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Friday, November 15, 2019

राफेल पर हमला फेल

राफेल पर हमला फेल 

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान के सौदे इस समीक्षा के लिए पेश की गई सभी दलीलों को खारिज करते हुए पूरे मामले को खत्म कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार के दौरान चौकीदार चोर कहे जाने पर भी अदालत ने सख्ती बरतते हुए इसे समाप्त कर दिया। इस तरह राफेल और उससे संबंधित सारी हवाई लड़ाई या कहें राहुल गांधी का सारा हमला नाकाम हो गया। भाजपा ने इसके लिए कांग्रेस तथा राहुल गांधी से माफी मांगने को कहा है जबकि विपक्षी दल ने कहा है कि यह अदालती फैसला एक आपराधिक जांच के दरवाजे खोलता है। पूर्व वायु सेना प्रमुख धनोवा ने भी इस न्याय की आलोचना की है ।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राफेल मामले में अदालत के फैसले को सत्य की जीत बताया और कहा राहुल गांधी इस संबंध में माफी मांगें। शाह ने कहा ,राफेल मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन दलों और नेताओं को करारा जवाब मिलता है जो बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण अभियान चला रहे हैं। अमित शाह ने एक ट्वीट में कहा है कि 'शीर्ष अदालत के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर संसद को बाधित करना शर्मनाक था।' उन्होंने कहा कि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नरेंद्र मोदी सरकार की विश्वसनीयता की पुष्टि करता है । नरेंद्र मोदी के सरकार पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ईमानदार और स्वच्छ है यह कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया। उन्होंने कहा कि  इस दुर्भावना प्रेरित अभियान के लिए देश की जनता  कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी। कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही थी इसलिए वह लोगों से माफी मांगे।
जैसा कि स्वाभाविक है कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि फैसले से यह साबित होता है कि इस घोटाले में  जांच के लिए बड़ी गुंजाइश है और ऐसे जांच के लिए अब संयुक्त संसदीय समिति का गठन होना चाहिए।राहुल गांधी ने    सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जोसेफ के हवाले से कहा कि  जस्टिस जोसेफ ने भी कहा है  कि राफेल घोटाले की जांच के लिए बड़ी गुंजाइश पैदा हुई है और पूरे मामले की जांच शुरू होनी चाहिए।
     भारतीय वायु सेना के पुराने विमानों को बदल कर उनकी जगह अधिक क्षमतावान विमानों को खरीदने के काम में कथित भ्रष्टाचार को लेकर अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। हालांकि यूपीए सरकार ने भी 126 विमान खरीदने का फैसला किया था लेकिन आपत्ति इस बात पर थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान 36 विमान खरीदने की घोषणा की जो कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा तय किए गए दामों से ज्यादा कीमत पर थी। राफेल से जुड़े एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी का माफीनामा मंजूर कर लिया है। राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा खुद को   चौकीदार कहे जाने पर आपत्ति उठाते हुए एक नारा दिया था कि चौकीदार चोर है । राफेल सौदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को एक फैसला दिया था जिसमें उसने भारत सरकार को साफ बरी कर दिया था ।
लेकिन अदालत के समक्ष याचिका दायर की गई जिसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया, मूल्य निर्धारण और ऑफसेट पार्टनर के चयन पर सवाल उठाया गया।
अब  इस फैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई थीं और 10 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस पर अपना फैसला टाल दिया था। याचिका दायर करने वालों में पूर्व मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह की याचिका है शामिल थी। इन सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की थी कि पिछले साल दिए गए फैसले पर फिर से विचार करें । इसी में एक और मामला जुड़ गया था क्योंकि इसी सौदे के संदर्भ में राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहा था कि "चौकीदार चोर है।" अब इस आरोप के खिलाफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी कोर्ट में चली गयीं और राहुल गांधी पर आपराधिक मामला चलाने की मांग की । उन्होंने कहा कि एक राजनीतिक पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
       सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 15 अप्रैल को सुनवाई की और उसने साफ कहा था इस तरह की टिप्पणी उसने कभी की ही नहीं, जैसा कि राहुल गांधी अपने बयानों में हवाला दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक अपना जवाब देने को कहा था। राहुल गांधी ने अपने शपथ पत्र में लिखा  " मेरा बयान सियासी प्रचार की गर्मा गर्मी में दिया गया था और मेरे विरोधियों ने इसे गलत ढंग से पेश किया ताकि ऐसा प्रतीत हो यह मैंने कहा है। ऐसी सोच तो ले ली दूर-दूर तक कहीं नहीं है। यह भी स्पष्ट है कोई भी अदालत कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहेगी और इसके लिए मैं अदालत से क्षमा मांगता हूं।"
        साथ ही राहुल गांधी ने बिना माफी मांगी और इस केस को बंद करने की गुहार लगाई। चाहे जो हो कानूनी दांव पर से पृथक सामाजिक रूप में अगर देखा जाए तो राजनीतिज्ञों को इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।


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