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Saturday, July 1, 2017

ट्रम्प को जादू की झप्पी

ट्रम्प को जादू की झप्पी

आतंकवाद से दो दो हाथ करने के लिये हाथ मिलाते के बाद वाइट हाउस के रोजगार्डन में दुनिया को चौंका देने वाला जो नजारा था वह था ‘पावर र्हैडशेक’

के लिये डोनाल्ड ट्रम्प को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘जादू की झप्पी।’’ ह्यूगो शेवाज के बाद दुनिया का कोई नेता इस तरह की जोदार ढंग से गले मिला नहीं मिला था। ट्रम्प की आदत है कि वे किसी से हाथ मिलाते वक्त या किसी से मिलते वक्त हमेशा डरे रहते हैं कि कहीं कोई कीटाणु या जीवाणु की छूत ना लग जाय। मोदी से उनका गल मिलना अद्भुद था। ट्रम्प भी ‘एनजॉय’ कर रहे थे। ओबामा के काल में जो रिश्ते ठंडे पर गये थे और जो नजर अंदाज हो गये थे वे उनमं इस मुलाकाहत के बाद गर्माहट आती दिख रही है। अमरीका में जो भारतीय रह रहे हैं वे शायद ट्रम्प का ज्यादा चाहते भी हैं। मोदी ट्रम्प की मुलाकात की केमिस्ट्री बिल्कुल सकारात्मक दिख रही थी ज्योमेट्री बिल्कुल स्पष्ट थी। शरीर के सारो पेच-ओ – खम दोनो लोकतंत्र के रिश्तों में इमानदारी का खुला एलान कर रहे थे। डोनाल्ड ट्रम्प कई मूड के आदमी हैं। वे मजाकिया भी हैं तो उनमें विकट अहं भी है। इस मुलाकात में दोनों के बॉडी लैंग्वेज से पारस्परिक सम्मान और दोस्ती स्पष्ट दिख रही थी। इस मुलाकात में पुराने रिश्तों और समझौतों को जहां नये राष्ट्रपति से खुला समर्थन मिला वहीं नये समझौतों को भी स्वरूप दिया गया। दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ आाशीष कुमार सिंह के अनुसार जहां सोशल मीडिया में दोनों नेताओं को विश्व नेमता कहा जा रहा है वहीं दोनो नेता रोजगार को बड़ावा देने और अपने देशों की अर्थव्यवस्थाओं को ताकतवर बनाने के लिये मिल जुल कर काम कर रहे हैं। पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव के अनुसार दोनों नेताऔं ने एकजुट होकर कट्टर इस्लाम से मुकाबले संकल्प जाहिर किया। इस सिलसिले में सैय्यद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया जान और खास कर इस बात के लिये कि वह कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान की राह में रोड़े अटका रहा है, एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।बहुत बड़ी इस मायने में कि जबसे ट्रम्प सत्ता में आये हैं तबसे उनकी दक्षिण एशियाई नीति का अर्थ था केवल अफगानिस्तान। बस उनकी नजर डूरंड लाईन के पूरब की ओर ही टिकी रहती थी। भारत ने उस नजर को अपनी तरफ ही नहीं पाकिस्तान और चीन की ओर भी घुमाया। यही नहीं चीन – पाक गठबंधन की भयानकता पर भी उनहें विश्वास दिलाया। हालांकि 9/11 की घटना के बाद से बुश प्रशासन से लेकर ओबामा शासन तक भारत- अमरीका में सुरक्षा सम्बंध बढ़ते गये हैं और सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किये जाने से ये सम्बंध और प्रगाढ़ दिखने लगे हैं। उधर जहां तक ईरान का प्रश्न था भारत इस मसले पर वाशिंगटन को छेड़ना नहीं चाहता था और ना ही कठिन प्रयासों के बाद हासिल किये गये स्थायित्व को , खासकर ऊर्जा के मामले में, असंतुलित नहीं करना चाहता था। लेकिन कश्मीर पर अयातुल्लाह का बयान से भारत को बहाना मिल गया। अब वह ईरान को समर्थन दिये जाने के बारे में सोचने के लिये अमरीका से कह सकता है। इन सबके बावजूद मोदी-ट्रम्प की मुलाकात है उसकी डायनामिक्स को चीन के संदर्भ समझना जरा जटिल है। दोनों देशों के हित विभिनन कारणों से समान हैं। ट्रम्प चीन से उखड़े हुये हैं, खासकर उत्तर कोरिया को लेकर। चीन उसपर दबाव नहीं दे रहा है। मोदी – ट्रम्प के पा​किस्तान संबंधी घोषणा के तुरत बाद चीन ने पाकिस्तान का बचाव किया। मोदी के इस असर से दुनिया के महत्वपूर्ण देशों में खासकर वहां जहां मोदी भविष्य में जाने वाले हैं। इसी महीने यानी जुलाई में वे इजराइल जा रहे हैं और वहां के सबसे बड़े अखबार ‘द मार्कर’ ने लिखा है कि ‘जागो दुनिया के सबसे अहम प्रधानमंत्री आ रहे हैं। सवा सौ करोड़ लोगों के नेता और तेजी से बड़ रही अर्थ व्यवस्था के प्रतिनिधि मोदी इतने सक्षम हैं कि पूरी दुनिया आज उनकी ओर देखने को मजबूर है।’ यही नहीं मोदी की यात्रा पर येरुशलम पोस्ट ने अपने पोर्टल में एक अलग लिंक ही बना दिया है।  

कोई माने या ना माने लेकिन ट्रम्प को मोदी जी ने जो जादू की झप्पी दी उसका दीनिया के जियोपॉलिटिक्स पर बहुत ज्यादा असर हुआ है। खासकर जो उत्पाती तत्व थे उनतक संदेश गया है कि दोनों गले मिल रहे हैं।  

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