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Tuesday, November 12, 2019

हिंदू राष्ट्र से लेकर आर्थिक गतिरोध तक

हिंदू राष्ट्र से लेकर आर्थिक गतिरोध तक 

शनिवार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला दिया ,राम मंदिर वहीं बनेगा जहां 1992 तक बाबरी मस्जिद थी। यह फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण है और आस्था एवं देश को  तीन दशकों से  नियंत्रित करने वाली सियासत के दोराहे के चतुर्दिक घूम रहा है। अब कानूनी जंग खत्म हो गयी और देखना है कि इस बिंदु से वह कौन से दिशा होगी जिधर आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति अपना कदम बढ़ाएगी। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो हिंदू राष्ट्रवाद हाशिए पर खड़ा एक विचार था। 1947 के बाद के कुछ दशकों तक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी जनसंघ की  लोकसभा में बहुत मामूली उपस्थिति थी और यह पार्टी कुछ ही राज्यों में सिमटी हुई थी। जनसंघ से पार्टी का नया रूप बदलकर भारतीय जनता पार्टी हुआ और 1984 के लोकसभा चुनाव में इसे केवल 2 सीटें मिलीं। 1980 के दशक के आखिरी दिनों में राम जन्मभूमि का आंदोलन आरंभ हुआ और पूरे देश की राजनीतिक फिजां अचानक बदल गई। हिंदुत्व मुख्य हो गया। इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला। भाजपा ने एक कदम और आगे बढ़ाया और आंदोलन का उग्र स्वरूप सामने आया। बाबरी मस्जिद ढहा दी गई । इसके बाद राज्यों में हिंदुत्व की लहर फैल गई।  गौ मांस विरोधी कानून सख्त हो गया, धर्म परिवर्तन पर कठोर अंकुश लग गया तथा धर्मनिरपेक्षता मजाक की बात हो गई । भारतीय संघ ने  नई दिशा की तरफ कदम बढ़ाना शुरू किया वह कदम था हिंदू आईडियोलॉजी के लक्ष्य को प्राप्त करना।
        अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया और  इस फैसले ने एक तलाश है राम जन्मभूमि के आंदोलन को स्वीकृति दे दी यह समझने के लिए कि धर्म और सत्ता किस तरह आपस में घुल मिल गई फैसले को समझना जरूरी है सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर बनाने के लिए किसी निजी संस्था को आदेश नहीं दिया है, बल्कि मोदी सरकार द्वारा गठित एक ट्रस्ट को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जमाने में जो आदर्श, जो आईडियोलॉजी हाशिए पर थी और उस आईडियोलॉजी की बात करने के लिए या सत्ता के गलियारे हैं उस बात को सुने जाने के लिए चरमपंथी आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया गया था। वह आज भारत का सहज ज्ञान हो गया है। भाजपा ने हिंदू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया। हिंदुत्व के विकास में भारतीय जनता पार्टी के विकास अंतर्निहित हैं। जबकि 1986 में कोर्ट के आदेश पर बाबरी मस्जिद का ताला खुलवा कर वहां  पूजा करने के लिए  अनुमति दिए जाने के रूप में राम जन्मभूमि के आंदोलन को वस्तुतः कांग्रेस ने हवा दी थी लेकिन देखते ही देखते भाजपा ने उस पर कब्जा कर लिया है और ऐसा जन आंदोलन आरंभ किया जो बाबरी मस्जिद को जाता है। पड़ा और आज वहां मंदिर बनने जा रहा है जहां बाबरी मस्जिद थी। महज दो दशक बाद भाजपा को लोकसभा में साधारण बहुमत मिला और उसके बाद धीरे-धीरे उसकी पकड़  भारत राष्ट्र पर मजबूत होती गई। हमारे लिए यानी देश की जनता के लिए बहुत ही संतोष का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में राम मंदिर का मामला सुलझ गया। अब भाजपा एक ऐसी पार्टी नहीं है जिसे लोकसभा में केवल बहुमत हासिल है बल्कि एक ऐसी पार्टी बन गई है जो देश का विचार गढ़ रही है। जैसा कांग्रेस में 1947 के पहले और बाद में किया था अब जब भारत राष्ट्र का इतिहास दोबारा लिखा जाएगा तो यह काल स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। इन सारी स्थितियों से उभरकर एक निष्पत्ति सामने आती है वह है कि हिंदुत्व का विकास मुस्लिम विचारधारा को हाशिए पर धीरे-धीरे लाने के बाद ही हुआ और या आगे भी जारी रहेगा ,उदाहरण के लिए 2014 में लोकसभा में मुसलमानों का अनुपात 1951 के बाद सबसे कम था। सामाजिक आर्थिक आंकड़े भी बताते हैं की मुस्लिमों की आर्थिक स्थिति आज तक बहुत खराब थी। यहां तक कि दलितों के मुकाबले भी वह अच्छी नहीं थी। कानून भी बने तो वह भी कुछ ऐसे जो मुस्लिमों को अलग-अलग करने वाले थे। जैसे अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए केवल मुस्लिम ही दंडित किए जाएंगे। इधर अर्थव्यवस्था की हालत यह है कि गरीबों को जीवन यापन करना कठिन होता जा रहा है। गरीब रोटी का एक टुकड़ा नहीं मांग सकते हैं ।  पर सिक्किम मिल रहा है ,पीओके का झुनझुना बजाने को मिल रहा है। इस तरह की कई चीजें प्राप्त हो रही हैं। 2019 में तो कमाल ही हो गया। भाजपा के मन में यह बात थी कि अगर मंदिर बनता है या मंदिर के पक्ष में फैसला होता है तो यह भारत के लोगों का ध्यान आर्थिक गतिरोध तथा सामाजिक दुरावस्था से विचलित कर देगा। भाजपा जो चाहती थी वही हुआ। चारों तरफ  बात चल रही है कि अगले ही कुछ वर्षों में मंदिर का निर्माण हो जाएगा। यहां वास्तविकता यह लग रही है की बाबरी मस्जिद की जगह पर राम मंदिर बनाने का मुख्य लक्ष्य भारतीय राजनीति के दायरे में एक नई स्थिति का सृजन करना है जो अति राष्ट्रवाद के पर्दे में सारी कमियों को छुपा दे। शनिवार को जो फैसला आया फिर ठीक उसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुस्लिम पर्सनल लॉ समाप्त किए जाने की बात शुरू कर दी। अब केवल अयोध्या ही नहीं था हिंदुत्व विचारधारा के लोगों से अगर बात की जाए तो वह बताते हैं कि बहुत से मंदिर हैं जिन्हें तोड़कर मस्जिदें  बनाई गई है और आने वाले दिनों में इन मस्जिदों पर बात हो सकती है। वैसे उम्मीद नहीं है कि बहुत जल्दी इन चीजों के बारे में भी भाजपा बात करें लेकिन यह आवश्यक है कि जब जरूरत हुई तो यह पत्ते भी फेंके जा सकते हैं।


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