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Monday, August 26, 2019

जल्दी ही भारत में उपद्रव की आशंका

जल्दी ही भारत में उपद्रव की आशंका

कश्मीर का बदला लेने के लिए आई एस आई ने शुरू की मोर्चाबंदी, चीन का सहयोग
नकली समझौते के बल पर पीओके पर पाकिस्तान का शासन
हरिराम पांडेय
कोलकाता: कश्मीर में नई स्थिति के बाद पाकिस्तानी सेना ने कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारत में अशांति फैलाने के लिए फिर से जिम्मेदारी दी है और चीन उसकी मदद कर रहा है। यहां कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक सोमवार को ढाका के गुलशन क्षेत्र में आई एस आई के कुछ अफसरों के साथ जेएमबी के नेताओं की लंबी बैठक हुई। इसमें कुछ चीनी भी उपस्थित थे। सूत्रों के मुताबिक ये चीनी फौज की खुफिया इकाई के अफसर थे।  भूटान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद चीन के घटते वर्चस्व के कारण बीजिंग में बौखलाहट है और उधर बार-बार हमारी सरकार पीओके की बात कह रही है ।आशंका है कि इस बार यह केवल जुमलेबाजी नहीं है बल्कि इसमें गंभीरता भी है। एक विदेशी राजनयिक ने सन्मार्ग को बताया  कि पाकिस्तान के खिलाफ अधिकृत कश्मीर और गिलगित- बाल्टिस्तान में भी धीरे-धीरे गुस्सा पनप रहा है। उपरोक्त राजनयिक ने एक कश्मीरी कार्यकर्ता के बारे में बताते हुए कहा कि उस कार्यकर्ता के अनुसार जिस समझौते के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित - बाल्टिस्तान में  शासन कर रहा है वह समझौता ही नकली है। अभी हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की कश्मीर यात्रा के दौरान कथित रूप से उन्हें यह बात पता चली है और उसी के आधार पर बार-बार गृह मंत्री अमित शाह तथा सुरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पाक अधिकृत कश्मीर की बात कर रहे हैं। चीन को भी इससे थोड़ी शंका होने लगी है।
         सूत्रों के मुताबिक लगभग 59 वर्ष पहले यह गुप्त समझौता हुआ था और विदेशों में छुपे अधिकृत कश्मीर एवं गिलगित बाल्टिस्तान के नेता इसे पाकिस्तान की गद्दारी कह रहे हैं । इस समझौते के बल पर पाकिस्तान पीओके पर अपना अधिकार जमाए बैठा है। उस समझौते पर कथित रूप में  पीओके के संस्थापक राष्ट्रपति सरदार इब्राहिम खान, जम्मू कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के प्रमुख चौधरी गुलाम अब्बास तथा पाकिस्तान सरकार के प्रतिनिधि मुस्ताक गुरनामी  के हस्ताक्षर हैं।  लेकिन  गुलाम अब्बास  और इब्राहिम खान  के हस्ताक्षर  नकली बताए जाते हैं । पाकिस्तान ने इसी फर्जी समझौते के बल पर छल पूर्वक क्षेत्र पर कब्जा किया हुआ है। यह समझौता  कथित रूप से  28 अप्रैल 1949 को  पाकिस्तान  तथा  सरदार इब्राहिम  के बीच हुआ था। उपरोक्त राजनयिक के अनुसार संयुक्त कश्मीर पीपल्स नेशनल पार्टी के प्रवक्ता नासिर अजीज खान ने यह जानकारी दी है।  यह जानकारी किसी माध्यम से श्री अजीत डोभाल को भी प्राप्त हो गई है। नासिर खान और शौकत कश्मीरी आई एस आई के भय से विदेशों में छिपे हैं । उपरोक्त राजनयिक के मुताबिक चीनी कंपनियां इस्लामाबाद की शह पर गिलगित बाल्टिस्तान की सोने की खानों को लूट रहीं हैं । इसका विरोध करने वालों को आई एस आई अपहृत कर लेती है तथा उन्हें उत्पीड़ित करती है। जब से भारत के तरफ वाले कश्मीर से धारा 370 हटी है और उपरोक्त समझौते की पोल खुली है तो वहां आंदोलन शुरू हो गए हैं। इसी आंदोलन से भयभीत है पाकिस्तान की सरकार । भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर उपरोक्त राजनयिक ने बताया कि नासिर खान का मानना है कि पाकिस्तानी फौज को गुपचुप ढंग से पश्चिमी सीमा से पूर्वी सीमा की ओर भेजा जा रहा है। यह सीमा पीओके के नजदीक है। पीओके के नेताओं का मानना है की जल्दी ही यहां खूनी जंग आरंभ होने वाली है और आई एस आई यहां आतंक फैला सकती है। सूत्रों के मुताबिक आईएसआई ने नासिर खान का 1994 और 1998 में दो बार अपहरण किया और बाद में अमरीका के  हस्तक्षेप से उसे अफगानिस्तान की सीमा के पास मुक्त किया गया । इसी के बाद उसे देश छोड़ना पड़ा
        सूत्रों के मुताबिक नासिर खान और शौकत कश्मीरी राष्ट्र संघ में पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान के लिए समर्थन का बंदोबस्त करने में लगे हैं ताकि आई एस आई का पर्दाफाश किया जा सके। बात दब जाए इसलिए पाकिस्तान आई एस आई के माध्यम से भारत में उपद्रव फैलाने की कोशिश में लगा है । जैसी  खबर मिल रही है उससे तो लगता है की एक बार फिर कश्मीर के दोनों क्षेत्र भयानक संकट में पड़ जाएंगे साथ ही भारत में भी कई जगहों पर  उपद्रव हो सकता है। क्योंकि जेएमबी का बंगाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में पुराना अड्डा है इसलिए आई एस आई ने जेएमबी का उपयोग करने का फैसला किया है। खुफिया सूत्रों में चर्चा है कि कहीं इस सारे उपद्रव की शुरुआत बंगाल से ही ना हो और फिर वह आग की तरह देशभर में फैलने लगे।

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