कर्नाटक के नाटक का नया सीन
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद कई घटनाएं हुई और अब एक नया सीन सामने आया है। बागी विधायकों ने इस्तीफा नहीं स्वीकार होने की सूरत में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कई विधायकों के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया था उनका कहना था इस्तीफा में तकनीकी गलती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी ने सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी है तथा समय भी। कर्नाटक राजनीतिक नाटक क्लाइमेक्स उस समय आ गया था जब 16 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए थे। सरकार अल्पमत में आ गई थी और नई सरकार बनाने के लोभ में भारतीय जनता पार्टी के बी एस येदुरप्पा दनादन मीटिंग कर रहे थे। पिछले हफ्ते से बागी विधायकों को मनाने की लगातार कोशिश चल रही है। गठबंधन सरकार के संकटमोचक शिव कुमार इसी प्रयास में मुंबई भी गए थे लेकिन वहां होटल में ठहरे बागियों से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। सुरक्षा कारणों से पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी। बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और सुप्रीम कोर्ट में रात तक फैसला लेने का निर्देश दिया। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार में भावपूर्ण बयान देकर सबका मुंह बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि वह विलंब इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वेबसाइट के राज्य से प्रेम है। दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री राज जोशी ने कर्नाटक की राजनीतिक अस्थिरता पर कहा है कि इस पर जल्दी से जल्दी फैसला लिया जाना जरूरी है। सभी विधायकों ने इस्तीफे सौंप दिए है। कर्नाटक में विधान सभा का अधिवेशन आरंभ हो गया है और किसी भी गड़बड़ी को संभालने के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता कर्नाटक में उपस्थित हैं। कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को इस अधिवेशन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है गैरहाजिर विधायकों पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी तरफ शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता एवं न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने कहा कि इस पूरे मामले से संविधान की धारा 190 और 361 भी जुड़ी हुई है। जहां धारा 190 विधायक के अयोग्य ठहराने से संबद्ध वहीं धारा 361 के मुताबिक कुछ खास पदों पर आसीन लोग अदालत के जवाबदेह नहीं होते, इससे संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के इस्तीफे के
सम्बद्ध में विचार करेंगे । जैसे-जैसे समय बीत रहा है कर्नाटक का नाटक और दिलचस्प होता जा रहा है।
लेकिन इस पूरे नाटक को यदि राजनीतिक मनोविज्ञान की निगाह से देखें ऐसा कोई आश्चर्य नहीं होता है। इसके तीन कारण हैं। पहला जब पार्टी डूबती है तो उसके आम कैडर और कार्यकर्ता दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं। कर्नाटक में भी जो हुआ कांग्रेस की भारी पराजय के कारण होता हुआ दिख रहा है। क्योंकि ,भविष्य के नेतृत्व के बारे में उन्हें कोई संभावना नहीं दिख रही है। दूसरा कारण हो सकता है कि, राजनीतिक पार्टियां ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को अपने दल में शामिल करने की कोशिश में रहती हैं और ऐसे में दूसरे दलों के लोगों को शामिल किया जाना या उन्हें शामिल होने के लिए लोभ देना कोई आश्चर्यजनक नहीं है। इन दिनों राजनीतिक कार्यकर्ता किसी भी पार्टी से आदर्श के रूप में नहीं जुड़े हैं और ना जुड़े रहते हैं उन्हें अवसर की खोज रहती है। तीसरा कारण इस खास समीकरण के लिए है । इससे पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी कितनी तेजी से अपने साथ दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को मिला रही है। वह राज्य में स्थाई प्रचार न चलाकर कर दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को शामिल करने ने विश्वास करने लगी है। इस नई स्थिति से हम भारतीय जनता पार्टी के संगठन एक और आर्थिक वर्चस्व का अंदाजा लगा सकते हैं।
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