CLICK HERE FOR BLOGGER TEMPLATES AND MYSPACE LAYOUTS »

Wednesday, January 23, 2019

ऐसे तो मुकाबला नहीं कर पाएंगे

ऐसे तो मुकाबला नहीं कर पाएंगे

जिन लोगों ने पिछले पखवाड़े खत्म हुई संसद की कार्यवाही देखी होगी तो उन्होंने राफेल सौदे पर हुई बहस को जरूर देखा होगा और उसमें विपक्ष के प्रहार को अवश्य नोटिस किया होगा  विपक्ष ने सत्ता दल पर इस तरह प्रहार  किया जैसे संसद में आतिशबाजी चल रही हो । वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री  निर्मला सीतारमण और भाजपा के अन्य नेताओं  ने इसका जमकर विरोध किया।  यह पहला मौका था जब भाजपा राहुल गांधी द्वारा किए गए हमले का जवाब उसी तर्ज में दे रही थी।  कई मौकों पर तो भाजपा को चुप  देखा गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कोई भी बड़ा नेता राहुल गांधी के खिलाफ कुछ नहीं बोल सके और अगर बोले भी तो गंभीर आरोपों का बड़ा कमजोर विरोध था। यह भाजपा को बहुत महंगा पड़ा है। इसके कारण भाजपा ने हिंदी भाषी क्षेत्र के तीन प्रांत गवां दिए। इन राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का जवाबी हमला बिल्कुल शून्य था। वह राजनीतिक चौसर पर राहुल का मुकाबला नहीं कर सकी। राहुल आरोप के पत्ते फेंकते रहे यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी यह सब चलता रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा ने पूरी ताकत से जवाब देना शुरू किया।  अगर इसने जिस तर्ज में लोकसभा- राज्यसभा में राफेल सौदे पर विरोध किया था अगर वही कायम रहा तो 2019 के लोकसभा चुनाव में थोड़ा लाभ मिल सकता है अन्यथा, डर है कि इसका हश्र वही होगा जो 3 राज्यों में हुआ है । राहुल धीरे - धीरे हमले की प्रचंडता बढ़ाते जा रहे हैं। गुजरात में 2017 में विधानसभा चुनाव के समय शुरू हुआ यह धीमा हमला इन दिनों काफी जोरदार हो गया है । अब वे मोदी जी से सीधा सवाल पूछते हैं कि क्या सौदेबाजी में किसी व्यवसाई के साथ पक्षपात किया गया है?  यह हमला दिनों दिन तीखा होता जा रहा है । उन्होंने पिछले साल संसद के बजट सत्र में उसे उठाया था उसके बाद कर्नाटक चुनाव में आजमाया गया अब तो राहुल नाम ले लेकर आरोप लगाते हैं।  आज जुमला चल निकला है कि "चौकीदार चोर है।" पहले तो भाजपा शायद यह सोचती थी कि राहुल के आरोप बेकार चले जाएंगे और उनकी संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, मसलन पिछले साल संसद में जब राहुल ने मोदी को गले लगाया और सदस्यों को आंख मारी और राफेल सौदे पर भाजपा को धकियाते नजर आए।  ना प्रधानमंत्री और ना कोई वरिष्ठ नेता इस पर उनका मुकाबला करने के लिए खड़े हुए ।
        राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रोन ने उनसे कहा था कि 36 राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने में  गोपनीयता की कोई शर्त नहीं थी। उनके बयान के कुछ घंटों के बाद ही फ्रांसीसी सरकार का बयान आया जिसमें राहुल गांधी के बयान का विरोध था और कहा गया था कि समझौते में गोपनीयता की शर्त थी।  इसके बाद भी प्रधानमंत्री या भाजपा के अन्य नेता संसद में राहुल का मुकाबला करने को खड़े नहीं हुए। राहुल को बहाना मिल गया कि मोदी जी के पास इतना दम नहीं है कि उनसे बात कर सकें यहां तक कि  आंखें मिला सकें। नतीजा यह हुआ कि हाल के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी मोदी जी पर खुल्लम-खुल्ला हमला करते रहे। लेकिन न मोदी जी और न अमित शाह इसका मुकाबला कर सके या जोरदार विरोध कर सके। भाजपा के बड़े नेता केवल यह बताते रहे कि भाजपा में कौन-कौन सा काम किया। वे यह भी बताते रहे 2022 क्या-क्या किया जाएगा। लेकिन राहुल का जवाब देने से बचते रहे। यह कमजोरी लोगों के दिमाग में संशय पैदा करने लगी। लोग सोचने लगे, राहुल कहीं सही तो नहीं है और भाजपा कुछ छिपा रही है, इसीलिए चुप है।  यही कारण है कि उसे 3 राज्यों में पराजय मिली खासकर है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां 15 सालों से भाजपा शासन में थी।
          इससे सबक सीख कर लगता है कि पार्टी ने अपनी रणनीति को संशोधित किया और उसका नतीजा संसद के शीत सत्र में दिखाई पड़ा। जब राहुल प्रधानमंत्री पर हमले कर रहे थे तो वित्त मंत्री अरुण जेटली  जवाब देने के लिए खड़े हुए। उन्होंने कहा कि" राहुल झूठ बोलते हैं, बार-बार झूठ बोलते हैं दिन में 5 बार झूठ बोलते हैं। वह दस्तावेजों को दिखाने में डरते हैं। जिस तरह से वह झूठ बोलते हैं उसकी मिसाल नहीं है।" उन्होंने कहा कि, "कुछ लोग होते हैं जो सच को पसंद ही नहीं करते। "
        अरुण जेटली ने जो कहा वह उन्हें मानसून अधिवेशन में कहना चाहिए था लेकिन वह शीतकालीन अधिवेशन में कह रहे थे। जेटली ने कहा कि "राहुल गांधी ने मानसून सत्र में कहा था कि" फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ उनकी बातचीत हुई है। बाद में उसका खंडन आ गया।" उन्होंने कहा कि "राहुल किंडर गार्डन के छात्र की तरह हैं। यहां तक नहीं जानते के युद्धक विमान होता क्या है।" वित्त मंत्री ने राहुल गांधी और उनके परिवार पर व्यक्तिगत हमले भी किए। जब वे भाषण दे रहे थे तो सत्ता पक्ष की ओर से नारे लग रहे थे "गांधी परिवार चोर है ,मां-बेटे चोर हैं।" जेटली, मोदी, शाह और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता यह मान सकते हैं कि राहुल गांधी का परिवार एक षड्यंत्र रच रहा है और राहुल गांधी हो सकता है झूठ बोल रहे हैं।  तब भी भाजपा राहुल गांधी का मुकाबला करने में वह बुरी तरह नाकाम रही है। अगर वह ऐसा अभी भी कर  है और राहुल को "पप्पू" मानकर चुप रहती है तो लोकसभा चुनाव का हश्र भी 3 राज्यों के चुनाव की तरह हो सकता है। इस बात की आशंका है। इसलिए, भाजपा को उसी तरह का विरोध करना चाहिए जिस तरह इसने संसद के शीतकालीन सत्र में किया था या कह सकते हैं उससे भी ज्यादा। भारत एक ऐसा देश है जहां गप्प बहुत तेजी से फैलता है और अचानक चर्चा का विषय बनते हुए लोगों का विचार बन जाता है। भाजपा को ऐसी स्थिति होने पैदा होने से पहले सतर्क हो जाना पड़ेगा।

0 comments: