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Wednesday, September 27, 2017

खतरनाक दोपहरी और लापरवाह ड्राइवर

खतरनाक दोपहरी और लापरवाह ड्राइवर   

हिन्दू लोकाचार में कहा गया है कि सूरज जब मध्य आकाश से नीचे की और ढलने लगे तो यात्राएं रोक देनी चाहिए. न जाने समय और स्थितियों के किन दबाव के तहत यह कहा गया था पर देश में आधुनिक काल में यह उक्ति सच होती हुई मालूम पड़ रही है.2016  के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारतीय सड़कों पर हुई कुल 4 लाख 80 हज़ार 652 सड़क दुर्घटनाओं में से 85 हज़ार 834 यानी 18 प्रतिशत  दुर्घटनाएं दोपहर 3  बजे से 6  बजे के बीच हुईं. सड़क परिवहन एवं हाई वे मंत्रालय की अगस्त 2017 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक़ 2005 -16 के बीच देश में कुल सड़क दुर्घटनाओं में 15 लाख 55 हज़ार 98 लोग मारे गए. यह संख्या बहरीन की आबादी से ज्यादा है. 2016 के आंकड़े बताते हैं कि देश मे हर घंटे 55 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गयीं. इन दुर्घटनाओं में 1 लाख 50 हज़ार 786 लोग मारे गए यानि प्रति घंटे 17  आदमी या कहें हर 3 मिनट पर एक आदमी सड़क पर दौड़ती मौत के मुह में समा गया. इस अवधि  में घायल होने वालों की संख्या 4 लाख 94 हज़ार 624 है. सबसे बड़ी ट्रेजेडी है की मरने वालों में 25 प्रतिशत लोग 25 वर्ष से 35 वर्ष की आयु वर्ग के थे. इसके बाद सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं शाम 6 बजे से 9 बजे तक हुईं.2016 में इस अवधि  में 84 हज़ार 555 एक्सीडेन्ट्स हुए. भारत में सबसे ज्यादा एक्सीडेन्ट्स दोपहर बाद 3 बजे रात 9  बजे तक हुईं. 2016 में इस दौरान कुल 35% एक्सीडेन्ट्स हुए. इन दुर्घटनाओं में 4 लाख 3 हज़ार 598 या 85% एक्सीडेन्ट्स चालक की गलती से हुए. इनमें 1 लाख 21 हज़ार 216  लोग मारे गए. ड्राइवर की गलती में सबसे ज्यादा हाथ तेज रफ़्तार से गाडी चालने का है. ड्राइवर की गलती से जितने एक्सीडेन्ट्स हुए उनमें 66 प्रतिशत घटनाएं तेज़ रफ़्तार के कारण हुईं इनमें 73हज़ार 896 लोग मरे. इनमें आगे जाने की होड़ के कारण 7.3 प्रतिशत और गलत  साइड में गाडी चलाने के कारण 4.4 प्रतिशत एक्सीडेन्ट्स हुए जिनमें 1 लाख 21 हज़ार 126 लोगों में से क्रमशः7.8 प्रतिशत और 4. 7 % लोग मारे गये. शराब पीकर गाडी चलाने के कारण 14,894 दुर्घटनाओं में 6131 लोग मारे गए. यानी शराब पीकर या किसी और नशे के प्रभाव में आकर की गए वहां चलाने से रोज 17 लोग मारते जाते हैं . गाडी चलाते वक्त मोबाइल  फोन का उपयोग करने से 4,976 घटनाएं हुईं जिनमें 2138 लोग मारे गए. दूसरे शब्दों में रोजाना 14 एक्सीडेन्ट्स हुए जिनमें 6 लोग मारे गए.

  2016 में दोपहिया वाहनों की 1 लाख 62 हज़ार 280 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 1 लाख13 हज़ार 167 दुर्घटनाएं कार , जीप और टैक्सी से हुईं बाकि बाकि ट्रकों , टेम्पोज  और ट्रैक्टर्स से हुईं. इन एक्सीडेन्ट्स में 28 लोग हर रोज मारे गए. लेकिन इस समस्या के पीछे ख़तरनाक ड्राइविंग और कमज़ोर कानून ही एकमात्र वजह नहीं है. शहरों  में वाहनों की संख्या में बहुत तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है. बी बी सी के अनुसार मुंबई में इस अव्यवस्थित ट्रैफ़िक में हर 10 सेकेंड में एक नई गाड़ी जुड़ जाती है. इस तरह से यहां हर रोज़ क़रीब 9हज़ार नए वाहन सड़क पर आते हैं.इससे यहां की सड़कें बुरी तरह से जाम हो चुकी हैं. यहां दो गाड़ियों के बीच सुरक्षित दूरी बनाकर रखना एक तरह से असंभव हो गया है.

सरकार लक्ष्य  अगले दो सालों में सड़क हादसों में हताहतों की संख्या50 प्रतिशत कम करना  है. पुलिस के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क हादसों (84 प्रतिशत), मौत (80.3 प्रतिशत) और घायल (83.9 प्रतिशत) के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार एकमात्र कारण चालकों की लापरवाही है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 13राज्यों में 86 प्रतिशत हादसे होते हैं. ये राज्य तमिलनाडु, मध्य प्रदेश,कर्नाटक, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश, गुजरात,तेलंगाना, छत्तीसगढ़,पश्चिम बंगाल, हरियाणा,केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र है.

 

   

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