वैश्विक कूटनीति में पाकिस्तान की करारी हार
अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों के बल पर कश्मीर के मामले को उलझाते पाकिस्तान को उस समय करारी कूटनीतिक हार मिली जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिआरिट्ज़ में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कह दिया की कश्मीर का मसला भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष को मध्यस्थता करने की जरूरत नहीं है। ट्रंप ने भी कहा कि "उन्होंने और मोदी ने रविवार की रात कश्मीर के बारे में काफी विचार विमर्श किया और उन्हें लगता है कि भारत और पाक इसका समाधान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वास्तव में यह लगता है कि स्थिति नियंत्रण में है वह कुछ ऐसा करेंगे जो काफी अच्छा होगा।" ट्रंप ने कहा कि नरेंद्र मोदी और इमरान खान दोनों से उनके अच्छे रिश्ते हैं । वे समझते हैं कि मोदी और इमरान खान मिलकर खुद ही मुद्दे का समाधान कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा हम व्यापार के बारे में बातें कर रहे हैं हम सैन्य और दूसरी चीजों पर बातें कर रहे हैं । हमारे बीच हुई शानदार चर्चा में मैंने भारत को जाना।
बाद में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच 40 मिनट तक वार्ता हुई, जो अत्यंत उत्साहवर्धक थी तथा सकारात्मक थी। किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर वार्ता के दौरान डोनाल्ड ट्रंप की बॉडी लैंग्वेज पहली बार इतनी प्रफुल्ल थी कि वार्ता का कोई कूटनीतिक मतलब निकालने का सवाल ही नहीं उठता। दोनों विश्व नेता जी 7 सम्मेलन के दौरान मिले थे।
उधर कश्मीर मामले में एक के बाद एक पराजय मिलने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहले से ही बौखलाए हुए हैं। मोदी ट्रंप की मुलाकात के बाद यह बौखलाहट और बढ़ गई है। इस मुलाकात के बाद इमरान खान ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि हम भारत के खिलाफ कार्रवाई को समझ पाएं तब तक उन्होंने कश्मीर को अपना हिस्सा बना लिया। राष्ट्र संघ में पराजय का औचित्य बताते हुए इमरान खान ने कहा कि राष्ट्र संघ की यह जिम्मेदारी है कि वह कमजोर के साथ खड़ा हो लेकिन वह हमेशा ताकतवर का साथ देता है। उन्होंने एक तरह से धमकी देते हुए कहा कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं और अगर जंग होती है तो दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया तबाह हो जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी फौज पीओके में तैयार है और हम किसी भी हद तक जाएंगे। इमरान खान ने अपने देशवासियों को बताया कि भारत ने बालाकोट की तरह पीओके पर भी हमले का प्लान बनाया था, लेकिन हमारी फौज पीओके में पूरी तरह तैयार है और भारत के लिए कोई भी करवाई मुश्किल है। इमरान खान ने कहा कि हमने भारत से बात की लेकिन उन्होंने पूरी कोशिश की कि पाकिस्तान को दीवालिया बना दिया जाए। उन्होंने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कराने की कोशिश की अब यह देखना है कि भारत आगे क्या करता है। इमरान खान ने कहा कि कुछ मुस्लिम राष्ट्र आज आर्थिक और अन्य कारणों से हमारे साथ नहीं हैं लेकिन आने वाले दिनों में वह हमारे साथ होंगे। 27 सितंबर को न्यूयॉर्क में राष्ट्र संघ में पूरी दुनिया को कश्मीर के बारे में बताने की बात कह रहे थे। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के हर मोड़ पर यह चर्चा उठाएंगे कि अस्सी लाख कश्मीरियों के साथ क्या जुल्म हो रहा है। उन्होंने घोषणा की की आने वाले शुक्रवार से 27 सितंबर तक 12:00 बजे से आधे घंटे तक हर हफ्ते एक कार्यक्रम होगा, जिसमें पाकिस्तान की पूरी जनता निकलेगी। जब तक कश्मीर को आजादी नहीं मिलेगी हम उनके साथ खड़े हैं।
कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया और पाकिस्तान तीखी प्रतिक्रिया देने लगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह स्पष्ट बता दिया कि कश्मीर का मसला दोनों देशों का आपसी मसला है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के किसी भी देश को इस मामले में मदद के लिए कष्ट नहीं देंगे और मुझे विश्वास है भारत और पाकिस्तान जो 1947 के पहले एक ही थे हम मिलजुल कर अपनी समस्याओं पर चर्चा भी कर सकते हैं और उनका समाधान भी। मोदी के इस बयान के साथ यह स्पष्ट हो गया कि मामला अब अंतरराष्ट्रीय फोरम में नहीं जाने वाला और जो कुछ भी होगा उसका हल यहीं निकलेगा और भारत-पाकिस्तान मिलकर ही निकालेंगे। वैसे मोदी का यह बयान कूटनीतिक रूप में काफी महत्वपूर्ण है और इससे गंभीर संदेश जाते हैं। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर के मसले मैं भारत पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश करते आए हैं लेकिन यह पहला मौका था जब अमरीकी राष्ट्रपति की मौजूदगी में भारत के प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि कश्मीर मसले में अमरीका समेत किसी भी देश को दखल देने की जरूरत नहीं है। मोदी के इस बयान के बाद ट्रंप का बयान भी काफी महत्त्व रखता है क्योंकि उन्होंने अपनी मध्यस्थता की बात नहीं दोहराई। ऐसी स्थिति में जियोपोलिटिकल तकाजा यह है कि पाकिस्तान अब दुनिया भर में जाकर गिड़गिड़ाना बंद करे ,परमाणु हथियार और फौज की गीदड़ भभकी दिखाना बंद कर दे तथा भारत के साथ बैठकर बातचीत कर एक रास्ता निकाले, यकीनन रास्ता कश्मीर के पुराने हालात से होकर ना गुजरता हो। उसका भला इसी में है।
0 comments:
Post a Comment