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Sunday, September 24, 2017

ये पकिस्तान का रोना कब तक चलेगा

ये पकिस्तान का रोना कब तक चलेगा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को राष्ट्र संघ महासभा में पकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहिद खान अब्बासी के आरोपों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है पहले दिन से ही वे पाकिस्तान से दोस्ती की पेशकश करते आ रहे हैं लेकिन पकिस्तान उसे नहीं मान रहा है. दुनिया के सामने पाकिस्तान को इओस बात की सफाई देनी होगी. विदेश मंत्री ने अपने ख़ास आक्रामक अंदाज़ में कहा की हम विद्वान् बनाते हैं ,डाक्टर और इंजिनियर बनाते हैं और वे आतंकी बनाते हैं. डाक्टर मौत के मुंह से इंसानों को खींच लाते हैं और आतंकी लोगों को मौत के मुंह में धकेल देते हैं. उन्होंने कहा की हम गरीबी से जंग में मसरूफ हैं और पकिस्तान हमसे ही लड़ने में जुटा है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने गरीबी के प्रति भारत के नज़रिए को ही बदल दिया है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी करप्शन को ख़त्म करने के लिए उठाया गया बेहद जोखिम भरा कदम था.लेकिन इसका नतीजा हुआ कि कालाधन चलन से बहार हो गया. हिंदी में दिए अपने 30 मिनट के भाषण में उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि पकिस्तान की अडचनों के बावजूद भारत कई चुनौतियों के मुकाबिले में दुनिया को मदद कर रहा है. ... और पकिस्तान तो केवल आतंकवाद निर्यात करने में लगा है. ऐसा क्यों कि भारत दुनिया में आई टी सुपरपावर बन बैठा और पाकिस्तान आतंक निर्यात का कारखाना बना हुआ है. शुषमा  जी ने कहा की हम गरीबों में निवेश कर के गरीबी मिटा रहे हैं , मोदी जी का नज़रिया है कि सहायता और हाथ थमने के परम्परागत तरीकों को छोड़ दिया जाय. हमारे प्रधानमन्त्री जी ने आर्थिक सशक्तिकरण की राह से आगे बढ़ने का ज्यादा सही तरिका चुना है. गरीब असहाय  नहीं हैं  हमने केवल उन्हें अवसर दिया है. उन्होंने कहा कि गरीबी का पूरी तरह खात्मा ही वर्तमान सरकार का उद्देश्य है. हमारे प्रधान मंत्री ने इसके लिए जोरदार योजनाएं  बनायी है, वे हैं वित्तीय समावेश के लिए जनधन योजना, लघु उद्यमियों के लिए कम व्याज पर क़र्ज़ के उद्देश्य से मुद्रा योजना और गरीबों को रसोई गैस देने के लिए उज्ज्वला योजना. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बाज़ार सुधार के लिए जी एस टी भी लागू किया गया.

    पकिस्तान के प्रधान मंत्री शहीद खान अब्बासी ने कहा कहा था कि भारत कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन कर रहा है. पकिस्तान के प्रधान मंत्री के आरोप का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र संघ में कश्मीर के प्रस्ताव पर यह तय हो चुका  है कि दोनों देश पारस्परिक वार्ता से इस झगडे को  सुलझाएंगे. लाहौर घोषणा और शिमला समझौते में यह स्पष्ट भी हो चुका है. 2015 में एक नवाज शरीफ ने  द्विपक्षीय विस्तृत वार्ता को स्वीकृति दी थी. विदेश मंत्री ने कहा कि पकिस्तान को अपनी समस्याओं के कारणों को समझना चाहिए और अपने नागरिकों पर व्यय कर चाहिए. उन्होंने पर्यावरण परिवर्तन, सुरक्षा चुनौतियां और विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में  भारत को  अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का भागीदार के रूप में पेश करते हुए कहा कि राष्ट्र संघ को जितनी जल्द हो सके आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा को अपना लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर हम अपने दुश्मन से अवगत रहना चाहिए वरना हम उससे कैसे लड़ सकेंगे. 

 अपने सम्पूर्ण भाषण में सुषमा स्वराज भारत की गरीबी और पाकिस्तान के आतंकवाद की चर्चा करती रहीं. अगर कहा जाये तो उनका भाषण भारत के कद के बराबर नहीं था. उन्होंने दो बात कही कि भारत विकास लक्ष्यों , सुरक्षा चुनौतियों पर्यावरण परिवर्तन से मुकाबिले में दुनिया से भागीदारी करेगा. यह एक विशाल लक्ष्य है और उसे हासिल करने वाला गरीबी आतंकवाद का स्यापोआ नहीं करता. उन्होंने कहा कि भारत इंजीनियर , डाक्टर बनाता है और वह आतंक्व्वादी. बेशक यह बात सरकार के भगतों को अच्छी लगेगी पर यह बात दुनिया में भारत की हैसियत को छोटी करने वाली हैं. वह भारत जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता की होड़ में हैं , वह भारत जो ब्रिक्स  देशों का हिस्सा है, वह भारत जो दुनिया की तीन महाशक्तियों में शामिल होने का दम भरता है , उस भारत की विदेश मंत्री मोहल्ले की नल पर बाल्टी लिए खड़ी महिलाओं की तरह   “ तेरी – मेरी “ करतीं  नज़र आयीं. भारत ने केवल रोना रोया या अपनी तरफ से कोई रन नीति नहीं पेश कर पाया. आज दुनिया में अमरीका का रूतबा घट रहा है और एक शून्य बन रहा है, भारत को इसकी जगह लेनी चाहिए थी वरना चीन यहाँ घुस कर बैठ जाएगा और मोदी जी 56 इंच का सीना लेकर  जगह ढूंढते रह जायेंगे. भारत को अगर दुनिया में अपनी जगह बनानी है तो पकिस्तान का रोना बंद करना होगा, क्योंकि इससे भारत को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई लाभ नहीं होने वाला बेशक देश में उसे कुछ तालियाँ मिल जायेंगी.    

 

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