चीन अब और क्या कर सकता है
भूटान -सिक्किम और तिब्बत के तिराहे पर डोकलम पर भारत और चीन अड़े हुये हैं। इस खास स्थल पर चीन पर भारत भारी है, वह ऊंचाई पर है। अब चीनी यहां पर लगातार फायरिंग कर रहे हैं और जंग की धमकी दे रहे हैं। हालांकि चीन को मालूम है कि अगर उसने जंग छेड़ी तो यकीनन उसके ज्यादा फौजियों की जान जायेगी। फिर भी भारत के लिये यह सोचना जरूरी है कि चीन आगे और क्या कर सकता है। चूंकि भारत शायद ही डोकलाम पर दबेगा तो चीन संभवत: हमें क्षति पहुंचाने के लिये हमारी साख को हानि पहुंचायेगा। झूठ मूठ के बदनाम करेगा। या हो सकता है कि कुछ वास्तविक क्षति भी पहुंचा सकता है। भारत जानता है कि सुरक्षा के लिये इस क्षे1ा में बीस पड़ना जरूरी है। अगर चीन यहां यानी डोकलाम पर कब्जा कर लेता है तो वह सीधे सिलीगुड़ी गलियारे पर गोलाबारी कर सकता है। सिलीगुड़ी गलियारा भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ता है। अब यह विचार करना जरूरी है कि चीन अपने वर्चस्व के लिये या अपने आक्रामक रुख को कायम रखने के लिये या हमें नीचा दिखाने के लिये क्या कुछ कर सकता है। हमें जवाबी कार्रवाई के विकल्पों पर भी सोचना होगा। पिछले साल जब चीन ने राष्ट्र संघ में मसूद अजहर के समर्थन में भारत के प्रस्ताव पर वोट दिया था उस समय भी हमारे देश में भारु गुससा दिखा था। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिये भारत ने राष्ट्र संघ में एक प्रस्ताव पेश किया था और चीन ने भारत के विरोध में वोट डाले थे। चीन की इस कार्रवाई पर भारत में काफी गुस्सा दिखा था और यहां लोगों ने चीनी वस्तुओं का वहिष्कार आरंभ कर दिया था। उस समय भी संगठित विरोदा की सलाह दी गयी थी। भारत का चीन से लगभग 50 अरब डालर का वार्षिक व्यापार घाटा है। अब अगर सीमा पर दुश्मनी बड़ती है तो आयात को चोट पहुंचेगी। या एक दोधारी तलवार है। अगर चीन को निर्यात घाटा होगा तो भारत में बी लाखों ऐसे व्यापारी हैं जो सस्ते चीनी समान लाकर बेचते हैं उनका व्यापार चौपट हो जायेगा। लेकिन यदि सीमा पर व्यापार पर रोक लगा दी गयी तो अंतत: चीन को ही नुकसान होगा। भारतीय व्यापारियों को ज्यादा दिनों तक नुकसान नहीं होगा। अगर यह हालत तीन महीनों से ज्यादा दिनों तक कायम रही तो वही सामान भारतीय व्यापारी दूसरे देशों से मंगा कर धंधा कर लेंगे। जिस तरह भारत से दुबई होकर पाकिस्तान निर्यात होता है उसी तरह किसी अन्य व्यापारिक पार्टनर के जरिये चीनी माल भारत आ जायेगा। चीन से भारत में ज्यादातर इलेक्ट्रानिक पुर्जे, दूरसंचार इक्वीपमेंट्स, मोबाइल फोन, रसायन और दवाइयां आती हैं। यह सोचना ही बेकार है कि यदि बारत ओपो, वाइवो या वन प्लस टेलीफोन का आयात बंद कर देगा तो भारत का खुदरा व्यापार चौपट हो जायेगा। जैसे ही जगह खाली होगी ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया अपना माल लेकर घुस जायेंगे। इनके माल चीन से बेहतर हैं और जब तक स्थाइत्व नहीं आयेगा तबतक हो सकता है उन वस्तुओं की कीमत थोड़ी बढ़ जाय। अलबत्ता औषधि के क्षेत्र में थोड़ा व्यवधान आयेगा। भारत के कुल आयात का 15 से 20 प्रतिशत केवल औषधि का ही होता है। यह निर्भरता इतनी ज्यादा है कि अगर गड़बड़ी हुई तो दवाओं का अबाव हो जायेगा और जबतक कोई विकल्प नहीं खोजा गया तबतक कीमतें काफी बढ़ी रहेंगी। इसलिये जरूरी है कि अगर औषधि के क्षेत्र चीन की मुश्कें कसनी हैं तो जहरूरी है कि एक निश्चित अवधि के लिये दवाएं स्टॉक कर ली जाएं। व्यापारिक व्यवधान का दो तरफा असर होता है। लेकिन चीन को भारत सेज्यिदा चिंतित होना होगा क्योंकि उसका भारी व्यापार सरप्लस है। उसे साल 50 अरब डालर की आय का घाटा होगा। किसी भी प्रकार का व्यावधान भारतीय व्यापारियों को घरेलू उत्पादनों की ओर झुकने के लिये बाध्य कर देगा।
लेकिन कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां भारत को दिक्कत हो सकती है खासकर उत्तरी क्षेत्र में। 2013 में अक्साई चीन के दौलत बाग ओल्डी में एक ऐसी ही तानातनी की घटना हुई थी। इसे खत्म करने में लगभग दो हफ्ते लग गये थे और दक्षिण में भारत को लगभग 250 किलाहेमीटर तक अपने बंकर हटाने पड़े थे। इसलिये अगर चीन डाकलाम में पिटता है तो अपनी भंड़ांस कहीं दूसरी जगह भी निकाल सकता है।
दूसरी बात है कि अगर चीन साइबर हमला करता है तो वह और गंभीर हो सकता है। यह तो मानना हॅ होगा कि साइबर युद्ध कौशल में चीन भारत से बहुत आागे है। वह बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र भारत की नाक में दम कर सकता है। बहुतों नको याद होगा कि हाल ही में अमरीकाऔर इसराइल के सहयोग से स्टक्सनेट नाम का एक वायरस बनाया गया था जिससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम को बुरी तरह से बाधित कर दिया गया था। पूरा डर है कि चीन भी कुछ ऐसा कर दे। इसलिये भारत को इस युद्ध के लिये भी तैयार रहना होगा।
तीसरा भय है कि चीन से हम लोग बहुत बड़ी संख्या में टेलीफोन के पुर्जे इतदि मंगाते हैं और यह सुनिश्चित करना लगभग नामुमकिन है कि चीन ने इसमें मैलवेयर नहीं लगा रखा हो जिसे रिमोट से ही एक्टीवेट किया जा सकता है और देश के टेलीफोन उपभोक्ताओं का भारी क्षति पहुंचायी जा सकती है। इतना ही नहीं वह पाकिस्तान कांे शह देकर कश्मीर और पंजाब में भारी उपद्रव करवा सकता है तथा बंगला देश के मुस्लिम चरमपंथियों को बी हवा दे कर भारत के पूवीं क्षेत्र में आतंक का वातावरण बना सकता है। यकीनन भारत के पास कुछ हथकंडे हैं खासकर व्यापार के क्षेत्र में पर उनका उपयोग करने के पहले चीन की शैतानियत पर विचार करना जरूरी है।
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