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Friday, November 8, 2019

देश को अयोध्या के फैसले का इंतजार

देश को  अयोध्या के फैसले का इंतजार 

जैसी उम्मीद है एक हफ्ते के भीतर चार दशकों  से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा।  बहस इस बात पर नहीं है कि फैसला किस पक्ष के लिए होगा या फैसले में क्या होगा? चिंता इस बात की है कि फैसले के बाद क्या होगा ? देश का हर आदमी चाहता है कि शांति बनी रहे और कोर्ट का फैसला मान लिया जाए। अयोध्या में भी भारी चिंता व्याप्त है। पूरा शहर धड़कते दिल से तरह-तरह की आशंकाओं के बारे में अनुमान लगा रहा है। जैसी कि खबरें हैं पूरा अयोध्या शहर किले में तब्दील हो गया है। राज्य सरकार की पुलिस के अलावा केंद्र सरकार ने भी चार हजार अर्धसैनिक बलों को वहां भेजा है । रेलवे ने अपने पुलिस कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दीं हैं। प्रशासनिक स्तर पर किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी है। जगह-जगह पुलिस पैदल चलने वालों को और मोटरसाइकिल सवारों को चेक कर रही है उनकी तलाशी ली जा रही है। राम मंदिर जन्मभूमि के भीतर भी चारों तरफ आगंतुकों पर नजर रखी जा रही है। अयोध्या के बाहर धार्मिक और राजनीतिक स्तर पर विचार अलग-अलग लेकिन लगभग सभी चिंतित हिंदुओं में विचार है कि राम जन्मभूमि स्थल उन्हें सौंप दिया जाना चाहिए। मायावती ने ट्वीट कर कहा है समस्त देशवासी  अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हर हाल में सम्मान करें । इसके अलावा मायावती ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी अपनी संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारी निभाने और जनमानस के जानमाल  की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
            सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले में सुनवाई पिछले महीने खत्म हो चुकी है। अब देशभर की निगाहें  इस मामले में कोर्ट के इस फैसले पर टिकी हुई है। फैसला आने से पहले लोगों में सद्भाव बनाए रखने के लिए सरकारों की तरफ से भी प्रयास हो रहे हैं। पंचकोशी परिक्रमा से लेकर अलग व्यवस्था की गई है। ड्रोन से अयोध्या शहर की निगरानी की जा रही है। अजोध्या को लेकर स्थानीय प्रशासन ने शांति समितियां बनाई हैं। इन समितियों में शामिल लोग जिले के गांव में जाकर लोगों से शांति और प्रेम बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। बाहर के जिलों में दर्जनों की संख्या में अस्थाई जेल बनाए गए हैं । स्कूल और अन्य निजी बिल्डिंग्स को अस्थाई जेल के लिए चिन्हित किया गया है। अयोध्या के हर इलाके में अर्धसैनिक बलों की तैनाती है। गृह मंत्रालय ने इस फैसले को देखते हुए सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे सतर्क रहें। कुछ लोगों का मानना है फैसला 13 से 16 नवंबर के बीच किसी भी दिन हो सकता है। ज्यादा संभावना 13 नवंबर या फिर 14 नवंबर को है। सुप्रीम कोर्ट के कैलेंडर को अगर देखा जाए तो वहां कार्य दिवस 7 और 8 नवंबर ही हैं। इसके बाद 9, 10, 11 और 12 नवंबर को छुट्टी है। 13 नवंबर को कोर्ट खुलेगा। 16 नवंबर को शनिवार और 17 नवंबर को रविवार है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर कर जाएंगे यानी  फैसला 15 नवंबर के पहले हो जाना चाहिए।
         अगर इस मामले पर कोई ठोस फैसला नहीं आता और इस फैसले को देश के अधिकांश लोग मानने से इनकार कर देते हैं तो स्थिति बहुत जटिल हो जाएगी। भारत का विभिन्न जातियों में बटा समाज अपने-अपने नजरिए से पूरी स्थिति का विश्लेषण करने लगेगा और वह विश्लेषण एक प्रतिक्रिया को जन्म देगा जिससे व्यापक अंतर्विरोध पैदा हो जाएगा। भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा राजनीति कई तरह के परम्यूटेशन और कंबीनेशन से जुड़ी है। जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। अयोध्या का मामले का फैसला हिंदुओं के पक्ष में हो या ना हो यह आने वाले दिनों की सियासत की नई दिशा तय कर सकता है। देखना यह है कि वह दिशा किधर जाएगी। इस बारे में अभी से कुछ भी कहना बहुत जल्दीबाजी होगी। जो कुछ भी होगा वह वक्त बताएगा।
       


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