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Wednesday, September 13, 2017

अबतक जितने नोट छापे गए उससे ज्यादा करेंसी बैंकों में

अबतक जितने नोट छापे गए उससे ज्यादा करेंसी बैंकों में

भ्रष्टाचार छिपाने के जाली नोटों की प्रिंटिंग को बढ़ावा

 हरिराम पाण्डेय

कोलकाता : देश में अबतक जितने नोट छपे गए थे  थे खबर है कि उससे भी ज्यादा नोट बैंको में आ गए हैं. अब रिजर्व बैंक पशोपेश में है कि इसे  किस तरह अडजस्ट किया जाय. क्योंकि रिजर्व बैंक को यह मालूम है कि आज़ादी के बाद कितने नोट छपे गए , कितने नोट बाज़ार में गए और कितने बाज़ार में हैं. इससे काले धन की  मात्रा के बारे में संकेत मिल जाते हैं. पर नोट बंदी के बाद जब नोट बैंकों में लौटे तो रिजर्व बैंक अवाक रह गया कि अनुमान से ज्यादा रूपए कहाँ से आ गए?

 अब सरकार को अपनी साख बचानी थी इसलिए  वित्त मंत्रालय की  पहली रपट में  सबकुछ अस्पष्ट दिया गया. इसमें यह यह पाता ही नहीं चला कि कितनी रकम काले धन में फँसी है. रूपए आकलन  से ज्यादा बाज़ार में थे. क्योंकि नियमानुसार लगभग 10 प्रतिशत नोट चलते चलते बेकार हो जाते हैं. उन्हें बैंक में जमाकर नए नोट ले लिए जाते हैं. उन नोटों को जला दिया जाता है. सारा घपला यहीं हुआ. नोट जलाए नहीं गए बल्कि भ्रष्ट बैंक कर्मियों ने 30 प्रतिशत पर उन नोटों को बेच दिया. वे नोट फिर से बाज़ार होते हुए बैंकों में आ गए. वित्त मंत्रालय और और केन्द्रीय खुफिया विभाग के उच्चाधिकारिओं के अनुसार यह  विगत 40 वर्षों में 56 ख़रब रूपए इस तरह अतिरिक्त बाज़ार में आ गए, सरकार के पास इसकी कोई गणना नहीं थी. अब जो नोट बंदी हुई उसमें नोट लौटाने वालों में  एक चौथाई ही मेहनत मजूरी करने वालों के रूपए थे. अन्तर्राष्ट्रीय  बाज़ार से मिलने वाली ख़बरों के अनुसार कुल राशि  का  10 प्रतिशत भाग ही काले धन के तौर पर विदेशों में जमा है. खुद सी बी आई ने पुष्टि की  है कि भारतीयों के 500 अरब डॉलर से ज्यादा की  रकम विदेशों में जमा हैं. नोट बंदी के बाद बैंकों में जमा होने वाले 10 प्रतिशत रूपए धार्मिक संस्थानों द्वारा जमा कराये गए थे. यह गणना भी लगभग 5 ख़रब डॉलर के बराबर थी. जर्मनी , कनाडा और फ़्रांस की  रपटों के अनुसार उनके बैंकों में भारतियों के 7 ख़रब डॉलर जमा है और लगभग इतने की ही सम्पति है.

  जब आर बी ई को खबर मिली कि सिस्टम में रूपए ज्यादा आ गए हैं तो जाली नोट का बखेड़ा खडा किया गया और “बैक चैनेल” से उसे प्रिंट करने के साधन मुहैय्या कराये गए. जाली नोटों के धंधे  में लगे सूत्रों के अनुसार यदि सरकारी तंत्र सुविधा ना दे तो जाली नोट छप ही सकते. सरकार और आर बी आई को मालूम ही नहीं है कि  कितने जाली नोट बैंक में आये और उनका क्या हुआ. वित्त मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी से जब सन्मार्ग ने यह जानना चाहा कि जाली नोट यदि पकडे नहीं गए , बैंक में आये नहीं तो उनका क्या हुआ? उनके पास कोई उत्तर नहीं था.

     बैंक के सामने यह समस्या है कि उसके पास अभी जितने नोट गिनने को बाकी हैं वह कुल राशि के एक प्रतिशत से बहुत ज्यादा है. ये नोट जाली हैं नहीं है , नए छापे नहीं गए तो कहाँ से आये,  इसका सरकार के पास जवाब नहीं है. ये वही नोट हैं जो जलाने के लिए एकत्र किये गए थे  और बाद में कमीशन लेकर पब्लिक को दे दिए गए और वे फिर सिस्टम में लौट आए.           

 

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