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Monday, November 4, 2019

महानगरों में बढ़ता प्रदूषण और उससे उत्पन्न समस्याएं

महानगरों में बढ़ता प्रदूषण और उससे उत्पन्न समस्याएं 

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बुरी तरह खराब हो चुका है और देश के सबसे पुराने महानगर कोलकाता में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। कोलकाता में काली पूजा दिवाली और भाई दूज के बाद हालात बिगड़े हैं। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्ययनों के अनुसार उत्तर कोलकाता में एयर क्वालिटी इंडेक्स 233 हो गया है यानी  पार्टिकुलेट मटेरियल  का प्रतिशत  2.5  के स्तर पर पहुंच गया है। 201 से 300 तक की स्थिति बहुत खराब मानी जाती है और इससे आचरण संबंधी और तरह-तरह की सांस की बीमारियां होती हैं ।
यह आज हिंसा से विश्वपर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, उससे कर्म में असन्तुलन उपस्थित हो गया है। इससे बचने के लिए वेद-प्रतिपादित सात्त्विक भाव अपनाना पड़ेगा।
‘स्वस्ति पन्थामनुचरेम सूर्या चन्द्र मसाविव। पुनर्ददताsध्नता जानता संगमेमदि।।’
(ऋग्वेद 2.11.4)
इसी से ऋग्वेद (1.555.1976) के ऋषि का आशीर्वादात्मक उद्गार हैः 'पृथ्वीः पूः च उर्वी भव।' अर्थात्, समग्र पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश परिशुद्ध रहे, नदी, पर्वत, वन, उपवन सब स्वच्छ रहें, गांव, नगर सबको विस्तृत और उत्तम परिसर प्राप्त हो, तभी जीवन का सम्यक् विकास हो सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए वैज्ञानिक शोधों के अनुसार भी यह प्रतिपादित होता है।प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ अपराध वृत्ति भी बढ़ती जाती है। यह तो सर्वविदित है सिगरेट पीने से जितने लोगों की मौत होती है उससे कहीं ज्यादा मृत्यु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से होती है। कोलोरेडो विश्वविद्यालय की एक टीम के शोध के अनुसार धुआं और ओजोन इंसानी आचरण में भयंकर परिवर्तन करते हैं और जितना ज्यादा प्रदूषण होगा इंसानी आचरण खास करके हिंसक आचरण में वृद्धि होती जाएगी। शोध के अनुसार अगर सर्दी का मौसम है तो यह हालात और बिगड़ जाते हैं। एफ़बीआई के अपराध के आंकड़े और अमेरिका में विगत 8 वर्षों में वायु प्रदूषण के अध्ययन से पता चला है कि दोनों में एक आंतरिक संबंध है। जैसे -जैसे प्रदूषण बढ़ता है अपराध वृत्ति भी बढ़ती जाती है। शोध में पता चला है कि प्रत्येक घन मीटर में 10 माइक्रोग्राम वृद्धि हिंसक अपराधों में 1.4% की वृद्धि कर देता है । शोधकर्ताओं ने पाया है कि 0.01 पीएम यानी पार्ट पर मिलियन की वृद्धि से  1.15% हमलावर आचरण में वृद्धि होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पार्टिकुलेट स्तर में 10% की गिरावट प्रतिवर्ष अपराध रोकथाम में 1.4 अरब डालर की बचत कर सकता है। लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने पिछले साल सुझाव दिया कि वायु प्रदूषण और अपराध में संबंध का कारण कॉर्टिसोल हार्मोन की वृद्धि से उत्पन्न तनाव  है।
         वायु प्रदूषण के लिए अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी का स्तर 50 से कम होना अच्छा माना गया है। किंतु लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स मुताबिक 35 का आंकड़ा अपराध में 2.8% की वृद्धि करता है। कोलकाता में यह आंकड़ा इस समय काफी बढ़ा हुआ है। शोध के मुताबिक फिलहाल जो नियामक हैं उससे कहीं कम स्तर पर भी प्रदूषण होने से अपराध वृत्ति बढ़ रही है। अपराधों में रोकथाम और समाज में अपराध वृत्ति में कमी के लिए जरूरी है कि वायु प्रदूषण के स्तर को कम किया जाए। पिछले साल किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण जहां ज्यादा होता है वहां भ्रष्टाचार बढ़ता है और नैतिकता दूषित होती है।
सदर्न कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एक  टीम के अध्ययन के अनुसार इसका सबसे ज्यादा असर किशोरों   पर पड़ता है। पार्टिकुलेट स्तर में वृद्धि का सीधा संबंध टीनएजर्स के आचरण खास करके और सामाजिक आचरण से होता है ।
कोलकाता में जैसे-जैसे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है छात्रों में मानसिक विकृति और अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही है। यह तो एक नमूना है। अगर प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो तरह - तरह की विकृतियां उत्पन्न होंगी और इससे समाज एक बार फिर  असंतुलित हो जाएगा।
पर्यावरण को स्वच्छ-सुन्दर रखने का आग्रह सिर्फ भावनात्मक स्तर पर किया गया हो, ऐसी बात नहीं है। वैज्ञानिक अनुसन्धान के सन्दर्भ में भी सात्विकता की भावना से अनुप्राणित होकर गहरे मानवीय सम्बन्ध की स्थापना पर पर्याप्त बल दिया गया है। उदाहरणार्थ, ऋग्वेद (1.164.33) में वैज्ञानिक अनुसन्धान की प्रक्रिया में भी सूर्य को पिता, पृथ्वी को माता और किरण-समूह को बन्धु के समान आदर देने का स्पष्ट निर्देश है। आज तो गलत प्रतिस्पर्धा के कारण विश्वपर्यावरण विषाक्त बनता जा रहा है। प्रशीतन एवं वातानुकूलन के कृत्रिम प्रयास पारिस्थिति के लिए अभूतपूर्व संकट उत्पन्न कर रहे हैं।


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