CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Saturday, June 24, 2017

देश की स्वायत्तता को भारी खतरा

देश की स्वायत्तता को भारी खतरा
अंतरराष्ट्रीय मंच से मोदी जी को सतर्क रहने की सलाह

 हरिराम पाण्डेय

कोलकात्ता : अभी अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में के जी बी की भूमिका पर बहस खत्म भी नहीं हुई थी कि रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतीन ने यह कह कर देश की खुफिया बिरादरी को चौंका दिया कि भारतीय स्वायत्तता को खतरा है। 21वें पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय फोरम की हाल की बैठक में बगल में बेठे मोदी से कहा कि भारत की​ स्वायत्तता को खतरा महसूस हो रहा है। उनकी इस बात से अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक बिरादरी में बेचैनी बढ़ गयी।

अभी हाल में भारत में पैर जमाने के लिये आई एस आई एस को मदद दिये जाने पर सन्मार्ग की खोज के दौरान यह पता चला था कि अमरीका की नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी (एन एस ए) ने भारत में खुफिया नेटवर्क बनाने की योजना बनायी है। इस योजना के तहत महत्वपूर्ण स्थानों में होने वाली वातर्नाओं को सुनने वाले यंत्र बठाया जाना था। विदेशी कूटनीतिक सूत्रों ने सन्मार्ग को बताया कि एस सी एस के नाम से चलने वाली ग्लोबल निगरानी योजना का कोडनेम स्टेटरूम था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय रेडियो तरंगो, दूरसंचार वार्ताओं और इंटरनेट ट्राफिक को इंटरसेप्ट करने की व्यवस्था है। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार इस तंत्र ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल की मोबाइल फोन पर निजी बात चीत लगातार दस साल तक रिकार्ड की। इसमें कई दक्षिण अमरीकी, यूरोपीय और अन्य लोगों की महत्वपूर्ण निजी वार्ताएं भी शामिल हैं। हम अपने देश की सूचना तकनीक के अग्रणी होने के बारे में लाख बड़ी बड़ी बातें कहें लेकिन जो पता चला है उसके मुताबिक अमरीकी दूतावास के भीतर अभी यह नेटवर्क चल रहा है। दरअसल संचार क्षेत्र सूचनाओं के आदान प्रदान जिसमें ध्वनि, डाटा, वीडियो और इंटरनेट नेटवर्क की सहूलियतें मुहय्या कराता है। यही नहीं सूचना क्षेत्र राष्ट्रीय सुरक्षा और आपात तैयारी का अंग है। अतएव वह संचार और राष्ट्रीय महत्व के सुरक्षा ढांचों के अंतस्संबंधों की व्याख्या है। जैसे जैसे तकनीकी विकास हो रहा है वैसे वैसे इस क्षेत्र से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ती जा रहीं हैं। अमरीका की इस कार्रवाई के फलस्वरूप और रूस के राष्ट्रपति की चेतावनी के फलस्वरूप भारतीय खुफिया तंत्र में हड़कम्प हो गया है। क्योंकि सूचना प्राविधिकी और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के उपयोग से इन दिनों सूचना समरनीति का विकास हो रहा है। गलत और गड़ी हुई सूचनाओं को विश्वसनीय तंत्रहों के मादयम से फैला कर किसी भी राष्ट्र का व्यापक अहित आसानी से किया जा सकता है। विस्तृत सुरक्षा सिद्धांतों के अभाव में इस तरह की साजिशें यकीनन किसी भी देश की स्वायत्तता के लिये खतरनाक हो सकती हैं।        

0 comments: