सर्दियों के साथ बढ़ रहे हैं तनाव
जैसे जैसे सर्दियां बढ़ती हैं भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव बढ़ता जाता है। अभी हाल में भारत के सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान को चेतावनी देने के लहजे में कहा कि वह आतंकियों पर लगाम लगाए वरना फिर से सर्जिकल हमले हो सकते हैं। इस चेतावनी के जवाब में पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने परमाणु हमले की बात तक कर डाली। दूसरी तरफ, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ देश से बाहर लगातार मुलाकातें कर रहे हैं। अगर खबरों की मानें इन दोनों में अब तक बैंकॉक कम से कम 3 और रूस में एक मुलाकातें हो चुकी हैं। दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक बैंकॉक में इसलिए हुई कि दोनों देशो से उड़ान के लिए यह सुविधाजनक स्थान है। खबर है कि दोनों देश लगातार टेलीफोन पर भी संपर्क किए हुए हैं ताकि किसी आपात स्थिति को टाला जा सके। कहा तो यह भी जा रहा है कि 25 और 26 मई 2017 को दोनों की मुलाकात रूस के जावेदेवो शहर में हुई थी। यही नहीं इस साल की मुलाकातों के लिए भी अभी तैयारियां की जा रही हैं। दोनों की आखिरी मुलाकात 26 दिसंबर 2017 को हुई थी। इसी के बाद ही पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव को उसके परिवार जनों से मिलने की सुविधा मुहैया कराई गई। राजनयिक सूत्रों का मानना है कि दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के दौरान भी दोनों की मुलाकात हो सकती है। इसके अंतर्गत संभवतः दोनों देशों के प्रधानमंत्री भी मिल सकते हैं, लेकिन यह अभी तय नहीं है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक इस वर्ष 22 और 23 जनवरी को होने वाली है।
एक तरफ तो वातावरण को मैत्रीपूर्ण बनाने की कोशिश चल रही है दूसरी तरफ पाकिस्तानी नेताओं और मंत्रियों के बयान आग में घी का काम कर रहे हैं। अभी हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत पर न्यूक्लियर बम से हमले की धमकी दी है। आसिफ ने कहा कि " इंडियन आर्मी चीफ ने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बात कही है अगर वह न्युक्लियर एनकाउंटर चाहते हैं तो उनका स्वागत है। जनरल की गलतफहमी जल्द दूर हो जाएगी । " यह बयान सीधा-सीधा भारत पर हमले की चेतावनी है। जबकि जनरल बिपिन रावत ने केवल यही कहा था कि अगर पाकिस्तान आतंकियों पर लगाम नहीं लगाता है तो दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक हो सकती है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान के बाद भारत में खासकर मीडिया में तहलका मच गया और जनरल बिपिन रावत को सफाई देनी पड़ी। उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि "भारतीय सेनाएं पाकिस्तान के न्यूक्लियर झांसे से निपटने के लिए तैयार है और सीमा के पार जाकर, यदि सरकार कहे तो, कोई भी ऑपरेशन करने में सक्षम है।" जनरल बिपिन रावत के इस बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉक्टर मोहम्मद फैसल ने एक ट्वीट करके कहा कि 'भारत ऐसी कोई हिमाकत ना करे पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए तैयार है। " यही नहीं जनरल बिपिन रावत के बयान पर पाकिस्तान के आईएसआई के पब्लिक रिलेशंस डायरेक्टर ने भी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने जनरल बिपिन रावत के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया। पब्लिक रिलेशंस के डायरेक्टर मेजर गफूर ने कहा कि अगर " भारत हमारी ताकत जांचना चाहता है तो कोशिश करे और खुद देख ले। हमारे पास बहुत अच्छी न्यूक्लियर क्षमता है जिसे इसी तरह की धमकियों के लिए रखा गया है । "
गणतंत्र दिवस के पहले इस तरह की बातें वातावरण को उत्तेजक बना रही है। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तानी सेना आंतरिक धार्मिक और कट्टरपंथी तत्वों का समर्थन करती है। इससे वहां की राजनीतिक पार्टियां भी परेशान हैं। कश्मीर और अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों को पाकिस्तानी सेना का समर्थन पूरी तरह प्राप्त है। यह प्रमाणित हो चुका है कि काबुल में पाकिस्तान समर्थक सरकार स्थापित करने और कश्मीर में भारतीय सेना के साथ लगातार लोहा लेने को लेकर इसकी कोशिशों की वजह से अमरीका की ओर से इसे चेतावनियां दी जाने लगी हैं।अमरीका ने इस को मिलने वाली मदद भी कम कर दी । यहां तक कि उसकी सभी बात पर भारत प्रतिक्रिया भी नहीं देता। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस स्वरूप को बदलने की कोशिश की तो उन्हें जेल जाने की नौबत आ गई। पाकिस्तान में धार्मिक और कट्टरपंथी संगठनों को सेना का लगातार समर्थन मिल रहा है और अगर वह वर्चस्व में आ गई तो देश के शासन तंत्र पर धार्मिक और कट्टरपंथी ताकतों का परोक्ष रूप से कब्जा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में एक अस्थिर परमाणु शक्ति के कारण पूरे क्षेत्र में सुरक्षा को खतरा बढ़ जाएगा और अंतराष्ट्रीय तनाव का सृजन होगा। पाकिस्तान ईरान या उत्तरी कोरिया की दिशा में बढ़ सकता है जो भारत के लिए खतरा बन सकता है। यही नहीं वहां की सेना को या प्रकारांतर से कट्टरपंथी संगठनों को देश से बाहर भी अभियान चलाने की अनुमति दी जा सकती है, जिसके चलते भारत बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के आसपास के क्षेत्रों में व्यापक गड़बड़ी हो सकती है। भारत के साथ गंभीर तनाव हो सकते हैं। भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने और कट्टरपंथी दृष्टिकोण अपनाने और उनके सत्ता प्रभावित होने के कारण भारत के कमजोर हिस्सों पर भी खतरे बढ़ेंगे। पाकिस्तानी सेना ज्यादा कट्टरपंथी हो जाएगी और इसके फलस्वरूप संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ेंगी। बातचीत या शांति की मांग ही नहीं रहेगी और पाकिस्तान की सेना अक्सर भुजाएँ फड़काती नजर आएंगी , या अपने मन के अनुसार फैसले लेगी । कश्मीर में घुसपैठ के प्रयास को बढ़ावा मिलेगा साथ ही कश्मीरी नौजवानों को भी भारतीय सेना पर हमले करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे में अगर पाकिस्तानी सेना अपने इरादे में कामयाब होती है तो आने वाले समय में भारत को खुद ही बड़ी तनावपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
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