भारत को सावधान रहना होगा
पाकिस्तान का सुर बदल गया है इमरान खान अब ताल ठोकने की बजाय मिमिया रहे हैं और कह रहे हैं की जंग से कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बातचीत से हमें मामले सुलझाने चाहिए। लेकिन ,इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो कभी भी साथ नहीं देगा ।ऐसे मौके पर रहीम की एक पंक्ति याद आती है "कह रहीम कैसे निभे केर बेर को संग, एक डोलत रस आपनो एक के फाटत अंग।" पुलवामा हमले के बाद देशभर में भयानक गुस्सा फैल गया था और इस गुस्से को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से वादा किया था कि वे एक-एक आंसू का हिसाब लेंगे। उन्होंने इसके बाद फौज को फैसला करने की खुली छूट दे दी। वादे का नतीजा बेहतरीन निकला । फौज ने इस छूट का उपयोग कर लिया। 12 मिराज विमानों ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हमला कर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया। इस क्रम में 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए । इसके बाद सोशल मीडिया पर एक उल्लास भरी खबर चल रही थी, "हाउ इज जैश! फिनिश्ड सर!!"
बदला लेने के लिए भारतीय वायु सेना का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि 2016 के सर्जिकल हमले के विपरीत भारतीय वायु सेना का इसमें उपयोग किया गया। वायु सेना के विमान बहुत भीतर तक जाकर आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद करने में कामयाब रहे । यह कामयाबी ऐसी है जिससे पाकिस्तान इनकार नहीं कर सकता। बेशक वह हमले का असर कम करके बता सकता है। इससे भी बड़ी बात है इस हवाई हमले की कि भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के सैनिक ठिकानों ,वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर और आम नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। यह समूची दुनिया के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश है । इस से भारत के प्रशंसकों की संख्या बढ़ सकती है। यही नहीं इस हमले के लिए रात का वक्त चुनना भी एक सही फैसला था और वह खुफिया खबर भी प्रशंसनीय है जिसमें बालाकोट की पक्की जानकारी दी गई थी। भारत के सभी विमान अपने टारगेट को नष्ट कर सही सलामत वापस आ गए । यह इसलिए भी बड़ी उपलब्धि है कि जब यह हमला हुआ तो पाकिस्तान में हाई अलर्ट था।
अब अगर इस हमले का समरनीतिक आकलन किया जाए तो यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि टारगेट और उसके अनुपातिक पहलू क्या थे । सबका ध्यान बहावलपुर पर था। क्योंकि वहां जैशे ए मोहम्मद का सबसे बड़ा कैंप है और भारतीय वायु सेना ने इसी का फायदा उठाया। उसने कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना वाली कहावत चरितार्थ कर दी। पाकिस्तान की आई एस आई बहावलपुर की हिफाजत में लगी थी और इधर बालाकोट को ठोक दिया गया। अब एक आतंकी कैंपर हमले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के कूटनीतिक प्रयासों को काफी बल मिलेगा। यह हमला भारत के लिए काफी सकारात्मक रहा। भारत ने अगर सही लक्ष्य नहीं तय किया होता तो शायद लोग उसकी आलोचना करते और भारत को इधर उधर झांकना पड़ता। लेकिन भारत के इस कदम ने इसके कूटनीतिक अभियान को भी बल दिया है। पाकिस्तान ने भारतीय हमले को बेअसर बताया लेकिन इसका कोई महत्त्व नहीं है । कूटनीतिक क्षेत्रों में इस बात पर कोई भरोसा नहीं कर रहा है। वास्तविक परिणाम क्या हुआ यह तो आज नहीं कल जनता के सामने आएगा ही।
पाकिस्तान ने दिखाने के लिए मंगलवार को भारतीय हमले का जवाबी हमला किया। इस हमले में जो सबसे बड़ी कमी थी वह था इमरान खान की कैबिनेट का समर्थन। इससे साफ साबित होता है कि पाकिस्तान की राजनीति पर उसकी सेना का जवाब बढ़ रहा है। हो सकता है इमरान खान का तख्ता पलट जाए और वहां फिर से फौजी शासन लग जाए। दुनिया भर में यह भारत की नैतिक जीत होगी । इस हमले को रोकने के क्रम में भारतीय वायु सेना का एक विमान क्रैश हो गया और उसका घायल पायलट पाकिस्तान के कब्जे में आ गया। भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूत सैयद हैदर शाह को बुलाकर स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान की हिरासत में भारतीय वायु सेना के घायल पायलट अभिनंदन वर्थमान सुरक्षा सुनिश्चित करें और उसे बिना नुकसान पहुंचाए जल्दी से जल्दी वापस करें। अगर पाकिस्तान फौजी हमला करता है तो सबसे बड़ी दिक्कत यह है उसके सामने कि टारगेट क्या होगा और किस आधार पर वह सैनिक कार्रवाई करेगा? क्या आतंकियों पर हमले को सामने रखकर ऐसा किया जाएगा? अगर वह ऐसा करता है तो साफ जाहिर हो जाएगा कि पाकिस्तान आतंकियों के साथ है और यह उसके लिए बेहद हानिकारक होगा। अगर अपनी इज्जत बचाने के लिए पाकिस्तान कुछ कर बैठता है तो सारी दुनिया उसके खिलाफ हो जाएगी। अभी हाल में चीन ने भी बहुत दबी ढंकी प्रतिक्रिया दी है । भारत के इस हमले से कश्मीर में पाकिस्तान की मंशा भी बेलगाम हो रही है और दुनिया देख रही है कि वहां जो कुछ भी हो रहा है उसमें पाकिस्तान की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। अब अगर जरा भी कूटनीतिक समझ पाकिस्तान में होगी तो वह भारत पर तरफ फौजी हमले के बारे में सोचेगा भी नहीं। लेकिन वह आत्मघातियों से भरा मुल्क है इस लिए सावधानी जरूरी है। बाकी आतंकी हमलों के लिए भारत को तैयार रहना होगा और वह तैयार है। इस बार अगर ऐसा दुस्साहस किया गया तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।