आखिर हंगामा है क्यों बरपा?
कश्मीर का मसला धीरे धीरे अंतरराष्ट्रीय सरहदों की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में मंगलवार को कहा कि पूरा कश्मीर हमारा है, यानी पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन। अमित शाह बात पर चीन ने गहरी आपत्ति जताई है और चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि "भारत कानूनों में सुधार कर चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता पर एक तरफा हमला कर रहा है ,यह काम अमान्य है।" अमित शाह जब कहा कि अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी हमारा है तो इस कथन के साथ ही मामला अंतरराष्ट्रीय सरहदों की ओर इशारा करने लगा। पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में आतंकियों को प्रवेश कराने की पुरानी प्रक्रिया में तेजी की खबर मिल रही है। साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू कश्मीर के मामले पर आग बबूला होते हुए कहा है कि " इस तरह का नजरिया अपनाने से पुलवामा जैसी घटना का फिर से होना निश्चित है। " उन्होंने मंगलवार को अपने देश के पार्लियामेंट में कहा कि " मैंने यह पहले से ही चेता दिया है वे लोग हम पर हमला कर सकते हैं। यदि वे हमला करते हैं तो हम भी पलट कर हमला करेंगे लेकिन इसके बाद क्या होगा? वह हमला करेंगे हम जवाब देंगे और अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे। लेकिन इसके बाद विजयी कौन होगा कोई नहीं? जीतेगा और इसका समूची दुनिया पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यह परमाणु ब्लैकमेल नहीं है।" नेशनल असेंबली के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि "सरकार चाहती थी कि रिश्ते अच्छे हो क्योंकि इससे दोनों देश है की आर्थिक स्थिति को विकसित करने मदद मिलेगी।" इमरान खान ने कहा कि मैंने जब पहली बार भारत से बात की तो "उन्होंने क्षोभ जाहिर किया और कहा कि आतंकी संगठन पाकिस्तान से संचालित होते हैं। मैंने बताया कि आर्मी पब्लिक स्कूल के हत्याकांड के बाद पाकिस्तान के राजनीतिज्ञों ने संकल्प लिया कि वे अपनी धरती का आतंकवाद के लिए उपयोग नहीं होने देंगे। लेकिन अब मुझे महसूस हो रहा है कि भारत इन सब बातों पर गंभीर नहीं है।"
इमरान खान ने कहा कि " हम इस हालात से दुनिया को वाकिफ कराएंगे और और इसकी जिम्मेदारी हम खुद लेते हैं ।मुझे लगता है कि पश्चिमी दुनिया और पाकिस्तान दोनों एक ही तरफ से सोचते हैं लेकिन उन्हें कश्मीर के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। हम उन्हें बताएंगे कि वहां भारत की सरकार क्या कर रही है और मुसलमानों तथा अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है। तब दुनिया इसको समझेगी।" उधर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने कहा है कि " उनकी फौज कश्मीरियों की मदद के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है।"
चीन ने भी स्थिति पर नाखुशी जाहिर की है। चीन ने मंगलवार को कहा कि " कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है उससे वह बहुत चिंतित है।" खास तौर पर चीन ने लद्दाख को पृथक केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने पर चिंता जाहिर की है। हालांकि भारत ने चीन की इस बात का उत्तर देते हुए कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। भारत किसी भी देश के आंतरिक मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करता उसी तरह उम्मीद भी करता है कि दूसरा देश ऐसा ही करे। यह बात ऐसे समय में हुई है जब कुछ महीनों के बाद ही सीमा समस्या पर भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री तथा स्टेट काउंसलर वांग मैं बातें होने वाली हैं और विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी महीने 11 अगस्त को दो दिवसीय यात्रा पर बीजिंग जाने वाले हैं । चीन 1950 से ही अक्साई चीन पर अपना दावा करता आया है और 1962 के युद्ध के बाद उसने इस पर कब्ज़ा कर लिया। एक साल के बाद पाकिस्तान ने भी अधिकृत कश्मीर का एक हिस्सा चीन को दे दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने सन 2000 में यह मामला उठाया था, लेकिन कुछ नहीं हो सका। इस मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अभी तुरंत यह मामला शायद नहीं उठाएगा। लद्दाख सदा से भारत का हिस्सा रहा है यह भी सच है चीन लद्दाख और अधिकृत कश्मीर के कुछ हिस्सों पर दावा करता आया है। लेकिन अभी कुछ कहने का मतलब है कि वह पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक चलाना और चीन ऐसी स्थिति से बचना चाहेगा।
वैसे यह बता देना जरूरी है कि जिस धारा 370 पर इतना विवाद हो रहा है और जिसे लेकर बहुत बड़ी बड़ी बातें की जा रही है वह भारत की एकता और अखंडता से नहीं जुड़ा है वह महज कश्मीर को कुछ स्वायत्तता देने के मामले से जुड़ा है। जो लोग इसे भारत की एकता और अखंडता से जोड़ रहे हैं वह गुमराह कर रहे हैं। समानता और एकता दोनों अलग अलग स्थितियां हैं। विविधता के साथ एकता ज्यादा दिन तक कायम रह सकती है। जैसा देश के अन्य भागों में दिखाई पड़ता है। इसलिए धारा 370 को हटाया जाना एक बहुत ही बुद्धिमानी भरा कदम है और इस पर भारत सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए नाकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाती पिटनी चाहिए और ना ही हंगामा खड़ा करना चाहिए।
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