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Tuesday, February 5, 2019

मोदी जी के खिलाफ  प्रियंका के खड़े होने की अटकलें

मोदी जी के खिलाफ  प्रियंका के खड़े होने की अटकलें

प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया है और इसके बाद से ही अटकलों का बाजार गर्म है कि वह मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी। वाराणसी शुरू से ही पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र रहा है। यहां की राजनीति का असर न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के भी कई लोकसभा सीटों पर पड़ता है। इसी वजह से 2014 में मोदी जी ने अपनी राजनीति का केंद्र बनारस को बनाया और वहीं से चुनाव लड़ने का फैसला किया।   पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 40 सीटें हैं और 2014 में अधिकांश सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया था। क्योंकि, उस समय नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी और उस लहर में बनारस से उठा नारा "हर-हर मोदी घर-घर  मोदी" का असर उस क्षेत्र में सभी सीटों पर पड़ा। भाजपा ने इसीलिए मोदी को वहां से खड़ा  करने का फैसला किया था।
      अब इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस प्रियंका को बनारस से खड़ा करेगी। कहा जाता है कि बनारस में कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी से इसी सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया है । बात तो यह भी चल रही है कि बनारस के कुछ प्रबुद्ध मुस्लिम नेता और बुद्धिजीवी भी इसी अनुरोध को लेकर प्रियंका गांधी से जल्दी ही मिलने वाले हैं।  यद्यपि कांग्रेस हाईकमान ने ऐसा कोई बयान जारी नहीं किया है और ना ही इस बारे में कुछ कहा है कि प्रियंका गांधी कहां से लड़ेंगी।  कांग्रेस के गलियारों में जो फुसफुसाहट है उससे यही लगता है कि इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है और प्रियंका गांधी को खड़ा किया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि अगर प्रियंका गांधी सचमुच वाराणसी से चुनाव लड़ती हैं तो इसका राजनीतिक अर्थ क्या होगा? इसका समूचे चुनावी परिदृश्य पर क्या असर पड़ेगा? कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और उनका मनोबल बढ़ेगा। इससे पार्टी को अच्छा फायदा मिलेगा। यूपी और बिहार दोनों प्रांतों में 2014 के बाद से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की संख्या तेजी से घट रही है। नतीजा यह हुआ है कि पार्टी का ढांचा ही चरमरा गया है। जो लोग पार्टी में हैं वह भी अनमने से हैं ।   वे कार्यकर्ता तो अब जीतने की उम्मीद ही खो बैठे हैं।  ऐसी स्थिति में  अगर पार्टी चुनाव जीत जाती है तो उनका मनोबल बढ़ेगा।   प्रियंका गांधी का मोदी के खिलाफ खड़े होने की खबर से ही कार्यकर्ताओं में जोश भर जाएगा। इसका दूसरा असर यह होगा कि देशभर में  नरेंद्र मोदी बनाम प्रियंका गांधी  की नैरेटिव बनेगी और यह देश भर में चर्चा का विषय बन जाएगा।  इससे वह विमर्श दब जाएगा जो राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी का चल रहा है ।  जनता में यह संदेश जाएगा कि नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस के लिए राहुल गांधी ही नहीं प्रियंका भी एक मजबूत विकल्प है। यह भी हो सकता है कि प्रियंका गांधी के वाराणसी से खड़े होने पर सपा और बसपा गठबंधन यहां से अपना उम्मीदवार ना खड़ा करें । क्योंकि इस गठबंधन ने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से और रायबरेली से सोनिया गांधी के विरुद्ध उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान कर दिया है। अगर वाराणसी से यह गठबंधन अपना उम्मीदवार नहीं उतारता है और प्रियंका खड़ी होती है तो नरेंद्र मोदी के लिए रास्ता बहुत सरल नहीं रहेगा। यह एक तरह से मनोवैज्ञानिक मुकाबला भी होगा। नरेंद्र मोदी ने कहीं यदि कोई ऐसा वैसा बयान प्रियंका के खिलाफ दे दिया तो यह एक मसला बन जाएगा। चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ऐसे बयान देते हैं जिसमें कुछ न कुछ गलती की गुंजाइश रहती है।  उसके आधार पर प्रियंका गांधी एक नया ईशु खड़ा कर सकती हैं।
     कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह मुकाबला दिलचस्प होगा और इसका प्रभाव समग्र राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा।

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