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Friday, November 1, 2019

कश्मीर में बाहरी दखल मंजूर नहीं

कश्मीर में  बाहरी दखल मंजूर नहीं 

भारत ने कश्मीर मामले पर चीन के बयान पर पलटवार करते हुए की पुनर्गठन पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है, इसमें किसी भी देश की दखलंदाजी मंजूर नहीं है । जबकि चीन ने गुरुवार को कहा था यह गैरकानूनी और अमान्य है। भारत ने उसके क्षेत्र को अपने अधिकार में शामिल कर उसकी संप्रभुता को चुनौती दी है। भारत सरकार ने चीन के दावे को खारिज करते हुए कहा कि 1963 के तथाकथित चीन पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के भारतीय क्षेत्र पर चीन ने अवैध कब्जा कर रखा है। कश्मीर जब से भारत में शामिल हुआ और उसके टुकड़े पर पाकिस्तान ने गैरकानूनी ढंग से कब्जा किया तब से आज तक वहां किसी न किसी देश की दखलंदाजी से खून खराबा होता रहा है।  विगत तीन दशकों से राज्य में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद कश्मीरी आतंकी पूरी तरह काबू में नहीं हैं और ना वहां के प्रदर्शनों को दबाया जा सका ।  ऐसे में देश एक ,संविधान एक का विचार लागू करने का फैसला किया गया और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया। साथ  ही उसका विशेष झंडा भी निरस्त कर दिया गया। पाकिस्तान और दूसरे पड़ोसी देश  चीन  इसे गैर कानूनी बताकर वहां फिर बगावत को हवा देने की तैयारी में है। कश्मीरी झंडे को निरस्त किए जाने यह बारे में यह अफवाह फैलाई जा रही है झंडे के कारण कश्मीरी जनता की भावनाओं को आघात लगा है। इसी आघात की भावना को प्रतिबिंबित करने के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर में 2 हफ्ते से कम वक्त में 11 लोगों की हत्या कर दी। हालांकि  यह नया नहीं है।  लेकिन ,रणनीति बदल गई है  और पाकिस्तान के  आई एस आई की शह पर  आतंकी गैर कश्मीरियों को मार रहे हैं । वे साथ ही अल्पसंख्यकों को भी मार रहे हैं। कश्मीर में दो अल्पसंख्यक जातियां हैं। एक तो कश्मीरी हिंदू और दूसरे सिख।  यह दोनों जातियां कश्मीर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में छोटे-छोटे मोहल्लों में रहते हैं। शहरी क्षेत्र तुलनात्मक रूप से थोड़े सुरक्षित हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र खतरनाक और  जोखिम भरे हैं । हालांकि 1990 में कश्मीर में हिंदुओं का पलायन हो गया। यह भी  अभी पाकिस्तान की एक रणनीति थी लेकिन इसमें से कुछ लोग वहां रुक गए। अब समय-समय पर यही लोग पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के निशाने पर रहते हैं।
प्रवासी कश्मीरियों की हाल में  हो रही हत्या फिलहाल सबसे खतरनाक हैं। वहां रहने वाले लगभग 20 हजार प्रवासियों को गंभीर खतरा है। हथियारबंद और प्रशिक्षित आतंकी कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर छिपे हुए हैं और उन्हें बाहरी कमांडरों से निर्देश मिलते हैं। इस समय सबसे ज्यादा ध्यान शोपियां कुलगांव पुलवामा और अनंतनाग पर है। क्योंकि यहीं सबसे ज्यादा प्रवासी रह रहे हैं। हाल में आई एस आई ने अपनी रणनीति में थोड़ा परिवर्तन किया है और उसने वहां विदेशी आतंकियों को तैनात कर दिया है, जो स्थानीय आतंकियों को निर्देश दे रहे हैं । क्योंकि ये पाकिस्तानी कमांडर आई एस आई के लिए ज्यादा विश्वसनीय तथा स्थानीय लोगों के लिए ज्यादा बर्बर और क्रूर हैं।
अब इस प्रवृत्ति का अगर सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि पाकिस्तान समर्थित गिरोह ऐसा कर लोगों के मन में  जब बैठ जाए कि यहां  सुरक्षित नहीं है और सब कुछ होने के बावजूद कश्मीर में अभी सामान्य स्थिति नहीं कायम हो सकी है। भारत को सिर्फ आतंकियों का सफाया नहीं करना पड़ेगा बल्कि उससे कुछ कदम आगे भी जाना होगा। हमारे देश की सुरक्षा संस्थाओं को आतंकियों को यह समझाना होगा कि वे  जिस अल्पसंख्यक और बाहरी समुदायों  पर हमले कर रहे हैं उसका उन्हें दंड भी मिल सकता है।
    


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