडिया केस में हुई है। हालांकि यह मामला पहले से ही चर्चा में था लेकिन इसके दायरे में केवल पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम ही थे और अब सीबीआई तथा ईडी ने उन्हें भी लपेट लिया। सीबीआई का आरोप है कि 2007 में बतौर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया विदेशी निवेश के लिए गैर कानूनी तरीके से मंजूरी दी थी। इस मंजूरी के फलस्वरूप आई एन एक्स मीडिया में 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश आया, जबकि अनुमति केवल 5 करोड़ की थी। इसके बाद विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी दिलाने के आरोप में चिदंबरम जांच के दायरे में आ गए। सीबीआई का कहना है की इस मंजूरी के लिए पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम से भेंट की थी। आईएनएक्स मीडिया मामले में पहला एफ आई आर 15 मई 2017 को दर्ज हुआ था। इसके बाद जांच शुरू हो गई। उधर ईडी ने मनी लांड्रिंग का मामला दायर कर कार्यवाही शुरू कर दी थी। शुरुआत से ही चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ने लगीं। कई बार चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी लेकिन उन्हें अदालत से जमानत मिल गई।
यह एक दिलचस्प संयोग है कि जब चिदंबरम गृह मंत्री थे तो अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख नकली मुठभेड़ केस में खून के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आज अमित शाह गृह मंत्री हैं और चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया है। 2014 से ही नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को हवा दे रही है, खासकर चुनाव के आसपास। लेकिन यह विशिष्ट मामला भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान का नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तो भाजपा के कई भ्रष्टाचार लांछित नेताओं के खिलाफ भी जांच होती। यह भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक खास एजेंडे का उदाहरण है।
चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद देश में राजनीतिक नाटक शुरू हो गया है। कांग्रेस ने चिदंबरम के साथ खड़े होने की बात कही है और मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर कहा है कि" ऐसी सरकार जो सच बोलने पर अपने नागरिकों पर अत्याचार करती है वह वास्तव में ऐसा करके बार-बार अपने कायरता पूर्ण रवैये का प्रदर्शन करती है।" राहुल गांधी ने कहा कि "यह चिदंबरम का चरित्र हनन है। मोदी सरकार ईडी तथा सीबीआई को यूज कर रही है।" प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि "सरकार बड़े ही शर्मनाक ढंग से चिदंबरम के पीछे पड़ी है, क्योंकि वे बेहिचक सच बोलने और सरकार की नाकामियों को सामने लाने वाले नेता हैं।" कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि " भारत अब तक की बदले की सबसे खराब राजनीति का गवाह बन रहा है और यह मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है।" आनंद शर्मा ने सवाल उठाया कि " क्या भाजपा में सब साधु संत ही हैं। कई ऐसे नेता है जो हमारी पार्टी या तृणमूल कांग्रेस या किसी अन्य विरोधी पार्टी में रहते हुए जांच के घेरे में थे लेकिन भाजपा में शामिल होते ही सब संत हो गए। उनके खिलाफ जांच बंद हो गई।"
यहां यह महत्वपूर्ण है कि न्याय प्रक्रिया को कानून के अनुसार और पूरी पारदर्शिता के साथ कदम आगे बढ़ाना चाहिए ताकि राजनीतिक ध्रुवीकरण के काल में इस मामले पर प्रतिशोध के आरोप न लगाए जा सकें।
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