CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Tuesday, February 19, 2019

पाक को सबक सिखाना जरूरी 

पाक को सबक सिखाना जरूरी 

पिछले हफ्ते पुलवामा में सीआरपीएफ हुआ हमला कश्मीर में सीआरपीएफ पर सबसे घातक हमला था। इसके पहले 2010 में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सीआरपीएफ पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें 75 जवान शहीद हो गए थे।  कश्मीर और छत्तीसगढ़ में बहुत फर्क है। कश्मीर में हमले अक्सर होते रहते हैं । सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कश्मीर में 2014 के मुकाबले 2018 में सुरक्षाबलों पर हमले 94% से ज्यादा बढ़ गए हैं। लोकसभा में गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014 में जहां  सुरक्षाबलों पर 47 हमले हुए थे वही 2018 में 91 हमले हुए जिसमें 339 सुरक्षाकर्मी मारे गए। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2018 तक 4 साल में कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 222 से बढ़कर 614 हो गई जिसमें 838 आतंकी मारे गए । 2018 में सबसे ज्यादा आतंकवादी घटनाएं घटीं। 2017 से पीछे विगत 28 वर्षों में कश्मीर में 70000 आतंकवादी घटनाओं में 22143 आतंकवादी 13976 नागरिक और 5123 सैनिक मारे गए हैं। 
      इन आंकड़ों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि अब पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोई गुंजाइश नहीं रही ।  आतंकी दुनिया भर में यही तकनीक अपनाते चल रहे हैं जो पुलवामा में उन्होंने अपनाया  था । चाहे वह वर्ल्ड ट्रेड  सेंटर  पर 11 सितंबर का हमला हो या फिर ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर हमला हो या पैरिस के एक म्यूजिक कंसर्ट पर हमला। सब में एक ही तकनीक अपनाई गई । अब सवाल उठता है कि भारत के पास क्या विकल्प है । भारत ने सोमवार को सभी मित्र देशों के पाकिस्तान स्थित दूतावासों को खाली करने की सलाह दी है। आखिर ऐसा क्यों? भारत में  या अन्य जगह यह कहकर प्रचारित किया जा रहा है कि भारत  जल्दी ही पाकिस्तान पर हमला करने वाला है ।   वास्तविकता यह नहीं लगती। ऐसा  कदम इसलिए उठाया गया है  कि पाकिस्तान एक सामान्य मुल्क नहीं है । यद्यपि पाकिस्तान में एक नागरिक सरकार है जिसका लोकतांत्रिक तरीकों से चुनाव भी होता है। इसके अलावा वहां एक सैनिक सत्ता भी है जो पाकिस्तान में स्थायित्व का मेरुदंड है और यह तब से है जब से पाकिस्तान लोकतांत्रिक नहीं था इसके बाद जब से अफगानिस्तान में सोवियत संघ का कब्जा हुआ और अमरीकी धन तथा मिलिट्री से वहां मुस्लिम आतंकियों को बढ़ावा दिया गया तब से पाकिस्तान में सत्ता का एक तीसरा स्तंभ भी तैयार हो गया। जिसे   इस्लामी आतंकवादियों की फौज कह सकते हैं।
       आतंकवाद का मुकाबला करना और उसे समाप्त करना बहुत कठिन है।  यह न केवल भारत की समस्या है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या बन गई है, विशेषकर जो देश विकासशील हैं वह देश आतंकवादियों को सदा के लिए खत्म करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।  अफगानिस्तान में अमरीका इनसे व्यर्थ युद्ध में लगा हुआ है।  अब आखिर में पराजित होकर वापस आ रहा है। हालांकि उसने अपनी पराजय खुलकर स्वीकार नहीं की है। मुस्लिम  देशों और गैर मुस्लिम देशों में भी आतंकवाद कायम है। उदाहरण के लिए देखें अल्जीरिया, बांग्लादेश, मलेशिया इत्यादि देशों में भी आतंकवाद कायम है। बोको हरम नाइजीरिया को वर्षों से आतंकित किए हुए है  और अब सूडान में फैल रहा है। अगर इतिहास देखें तो बोल्शेविक क्रांति या फिर अराजकतावाद ही दुनिया में उतना नहीं फैला है जितना इस्लामी आतंकवाद फैला है । लेकिन अन्य वैश्विक आंदोलनों अलग यह  साइबर साइंस और आधुनिक हथियारों के बल पर अत्यंत घातक हो गया है । आतंकवाद से लड़ने वाले देशों में भारत अग्रिम मोर्चे पर है।  दुनिया विभिन्न देशों द्वारा भारत के हितों का ध्यान नहीं रखा जाता। संयुक्त राष्ट्र संघ वीटो के आगे घुटने टेक देता है। चीन अपने मुल्क के अलावा कहीं भी आतंकवाद से युद्ध में दिलचस्पी नहीं रखता। रूस खुद सीरिया में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। इसलिए इन दोनों देशों द्वारा समर्थन का आश्वासन बेकार है । भारत इनके आश्वासनों पर भरोसा भी नहीं करता। अब ऐसी स्थिति में क्या किया जाए? उरी जैसे सर्जिकल हमले की तरह यह मसला नहीं रह गया ।  वह दो सेनाओं के बीच का मसला था। आतंकवादी आंदोलन इससे अलग है। भारत अगर सीमा पार करता है और छापामार हमले करता है तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा। अधिकांश भारतीय इस तरह के उल्लंघन को  गलत नहीं कहेंगे, उल्टे पूरा भारत इस तरह के युद्ध के समर्थन में खड़ा हो जाएगा। लेकिन अगर ऐसा होता है तो भारत को खुली और मुकम्मल जंग के लिए तैयार रहना पड़ेगा। पाकिस्तान और भारत के बीच अबतक चार युद्ध हुए जिनमें 3 में भारत विजयी रहा है।  पहला युद्ध जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है वह था 1948 का युद्ध । वह अभी तक कायम है । लेकिन तब से अब तक बहुत बड़ा अंतर आ गया है। दोनों के पास परमाणु हथियार हैं और व्यापक युद्ध की स्थिति में हो सकता है उन हथियारों का प्रयोग हो तो हमारे यहां असैनिक क्षेत्रों में भी इसका कहर टूटेगा। इसलिए अगर भविष्य में कोई युद्ध होता है तो यह अत्यंत सीमित होगा और बहुत चालाकी से इसका संचालन करना होगा। यह आनन फानन में नहीं हो सकता। देशभर के लोगों का खून उबल रहा है । पाकिस्तान के विरुद्ध भयानक क्रोध है और इस क्रोध को शांत करने का एक ही तरीका है कि पाकिस्तान पर भीषण आघात पहुंचाया जाए ।   अचानक युद्ध ठान देने से ऐसा नहीं हो सकता। हमें इस की रणनीति बहुत सोच-समझकर बनानी होगी। हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं। भारत का गुस्सा कब फूटेगा इसका अंदाजा बड़ा मुश्किल  है पर मोदी जी चुप नहीं बैठेंगे यह भी तय है।

0 comments: