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Friday, January 11, 2019

भाजपा की मुश्किल बढ़ी

भाजपा की मुश्किल बढ़ी

5 विधानसभा चुनाव के नतीजों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा को सतर्क कर दिया है। विधानसभा चुनाव में पराजय को देखते हुए भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्रामीण- सामाजिक इंजीनियरिंग पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और दोबारा सबका साथ सबका विकास का नारा देना शुरू कर दिया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कई बार कहा है कि भाजपा ने देश के 22 करोड़ परिवारों का भरोसा जीता है यह भरोसा नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित विभिन्न योजनाओं के कारण उत्पन्न हुआ था।  उम्मीद है कि अब यह भरोसा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति को बदल दे, और पार्टी को 2014 से ज्यादा सीटें मिले। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में मतों के तौर तरीकों को देख कर   ऐसा लगता है कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर हो गई है। अब सत्तारूढ़ दल के लिए यह जरूरी है कि वह ग्रामीण मतदाताओं के लिए नई योजनाएं आरंभ करे या पुरानी योजनाओं का दायरा बढ़ाए। हिंदी भाषी क्षेत्रों के 3 राज्यों में चुनाव हुए और कांग्रेस ने किसान के कर्ज की बात उठाई तथा कर्ज माफी का आश्वासन दे दिया। चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस की सरकारों ने अपना वादा भी पूरा कर दिया और किसानों के कर्ज माफ किए। इस कदम से मोदी सरकार पर बहुत दबाव पड़ रहा है और यह समझा जा रहा है कि जल्दी ही मोदी सरकार कोई बड़ी कर्ज माफी योजना की घोषणा करेगी ताकि देश के 26.3 करोड़ किसानों को राहत मिल सके । चर्चा है कि 2019 के पहले मोदी सरकार चार लाख करोड़ के ऋण माफी की योजना पर काम कर रही है। जहां यह जिक्र कर देना प्रासंगिक होगा कि 2009 के आम चुनाव कि ठीक पहले तत्कालीन यूपीए सरकार ने 72 हजार करोड़ कृषि ऋण माफी की योजना घोषित की थी और इसका उसे बहुत लाभ मिला था। कांग्रेस ने चुनाव जीत लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा है कि मध्यम और कम आय वर्ग के लोगों को जीएसटी में भारी छूट मिलेगी । सरकार इसके तहत लगभग 99% वस्तुओं को लाना चाहती है और उन पर 18% से कम जीएसटी लगाने की योजना बन रही है। इससे 99% वस्तु की कीमत कम हो जाएगी और आम आदमी पर से दबाव घटेगा। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग पिछले 22 दिसंबर को हुई थी और 23 वस्तुओं पर से जीएसटी घटाकर 12% कर दिया गया था कई में तो जीएसटी 5% कर दिया गया। इसके कारण कई वस्तुएं जैसे टेलीविजन, कंप्यूटर और मोटर गाड़ी के पुर्जे सस्ते हो गए और जिन वस्तुओं पर 5% जीएसटी लगता था उस पर से इसे हटा दिया गया । यही नहीं हो सकता है नरेंद्र मोदी सरकार सभी राशन कार्ड धारकों के लिए उज्जवला योजना लागू कर दे। इसके तहत गैस के कनेक्शन मुफ्त मिलेंगे । यह योजना 2016 में आरंभ की गई थी और गरीबी रेखा से नीचे की ग्रामीण महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए गए थे। बाद में इसका दायरा बढ़ाकर इसके तहत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को भी शामिल कर दिया गया। अब सभी गरीबों को यह कनेक्शन दिया जाएगा अभी अभी यह सब केवल गरीबों के लिए है। इस योजना के तहत सरकार गैस विक्रेताओं को प्रति कनेक्शन 16 सौ रुपए की सब्सिडी देती है ताकि वह गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन दे सके। इस सब्सिडी में सिलेंडर की सिक्योरिटी फीस और इंस्टॉलेशन चार्ज शामिल होता है। प्रधानमंत्री मंत्री उज्जवला योजना 1 मई 2016 को आरंभ हुई थी और इसके तहत 3 वर्षों में 5 करोड़ लोगों को मुफ्त कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसका लक्ष्य 5 वर्षों में आठ करोड़ किया जाना है और नई योजना के तहत इस से एक करोड़ लोग और लाभान्वित होंगे। यही नहीं सरकार ने पेंशन की राशि में भी वृद्धि की है। राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत मूल वेतन के 14% पेंशन कर दिया गया है जो पहले 10% था । इसमें कर्मचारी का अवदान पहले की तरह 10% ही रहेगा। इससे उन करोड़ों लोगों को लाभ होगा जो पेंशन पर जीते हैं। सरकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी लाभ देने की योजना बना रही है । यह लाभ चुनाव के पहले ही घोषित कर दिए जाएंगे इसके तहत ग्रेच्युटी की सीमा 5 साल से घटाकर 3 साल की जानी है। मजदूर यूनियन इसके लिए लंबी अवधि से मांग कर रहे हैं । सरकार केंद्र सरकार में अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी सीमा भी घटाने पर विचार कर रही है अगर यह मंजूर हो जाता है तो इससे लाखों कर्मचारियों को लाभ होगा खास करके उन्हें जो 5 साल की से पहले नौकरी छोड़ देते हैं।
           मोदी का सबसे बड़ा संकट है कि किसे आगे बढ़ाया जाए- हिंदुत्व या विकास। भाजपा में पार्टी के भीतर इस पर गंभीर बहस चल रही है और यह तय नहीं हो पा रहा है कि लोकसभा चुनाव में क्या नारे दिए जाएं। पार्टी इस गुत्थी को सुलझाने में लगी है। खास करके, विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद है ज्यादा कठिन हो गई है।  मोदी की छवि थोड़ी धुंधली होने लगी है।राजनीतिक विश्लेषकों ने फतवा दिया कि सरकार हिंदुत्व के एजेंडा को लागू करने में लगी है और विकास को नजरअंदाज कर रही है। हाल के चुनावों ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि हिंदुत्व कार्ड की एक सीमा है। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हिंदुओं की बहुत बड़ी आबादी है लेकिन भाजपा और संघ ने जो हिंदुत्व का नारा दिया वह लगता है काम नहीं कर पाया। इस पराजय से सबक लेकर मोदी सरकार अपना रुख बदलने की कोशिश में है और एक बार फिर वह विकास का मसला सामने पेश कर उसे आगे बढ़ाएगी।

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