पुलवामा हमला : पाकिस्तान की नई रणनीति
पुलवामा हमले में समीप के ही एक गांव का निवासी आदिल अहमद दर को फिदायीन हमलावर के रूप में इस्तेमाल किया गया। वह बारूद से भरी एक मोटर गाड़ी लेकर सीआरपीएफ के काफिले में घुस गया और उसके विस्फोट से 40 जवान मारे गए। कहा जाता है कि कश्मीर और भारत के अन्य इलाकों में पाकिस्तान ऐसे हमले करवा रहा है, ताकि यह प्रदर्शित हो की पाकिस्तान को दबाव में नहीं लिया जा सकता । इस हमले के माध्यम से पाकिस्तान के इस कृत्य के विशिष्ट पहलुओं को समझा जा सकता है। इस हिंसा से एक विचित्र लेखा-जोखा प्राप्त होता है। सामरिक नजरिए से अगर देखें तो पाकिस्तान हमले को तीन तरीकों से और बढ़ा सकता है तथा चुप्पी साधे रह सकता है। पहला तो उस क्षेत्र का भूगोल है। कश्मीर में यह सबसे कम उत्तेजना वाला क्षेत्र है। कश्मीर में अत्यंत उत्तेजना वाले लोकेशंस भी हैं जैसे दिल्ली और मुंबई में हैं। मध्य स्तरीय उत्तेजना के भी कुछ क्षेत्र हैं जो कश्मीर से बाहर हैं जैसे गुरदासपुर। दूसरी जो बात है वह है आतंकियों का टारगेट । सुरक्षाबलों पर हमले से ज्यादा राजनीतिक खुंदक निकाली जा सकती है। यदि नागरिक क्षेत्रों पर हमले किए जाएं तो सरकार पर बदला लेने के लिए दबाव पड़ने लगता है। तीसरा है हमले का आकार प्रकार। आत्मघाती हमले या फिदाई हमले जैसे जैश ए मोहम्मद द्वारा किए गए या लश्कर-ए-तैयबा की जो खास पसंद है। फिदायीन हमले खास तौर पर तोड़फोड़ या फौजी काफिले पर विस्फोटकों के इस्तेमाल के रूप में किये जाते हैं।
यह भी कहा जा सकता है कि पुलवामा का यह हमला एक तरह से चुनाव की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति को मापने के लिए किया गया था। जैश ए मोहम्मद द्वारा पिछले 18-19 वर्षों से कार बम का इस्तेमाल किया जाता रहा है और खास तौर पर उसके आत्मघाती हमलावर पंजाबी मूल के पाकिस्तानी होते हैं। लेकिन पुलवामा मामले में हमलावर आदिल अहमद दर दक्षिणी कश्मीर का था इससे यह भी पता चलता है कि जैश ए मोहम्मद एक कश्मीरी संगठन है। यह हकीकत उस वीडियो से भी जुड़ी है जिसे हमले के पहले तैयार किया गया था। फिलिस्तीन में आत्मघाती हमले के वीडियो यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र थे कि हमला होगा ही, क्योंकि अगर हमला नहीं होता है या नाकाम हो जाता है तो हमला करवाने वाले संगठन इस वीडियो को जारी कर देते थे जिससे सुरक्षा एजेंसियां हमलावर को पकड़ लेती थीं या हमला करवाने वाले संगठन उसे मार डालते थे। पहले जो भी हो जाए। कश्मीर में यह पहला अवसर है कि इस तरह का वीडियो जारी हुआ हो। संभवत इसलिए भी किया गया हो कि आदिल दर पर संदेह हो कि वह हमला नहीं करेगा। अब जब हमला हो गया तो इस वीडियो का महत्व और बढ़ गया। इसके माध्यम से भारी प्रचार होगा ,धन वसूले जाएंगे और नए आतंकियों की भर्ती की जाएगी।
कुछ वर्षों से इस्लामिक स्टेट और अलकायदा कश्मीर तथा भारत के अन्य क्षेत्रों के मुसलमानों पर तंज करते आ रहे थे। यह दोनों संगठन कश्मीरी मुसलमानों को यह भी कहते थे वे कश्मीर की जंग में अपना ध्यान लगाएं । ये संगठन कश्मीर को सभ्यता के एक विशाल युद्ध के रूप में चित्रित करते थे और यह समझाते थे कि भारत या अन्य देश मुसलमानों के साथ लड़ रहे हैं। उनका उद्देश्य जिहाद के माध्यम से खिलाफत की स्थापना करना है। ऐसी स्थिति में आत्मघाती हमला वह भी कश्मीरी हमलावर के माध्यम से और हमला पूर्व वीडियो जारी करना एक तरह से पाकिस्तान द्वारा यह बताने की कोशिश थी कि कश्मीर पर उसका हक है ।
लश्कर-ए-तैयबा आईएसआईएस के खिलाफ पाकिस्तान के अंदरूनी जंग से जुड़ा है। जबकि जैश ए मोहम्मद संभवत पाकिस्तानी संगठन है जो फिलहाल भारत में सक्रिय है। इसका कारण रणनीतिक है। जब पाकिस्तानी तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान जंग शुरू करेगा तो आई एस आई और वहां की सेना पाकिस्तानी तालिबान के पुनर्वास के लिए दो रास्ते खोल सकते हैं। पहला कि वे अफ़गानिस्तान लौट जाएं और दूसरा जैश ए मोहम्मद से जुड़ जाएं और भारत में लड़ने के लिए घुस जाएं। जो इंकार करेंगे वे मारे जाएंगे। दोनों मंच आज पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि अमरीका अफगानिस्तान से फौज हटा रहा है और उसे इस्लामाबाद के सहारे छोड़ रहा है। पाकिस्तान के देवबंदी आतंकियों को अफ़गानिस्तान लौटने में ज्यादा दिलचस्पी होगी। वह तालिबान को मदद कर ज्यादा लाभ में रह सकते हैं। साथ ही साथ जैश ए मोहम्मद बहुत ताकतवर संगठन है और वह भारत पर दबाव बना सकता है।
ऐसी स्थिति में भारत को पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए तैयार होना पड़ेगा। इस तैयारी के तहत सैनिक प्रयोग और कूटनीतिक कोशिश दोनों शामिल है। भारत पाकिस्तान से अपने कूटनीतिक संबंधों को कम करने के बारे में भी सोच सकता है। इस कदम के अंतर्गत भारत पाकिस्तान के सुरक्षा अटाशे को यहां से वापस भेज सकता है क्योंकि यह सर्वविदित तथ्य है कि वह अक्सर यहां आई एस आई का नेटवर्क संचालित करता है और आतंकवाद के लिए सुविधाएं प्रदान करता है। भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला राष्ट्र घोषित करे। इस मामले में वाशिंगटन से किसी तरह की उम्मीद व्यर्थ है। अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कड़ी डांट पिलाई थी और यहां तक की आर्थिक मदद भी बंद कर दी थी लेकिन उसे अफ़गानिस्तान इनाम के रूप में मिल गया। यह सोचना कि अमरीका पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला राष्ट्र घोषित करेगा और उस पर प्रतिबंध लगाएगा या चीन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी लगाएगा, एक भोलापन है ।
हमारी सीमा पर इस दानव का सृजन करने वाला अमरीका ही है। अगर वह अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका को प्रतिबंधित कर देता और पहले की तरह उस पर दबाव बनाए रखता तो पाकिस्तान भारत में इस तरह के संगठनों को मदद कभी नहीं करता । भारत को परेशान रखने में चीन की अपनी राजनीतिक भलाई है। वह मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत में क्यों प्रतिबंधित करेगा। भारत को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी।
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