हमें संघर्ष करना होगा
हमारे संविधान में प्रधानमंत्री को कई दायित्व दिए गए हैं लेकिन सबके लिए जवाबदेह सम्मिलित रूप से मंत्रिमंडल होता है। परंतु ब्रिटिश टिप्पणीकारों के अनुसार और नेहरू के बाद के काल में यह देखा गया कि प्रधानमंत्री ही सबकुछ होता है। उसके बाद कुछ नहीं होता । वही सारी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाता है। प्रधानमंत्री ही तय करता है कि मंत्रिमंडल में कौन रहेगा कौन जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय ही कैबिनेट सचिवालय का व्यवहारिक रूप में गठन करता है। मंत्रिपरिषद खुद कई भूमिका निभाता है लेकिन इसका प्रभाव तब घट जाता है जब गठबंधन की सरकार होती है । प्रधानमंत्री की भूमिका दोहरी है । वह एक तरह से देश का शासक होता है और साथ ही वह पार्टी का नेता भी होता है।अगले चुनाव में पार्टी की जीत हार के लिए जिम्मेदार होता है । ऐसी स्थिति में यह नहीं पता चल पाता है कि प्रधानमंत्री किस को जवाबदेह है।
भाजपा में यह जवाबदेही संघ परिवार के लिए होती है जो प्रधानमंत्री की ताकत होता है। अटल बिहारी बाजपेई के अवसान के बाद जरूरी है कि हम यह स्पष्ट करें कि हमें प्रधानमंत्री से क्या उम्मीद है ,भारतीय जनता को प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षाएं हैं?भारत की जनता के हाथों में प्रधानमंत्री को बनाने और उसे सत्ता से हटाने का अधिकार है । इसका अर्थ स्पष्ट है कि जरूरी नहीं कि प्रधानमंत्री का किसी काम के लिए बेहतरीन चुनाव हो, वह चुनावी जंग में विजेता होता है इसलिए प्रधानमंत्री बनता है। प्रधानमंत्री के बारे में आकलन के समय इस बात को ध्यान में रखना जरूरी नहीं है । अब 2019 चुनाव की बात करें । क्या इस चुनाव में हमें भाषण का चमत्कार या करिश्मा या हिंदू और मुसलमान के वोट या नीतियां देखने को मिलेंगी। यह भी हो सकता है कि हमें लोकलुभावन अधिनायकवाद ही देखने को मिले । सबको याद होगा कि 2004 से 2014 तक पार्टी जिस प्रधानमंत्री के साथ थी वह कोई चुनावी विजेता नहीं था । 2014 से अब तक और इसके बाद 2019 से प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी और विजय दोनों को सबसे ऊपर रखा। उन्होंने पिछले चुनाव में विजय प्राप्त की और अगले चुनाव मैं पार्टी का नेतृत्व करेंगे। एक शासक के रूप में प्रधानमंत्री को शासन जरूर करना चाहिए और एक पार्टी नेता के रूप में उसे हर कीमत पर अगले चुनाव मैं पार्टी को विजय दिलानी होगी। नेहरू के कांग्रेस का वोट प्रतिशत 1951 में 44 . 99 प्रतिशत,1957 में 47. 78 और 1962 में 44. 72 था।
उन पर आरोप था कि वे जातिवाद करते हैं । इसके बावजूद वे पार्टी के सर्वोच्च नेता रहे उन्होंने कई बड़ी गलतियां की में राष्ट्रपति शासन भी उनमें से एक था। वे बेशक एक नेता थे और लोकतंत्र के तरफदार थे । वह प्रेस से भड़कते थे लेकिन उनके संपादक उनके गहरे मित्र हुआ करते थे। जब उन्होंने सातवें बड़े के बारे में संसद के बाहर बयान दिया तो उसके बाद विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर क्षमा मांगते हुए उन्होंने कहा था कि यह संसद में पहले करना चाहिए था। वे मद्रास हाईकोर्ट के एक सम्मन पर हाजिर हुए और इसके लिए उनकी जमकर आलोचना हुई। लेकिन उनके बाद उनकी पुत्री ने एक ऐसे समय में सत्ता संभाली जब वह सत्ता की भूखी थी। यह कहा जा सकता है की नेहरू का खानदान नेहरू के साथ ही समाप्त हो गया और दूसरे शब्दों में इंदिरा के साथ खत्म हो गया।
अटल बिहारी बाजपेई यकीनन विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे बड़े नेता थे । संसदीय मामलों में दक्ष व्यक्ति थे एक कवि थे एक महान हस्ती थे और संसदीय लोकतंत्र के भविष्य के नेता थे। साथ ही आर एस एस के महान स्वयंसेवक थे, लेकिन उनका जीवन अंतर्विरोधों से भरा रहा है। नेता और पार्टी नेतृत्व के बीच हमेशा रस्साकशी चलती रही। एक पार्टी नेता के तौर पर उन्हें यह मालूम था राजीव गांधी दबाव बना रहे हैं उल्टे खुलकर आडवाणी जोशी की रथयात्रा का समर्थन करते थे । जबकि उन्हें यह मालूम कि इससे देश में विद्वेष फैलेगा । दूसरी तरफ उन्होंने एक राजनेता के रूप में पाकिस्तान से वार्ता की नीति पर अमल किया । जबकि उन्हें मालूम था कि उनकी बात नहीं सुनी जाएगी। लेकिन आज पाकिस्तान से बातचीत या उसकी प्रशंसा करने वाले को संघ ,विश्व हिंदू परिषद, और भाजपा सब मिलकर देशद्रोही घोषित कर देते हैं। उनके द्वारा तय की गई लोकतांत्रिक सहिष्णुता और विदेश नीति आज बेकार हो चुकी है।
अब यह सवाल उठता है कि बाजपेई के बाद अब क्या ? मोदी जी बाजपेई जी से कुछ नहीं सीखा एक राजनेता उनसे अलग हुए सत्ता के भूखे हैं और हर कीमत पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं । उनके समर्थक कट्टर संप्रदायवादी हैं और अल्पसंख्यकों से नफरत से भरे हुए हैं। इन दिनों बहुत बुरा समय है हमें भारत के धर्मनिरपेक्ष ,सर्वधर्म समभाव और बहु भाषी समाज की आत्मा के लिए संघर्ष करना होगा।
Wednesday, August 22, 2018
हमें संघर्ष करना होगा
Posted by pandeyhariram at 7:24 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment