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Sunday, July 2, 2017

ट्रम्प कश्मीर में बढ़ावा दे रहे आतंकवाद को?

ट्रम्प कश्मीर में बढ़ावा दे रहे आतंकवाद को?

सलाउद्दीन वाला मामला कहीं दिखावा तो नहीं है

 हरिराम पाण्डेय

 कोलकाता : एक तरफ तो मोदी से गले मिलकर सलाउद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर रहे हैं वहीं आई एस आई से गलबहियां दे कर कश्मीर में आतंकवाद की पीठ ठोंक रहे हैं। वाइट हाउस से सन्मार्ग को अत्यंत विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निकटतम सहयोगी पॉल मानाफोर्ट ने कश्मीर में आतंकवाद के चरित्र के बारे में अफवाहें फैलाने के लिये आई एस आई से 7 लाख डालर लिये हैं। मानाफोर्ट और उनकी सहयोगी रीवा लैविन्सन ने इसके लिये कश्मीर की यात्रा की और डाक्यूमेंटरी भी बनायी थी। उस सिलसिले में दोनों ने पत्रकार के रूप में कई भारतीय अफसरों से भी मुलाकात की थी। मानाफोर्ट 5 वर्षों तक ट्रम्प के मुख्य प्रचारक रहे हैं और 90 के दशक में वे कश्मीरी अमरीकन कौंसिल के लिये लॉबी कर चुके हैं। यह कौंसिल कुख्यात पाकिस्तानी खुफिया अजेंसी आई एस आई का छद्म संगठन है। मानाफोर्ट निहायत विवादास्पद व्यक्ति रह चुके हैं। वे फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस , जायरे के क्रूर तानाशाह मोबुतु सेसे और यूक्रेन के प्रधानमंत्री विक्टर यानोकोविच के भी सलाहकार रह चुके हैं। जर्ज बुश के शासन काल में वे अमरीकी विदेश नीति को पलीता लगाने के काम में भी लगे थे। 67 वर्षीय मानाफोर्ट का यह कश्मीरियों के किया गया काम अभी दुनिया की निगाह में नहीं आया है पर एफ बी आई की फाइलें बताती हैं कि 2011 में जब कश्मीरी कौंसिल के निदेशक सैय्यद गुलाम नबी फाई को गिरफ्तार किया गया था उस समय मानाफोर्ट का नाम आया था। फाई पर आरोप था कि वह कश्मीर के विवादास्पद क्षेत्र के बारे में अमरीकी विदेश नीति को प्रभावित करने के लिये आई एस आई की तरफ से काम कर रहा है। अमरीकी सिनेट के कागजात बताते हैं कि मानाफोर्ट की फर्म ब्लैक मानाफोर्ट स्टेन एंड केली ने कश्मीरी अमरीकी कौंसिल से 1990-1995 के बीच 7 लाख डाहलर लिये। इसके अलावा सीधे आई आई से भी 40 लाख डालर आये थे। एफ बी आई के सूत्रों के मुताबिक कश्मीर कौंसिल को यह रकम कश्मीर से सहानुभूति रखने वालो नगद दी गयी थी पर बाद में उसे आई एस आई के फंड से वापस भी लिये जाने के सबूत हैं। उसे कश्मीर में जनमत संग्रह के प्रस्ताव को समर्थन देने के लिये अमरीकी कांग्रेस को तैयार करने का काम सौंपा गया था। वाइट हाउस के सूत्रों के सहयांेग से मानाफोर्ट के पूर्व पार्टनर चार्ली ब्लैक की सन्मार्ग से हुई बातचीत में ब्लैक ने कहा कि ‘जब यह बात पता चली कि इस आदमी ने पाकिस्तान से पैसे लिये तो सबके होश उड़ गये।’ ब्लैक ने कहा कि इससे ज्यादा वे कुछ नहीं बोल सकते। हालांकि भारतीय खुफया संस्था ‘रॉ’ ने तो शुरू से कहा है कि अमरीकी कश्मीरी कौंसिल आई एस आई का अमरीका में नकाब है और मानाफोर्ट के साथ उसकी सांठ गांठ है। सूत्रों के मुताबिक जब मानाफोर्ट कश्मीर के मामले में जनमत संग्रह वाले मुद्दे पर अमरीकी कांग्रेस को तैयार नहीं कर सका तो आई एस आई के ब्रिगेडियर जनरल जावेद अजीज खान उर्फ अब्दुल्ला ने कश्मीर कौंसिल के अध्यक्ष सैय्यद गुलाम नबी फाई को बुरी तरह लताड़ा था। एफ बी आई के रेकार्ड में तो यह भी दर्ज है कि मानाफोर्ट के कहने पर फाई ने पाकिसतानी परमाणु वैज्ञानिक सुल्तान बसारूद्दीन महमूद के साथ अफगानिस्तान का दौरा किया था और वहां ओसामा बिन लादेन तथा यमन अल जवाहिरी से मुलाकात की थी। ये लोग परमाणु हथियार हथियाने के इच्छुक थे। यहां एक सवाल उठता है कि मानाफोर्ट की इन कारस्तानियों के बावजूद वाइट हाउस में उसकी पैठ कैसे है। कहीं ऐसा तो नहीं कि पर्दे कपिछे से आतंकियों की पीठ ठोकी जा रही है वाइट हाउस से और सामने कुछ और बताया जा रहा है। क्योंकि सलाउद्दीन के पहले दाऊद इब्राहिम भी अंतरराष्ट्रीय अपराधी घोषित हो चुका है और कराची के अपने आलीशान बंगले में आराम फरमा रहा है तथा डी कम्पनी दुनिया भर के काले कारनामें कर रही है।   

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