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Sunday, August 26, 2018

क्या नया पाकिस्तान हो सकेगा?

क्या नया पाकिस्तान हो सकेगा?

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने जब अपना पहला भाषण दिया तो देशभर में उसका  स्वागत हुआ। लोगों ने कहा ,इमरान खान ने लगभग सभी बिंदुओं को स्पष्ट किया है। लेकिन , ध्यान से सुनें तो उनका भाषण उनके प्रचार अभियान के भाषणों का एक पृथक संस्करण था। उन्होंने "नए पाकिस्तान" का वादा किया, उन्होंने इस्लामी कल्याण पद्धति आरंभ करने इच्छा जाहिर की, गरीबी दूर करने और कर्ज घटाने की भी बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें कर्ज में डूबे रहने की आदत हो गई है । "एक देश तभी तरक्की कर सकता है जब वह अपने पैरों पर खड़ा हो।" उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार को देश की आर्थिक दुरावस्था के लिए दोषी बताया और कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा आर्थिक संकट नहीं आया था। हम पर 28 खरब रुपए का कर्ज है । हम पिछले 10 साल में कभी भी इतने कर्ज में नहीं डूबे रहे। अमन की बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि " हम शांति चाहते हैं। क्योंकि कोई भी देश बिना शांति के संपन्न नहीं हो सकता।"
      प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने पर बल दिया और कहा कि अशांत बलूचिस्तान में अमन की कोशिश की जाएगी। इमरान खान के अनुसार पाकिस्तान भारत से संबंध सुधारना चाहता है और उनकी  सरकार चाहती है कि दोनों तरफ के नेता सभी विवादों को हल कर लें। यहां तक कि कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण मसले को भी वार्ता से सुलझा लिया जाए । "अगर वे एक कदम आगे बढ़ाएंगे तो हम दो कदम आगे बढ़ाएंगे लेकिन वे कम से कम शुरुआत तो करें। " प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को बधाई पत्र भेजा था और जिसमें सलाह दी थी कि भारत एक शांतिपूर्ण पड़ोस के लिए प्रतिबद्ध है। यद्यपि ,मोदी जी के पत्र में वार्ता की  शुरूआत की बात नहीं थी। उन्होंने दक्षिण एशिया में  आतंकवाद  की घटनाओं  को   रेखांकित किया था और कहा था कि भारत एक सकारात्मक और रचनात्मक संबंध उम्मीद करता है।
      लेकिन भारत पाकिस्तान वार्ता की चुनौतियों के बारे में पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने लगातार बातचीत की जरूरत पर बल दिया, लेकिन ,साथ ही यह भी कहा कि हम स्वीकार करें या ना करें कश्मीर एक मसला है और इसे दोनों देशों की से मानना ही पड़ेगा। भारत द्वारा आतंकवाद पर फोकस और पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर जोर ऐसा लगता है कि दोनों देशों में शायद ही बातचीत हो। प्रधानमंत्री इमरान खान ने लगभग सभी घरेलू मसालों का जिक्र किया। वे पाकिस्तान में भ्रष्टाचार को मिटाने और समाज के गरीबों और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के प्रति इच्छुक दिखाई पड़े। लेकिन, उन्होंने पाकिस्तानी सेना के वर्चस्व को समाप्त करने की बात नहीं कही। जबकि पाकिस्तान की सभी समस्याओं का मूल वहां की सेना है । इमरान खान की सरकार ने भुगतान संतुलन के कगार पर खड़ी अर्थव्यवस्था के दौर में पद संभाला है । बढ़ता हुआ व्यापार घाटा और घटती हुई विदेशी मुद्रा स्पष्ट संकेत देती है कि नई सरकार के पास बहुत सीमित विकल्प हैं। पाकिस्तान ने 12 अरब डॉलर का बेल आउट पैकेज विश्व मुद्रा कोष से मांगा है ।उधर अमरीका ने पहले ही चेतावनी दे रखी है चीन को देने के लिए पाकिस्तान को कर्ज न दिया जाए।
      चीन पाकिस्तान का कथित तौर पर शुभचिंतक है, मित्र है लेकिन उसने भी पाकिस्तान को मदद करने के लिए नपे-तुले कदम उठाए हैं। बताया जाता है की बीजिंग ने इस्लामाबाद को विदेशी मुद्रा की कमी से जूझने के लिए 2 अरब डालर की मदद दी है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे सहयोग उम्मीद है कि चीन पाकिस्तान की कंगाली को दूर करेगा। चीन की सीमा सड़क परियोजना के तहत 27 अरब डालर की 20 परियोजनाएं पाकिस्तान  में चल रही हैं। म्यांमार और मलेशिया कर्ज के फंदे से बाहर आने के लिए चीन की सीमा सड़क योजना से पैर पीछे खींच रहे हैं ऐसे में चीन के लिए पाकिस्तान की जरूरत और बढ़ जाती है। इमरान खान के  सामने कठिन स्थिति आने वाली है। क्योंकि, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा घाटे का धंधा नहीं बने इसके लिए इमरान खान के पास कोई विकल्प नहीं है और वह देश को आश्वस्त नहीं कर सकते हैं। कुल मिलाकर इमरान खान एक बहुत ही असुरक्षित प्रधानमंत्री होंगे। वह पाकिस्तानी सेना की मदद से इस पद पर पहुंचे हैं और जब सेना  देखेगी  इमरान खान  अपनी मर्जी का काम कर रहे हैं  तो निश्चित ही डोर खींचेगी।
      पाकिस्तान की अधिकांश समस्याओं का स्रोत वहां की सेना रही है और सेना ने कोई संकेत नहीं दिया है की पिछली ग़लतियों से उसने कुछ सीखा है। अतः ऐसा नहीं लगता कि पाकिस्तानी सेना के रवैया में कोई बदलाव आएगा। इमरान खान ने जिस "नए पाकिस्तान"  की बात की है उसके लिए " नई सोच" भी जरूरी है । नई सोच के संकेत कहीं नहीं मिल रहे हैं। इसके बगैर नया पाकिस्तान होगा ऐसा नहीं लगता।

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