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Sunday, July 30, 2017

जी, मोदी जी क्यों चुप हैं ?

जी, मोदी जी क्यों चुप हैं ?

नवाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री, निहायत बदकिस्मत इंसान हैं। तीसरी बार प्रधान मंत्री पद से हटाए गए। इस बार तो बदनाम पनामा पेपर्स की भेंट चढ़ गए। पकिस्तान  के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पी एम पद के लिए अयोग्य ठहराया। मजे की बात है कि जिस पड़ोसी को हैम पानी पी पी कर कोसते हैं और मोदी जी की डफली बजाते हैं कि करप्शन पर उनका जीरो टॉलरेंस है , वही मोदी जी इसी पनामा पेपर्स को ताक पर रख कर गौ माता की जय बोल रहे हैं। इस पनामा पेपर्स में भारत की  कई  " महान हस्तियों " सहित 500 लोगों के नाम हैं। कुछ उल्लेखनीय हस्तियां हैं अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, डी एल एफ मालिक के पी सिंह और " विख्यात" अडानी बंधुओं में से एक विनोद अडानी। हालांकि बताया यह जा रहा कि इन 500 " महान हस्तियों" में से 415 की जांच चल रही है और इस जांच के चलते हुए 15 महीने ह्यो गए पर अभी वह कहां तक पहुंची है यह किसी को मालूम नहीं है। यह उस सरकार की बात है , भाई साहब , जो ताल ठोंक कर कहती है कि करप्शन बर्दाश्त  नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान में इस मामले को आग्गे बढ़ाया क्रिकेटर इमरान खान ने जिन पर पहले से ही करप्शन के चार्जेज हैं। शरीफ की जांच पाकिस्तान की कुख्यात सेना की एक टीम, जॉइन्ट इन्वेस्टिगेटिव टीम , ने की। दुनिया में ऐसा कहीं यही होता कि आर्थिक अपराधों की जांच सेना करे। जैसी की खबर है इस जांच दल में मध्य स्तरीय अफसर शामिल थे और सुप्रीम कोर्ट का एक रजिस्ट्रार इसमें अपने पसंदीदा अफसरों की तैनाती करा रहा था। इन अफसरों ने क्या खेल खेला यह मालूम नहीं है उनकी निष्पक्षता पर भारी संदेह है। जैसा कि ऐसे मौकों पर अक्सर होता है शरीफ की पार्टी के नेताओं ने जांच दल और सुप्रीम कोर्ट पर सीधा हमला किया। पर यह सब जबानी जमा खर्च था किसी ने  कुछ किया नहीं। शरीफ सरकार बंग कर फिर से चुनाव कराने जैसा दांव चल सकते थे और राष्ट्रपति, जिसे शरीफ ने ही नियुक्त किया था, केवल उनका इस्तीफा स्वीकार करते। पर ऐसा नही हुआ। हो सकता है राष्ट्र पति मामून हुसैन को सेना ने कोई इशारा किया होगा। वैसे भी चुनाव आयोग को इसके लिए तारीखें तय करनी होतीं, जिसकी  निष्पक्षता संदेहास्पद है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक संस्थाएं सिफर हैं। उनकी अपनी कोई इज़्ज़त नहीं है और किसी के भी दबाव में आ जातीं हैं। वहां  मीडिया में भी वस्तु निष्ठा का अभाव है। अधिकांश विकासशील लोकतंत्रों की भांति पाकिस्तान भी पारिवारिक शासन की गिरफ्त में है। इसी लिए जांच दल की जांच भी भरोसेमंद नहीं है। पाकिस्तान में अब फिर से चुनाव ह्यो सकते हैं और एक बार फिर कोई नया  " शरीफ" गद्दीनशीन हो सकता है।पर गड़बड़ चालू रहेगी।
    अब सवाल उठता है कि क्या मोदी जी पनामा पेपर्स के दोषियों को सजा देंगे? शुरू से ही लग रहा है कि हमारे देश में इसपर लीपा पोती हो जाएगी , क्योंकि इसपर बहुत बड़े दांव लगे हैं।

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