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Tuesday, September 26, 2017

बेटी पढाओ तब जब बेटी बचाओ

बेटी पढाओ तब जब बेटी बचाओ

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नारा दिया की “ बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ “ लेकिन इन दिनों पढने जाती या पढने गए बेटियाँ जब सकुशल लौट कर घर नहीं आ जातीं तबतक बेटी बचाने यानी उनके जनक और उनके पालक दोनों की साँसे अटकी रहती हैं. अभी हाल में अमिश त्रिपाठी की एक पुस्तक पढ़ी “ सीता – वैरिअर ऑफ़ मिथिला “ उस योद्धा सीता का भी अपहरण हो गया और वहाँ से आज तक अगर कोई आंकड़े एकत्र करे तो लगेगा हमारी बेटियाँ हर काल में जूझती रहीं हैं वक़्त के रिवाज़ से और समाज की दरिंदगी से. दूर कहाँ जायेंगे, अभी हाल में वाराणसी के विख्यात विश्व विद्यालय – “ बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी” के परिसर एक छात्रा से छेड़ छड के बाद विरोध करने पर छात्राओं पर ही लाठियां चलाई गयी. योगी जी की “ मर्द” पुलिस जो उत्तर प्रदेश से अपराधियों को मिटाने के लिए रोजाना एक इनकाउन्टर का दवा करती है वह पुलिस छात्रों पर लाठियां चलाती हैं जो विश्व विद्यालय परिसर के भीतर  अपना हक़ और हिफाज़त मांग रहीं थीं. यही नहीं , परिसर में हिंसा और अन्य  अपराध करने के आरोप में 1200 छात्रों पर मामला भी दर्ज किया गया है.  बी एच यू के कुलपति प्रोफ़ेसर गिरीश चन्द्र त्रिपाठी का कहना है कि इलाहाबाद और दिल्ली के कुछ अराजक तत्वों ने माहौल खराब किया है तथा लडकियां दिन ढले बाहर निकलती ही क्यों हैं?  बनारस जहां  पत्थर महादेव हो जाते हैं और काठ वासदेव वहाँ छात्राएं लाठियों से पीटी जाती हैं. घायल छात्राओं को घेरकर पुलिस का जत्था खडा रहता है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ शनिवार की रात वहाँ पी ए सी की एक टुकड़ी सहित 1500 जवान तैनात किये गए थे. हे भगवान्, वहाँ कोई आतंकी घुस आया था क्या? कहते हैं कि वहाँ कुछ छात्रों ने नारे लगाए कि हम बी एच यू को जे एन यू नहीं बनाने देंगे. इस नारे का अर्थ और प्रसंग समझ से बाहर है. बस मोती तौर पर पता चलता है कि इसका उद्देश्य वहाँ परिसर में वामपंथी विचारों के प्रसार को रोकना है. अगर यह मंशा है तो उससे जोड़ कर पुलिस लाठीचार्ज को देखा जाय  तो लगता है कि योगी आदित्य नाथ उन बच्चों को भावी वामपंथी  मान कर पिटवा  रहे थे. या, ऐसा भी हो सकता है कि जे एन यू का खुलापन दकियानूसी  बनारसी दिमाग को रास नहीं आता हो और उन्होंने इसी के बहाने लड़कियों को सबक देने की सोची हो. क्योंकि जहां लड़के लड़की को सड़क पर घूमते देख कर पुलिस चालान कर देती है वहाँ विश्वविद्यालय  परिसर के भीतर यह कैसे बर्दाश्त हो. इस सबके बावजूद 2014 -15 के दरम्यान उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध में 33 प्रतिशत वृद्धि हुयी है और इनमें 74% मामलों में किसी को सजा नहीं हो सकी है. एन सी आर बी के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार यू पी में महिलाओं पर जितने हमले होते है उनमें तीन चौथाई यौन अपराध हैं. बी एच यू परिसर में    आंदोलनरत छात्राओं  का कहना था  कि परिसर में छेड़खानी आम बात है और वे तो बस अपनी हिफाजत की मांग कर रहीं थीं और पुलिस ने लाठियां चलानी शुरू कर दी. खबर है कि इसके पहले भी लड़कियों से छेड़खानी हुई है और विरोध करनेवाली छात्राओं को “ कट्टा “ ( देसी पिस्तौल) लहरा कर या सरे बाज़ार दुपट्टा खींचने की धमकी देकर चुप करा दिया जाता है. शिकायत करने पर उन लड़कियों से पूछा जाता है की बेवक्त क्यों बाहर निकलती हो. मजे की बात है कि जब बी एच यू उबल रहा था तो मोदी जी बनारस में थे और बनारस उनका चुनाव क्षेत्र भी है. मोदी जी यदि यहाँ आकर देश की इन बेटियों के साथ एक सेल्फी ले लिए होते तो इनकी सुरक्षा का ख़तरा ही ख़त्म हो जाता. आये नहीं ना सही पर एक ट्वीट  तो कर दिया होता तो राष्ट्र को यह अहसास होता कि इन बेटियों को बचानेवाला खडा है. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और शनिवार की रात लड़कियों का धरना प्रदर्शन जबरन ख़त्म कर दिया गया. लेकिन यह मसला पूरे देश में सुलगने लगा इसपर  केवल सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि “ हमारी सरकार इस घटना पर अत्यंत दुखी है और मामले की जांच की जा रही है.”

  परिसरों में छेड़खानी के मनोविज्ञान का जहां तक सवाल  है तो विख्यात अपराध शास्त्री डेबोरा जे कोहेन का कहना है कि ऐसे काम बहुत कम लोग करते हैं और ख़ास तौर पर वही करते हैं जिन्हें पकडे जाने का डर नहीं होता औरे जिन्होंने पहले भी ऐसा किया होता है. इतना ही नहीं ऐसे लोगों के साथियों के समूह भी पृथक होते हैं जो इस तरह के कार्यों में सहयोग करते हैं.

  घटना के प्रति मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री जी के रुख से पता चलता है कि इस काण्ड को अंजाम देने वाला प्रशासन द्वारा ज्ञात है. इस बात की पुष्टि ऐसे भी होती है कि विश्वविद्यालय की छुट्टिया बढ़ा दी गयीं और होस्टल की तलाशी के नामपर कुछ “ छात्रों से जबरदस्ती “ की गयी. ये सारे हालत इशारा करते हैं कि इसमें किसी प्रभावशाली आदमी के बिगडैल औलाद की भूमिका है. ऐसे में बेतिओं को पढ़ाने से ज़रूरी उन्हें बचाना है. बनारस उस भगवन शिव का शहर है जिन्होंने सती के मात्र अपमान  के बाद तांडव किया था. लेकिन यहाँ तो हमें अपनी बेटियों को पढ़ाने से पहले उन्हें बचाना जरूरी है.    

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