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Wednesday, July 3, 2019

नहीं चलेगी दबंगई

नहीं चलेगी दबंगई

भाजपा संसदीय दल को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आकाश विजयवर्गीय की घटना का परोक्ष उल्लेख किया और उस पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि बेटा चाहे जिस किसी का भी हो दबंगई नहीं बर्दाश्त की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमला बिलकुल अमान्य और अनुचित है । उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी इस घटना के दौरान या जेल से छूटने पर आकाश विजयवर्गीय का  स्वागत किया है उन्हें भाजपा से तत्काल बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
        यह घटना इंदौर की है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र एवं विधायक आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर में एक मकान तोड़े जाने की घटना को रोकने के लिए एक पालिका अधिकारी पर हमला कर दिया और क्रिकेट के बल्ले से उसकी जमकर धुनाई की। बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार नहीं चलने दिया जाएगा और इसे रोकने के लिए  आवेदन,  निवेदन और दनादन होगा। आकाश विजयवर्गीय की इस करतूत को टीवी कैमरे में कैद कर लिया गया था और उसे जम कर दिखाया गया। बात का बतंगड़ बन गया। आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि वह पहली बार जेल गए थे लेकिन जेल में सब कुछ  ठीक था जेल अच्छी थी और तजुर्बा भी अच्छा रहा। उन्होंने कहा कि वह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि दोबारा ऐसा ना हो। हम गांधीजी के बताए रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे।
        इस घटना पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के आचरण बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और जो लोग इसकी प्रशंसा कर रहे हैं उन्हें भी सजा दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कौन किसका लड़का है और आकाश किसका लड़का है। ऐसे लोगों को पार्टी से निकाला जाएगा। उन्होंने आकाश विजयवर्गीय की जेल से रिहाई पर स्वागत में फायरिंग घटना पर भी रोष जाहिर किया।
           भाजपा के महासचिव और आकाश विजयवर्गीय के पिता कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को इस घटना दुर्भाग्यजनक बताया और कहा की उनके पुत्र ने एक गरीब परिवार के समर्थन में यह कदम उठाया था ना कि एक बिल्डर के समर्थन में। उन्होंने कहा कि उनका पुत्र और पालिका अधिकारी दोनों ही नए खिलाड़ी थे । हालांकि, इस घटना को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया गया और प्रचारित किया गया।
         यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री ने इस तरह की अनुशासनहीनता की घटना पर नाराजगी जाहिर की हो। इसके पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर भी प्रधानमंत्री और अमित शाह भड़के थे। गिरिराज सिंह ने 2014 के चुनाव अभियान के दौरान झारखंड के गोड्डा में कह दिया था कि जो नरेंद्र मोदी के आलोचक हैं वे पाकिस्तान चले जाएं । इस पर नरेंद्र मोदी ने बहुत रोष जाहिर किया था।  पिछले महीने भी गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में इफ्तार पार्टी में शामिल होने को लेकर  कुछ अशोभनीय कहा था और उस पर भी मोदी जी ने नाराजगी जाहिर की थी। यही नहीं, 2015 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि मुसलमान है रह सकते हैं  इस देश में पर उन्हें गोमांस नहीं खाना होगा। यह कथन उत्तर प्रदेश में अखलाक की लिंचिंग के बाद का है। मोदी जी ने इस पर भी बहुत नाराजगी जाहिर की थी। साध्वी प्रज्ञा के एक बयान पर भी मोदी जी काफी आगबबूला हुए थे । इनके अलावा  अनंत हेगड़े, मेनका गांधी इत्यादि कई हैं जिनकी कथनी और करनी पर मोदी जी ने गुस्सा जाहिर किया था लेकिन किसी पर भी आज तक कोई करवाई नहीं हुई। मोदी जी के आलोचक खासकर कांग्रेस पार्टी इस गुस्से को दिखावा कह रही है।
        इसके बावजूद मोदी जी का यह कदम सराहनीय है। वरना भारत की संस्कृति उन्मुख राजनीति के परिप्रेक्ष्य में  सामाजिक विकास का आकलन करें तो  निष्कर्ष का प्राप्त होगा की ताकतवर लोगों द्वारा इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दिया जाना कोई बड़ी बात नहीं है। उल्टे इससे समाज में रुतबा बढ़ता है। ऐसी सोच के मध्य प्रधानमंत्री का नाराजगी जाहिर करना सकारात्मक संकेत है। ऐसे कदमों से निरंकुश राजनीति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

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