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Sunday, July 21, 2019

तेज विकास का अर्थ अच्छे रोजगार नहीं

तेज विकास का अर्थ अच्छे रोजगार नहीं

तेज आर्थिक विकास का का अर्थ अच्छी नौकरियां या अच्छे रोजगार नहीं है और साथ ही जो राज्य ज्यादा लैंगिक समानता पर जोर देते हैं उनकी स्थिति नए रोजगार के मामले में ज्यादा अच्छी है। आंध्र प्रदेश- तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भारत में ऐसे राज्य हैं जहां लैंगिक समानता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है और लगभग इन्हीं राज्यों में रोजगार के अवसर और उनकी गुणवत्ता ज्यादा अच्छी है अन्य राज्यों के मुकाबले। जबकि इस सूची में बिहार ,उत्तर प्रदेश तथा उड़ीसा का स्थान सबसे नीचे है। अच्छे रोजगार या उत्पादन नहीं बल्कि नौकरियां जिनमें अच्छा वेतन मिलता है वह स्थाई विकास के लिए जरूरी है। पिछले महीने जारी एक शोध पत्र में कहा गया है कि आर्थिक विकास के बावजूद नौकरियों के अवसर धीमे हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। देश के 71% मजदूर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।  देशभर में स्थाई  नौकरियों का अभाव है। लेबर फोर्स सर्वे 2019 के अनुसार 2017 -18 में ग्रामीण क्षेत्रों में 5.3% और शहरी क्षेत्रों में 7.8% बेरोजगारी रही है। गुजरात में स्थाई रूप से 10% विकास दर रही लेकिन यहां भी अच्छी नौकरियों का अभाव रहा है और शोध पत्र में तैयार की गई सूची में गुजरात का स्थान 18 था। जबकि , शीर्ष तीन स्थानों पर आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का नाम है। सूची में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना संयुक्त रूप से 57.3 अंक दिए गए हैं  महाराष्ट्र को 57.2 और छत्तीसगढ़ को 56.3 अंक दिए गए हैं जबकि उत्तर प्रदेश को 32 .04 बिहार को 37.28 एवं उड़ीसा को 37.70 अंक दिए गए हैं और इसका स्थान सर्व निम्न है। इस सूची को तैयार करते समय 2010 से 2018 के बीच की अवधि के आंकड़ों का औसत दिया गया है। यह आंकड़े विभिन्न सरकारी सूत्रों से हासिल किए गए हैं जैसे, नेशनल सैंपल सर्वे, श्रमिक ब्यूरो, उद्योगों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण एवं भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े इत्यादि । सूची में पूर्वोत्तर के 7 राज्यों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि इनके आंकड़े पूरी तरह उपलब्ध नहीं हैं।
           विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार  भारतीय कार्यबल में महिलाओं की उपस्थिति लगभग 24% है तथा इसका स्थान 131 देशों इस सूची में 124 है विश्व बैंक की 2018 से रिपोर्ट में बताया गया है यह जिन राज्यों में या देशों में लैंगिक समानता पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है उन क्षेत्रों की रोजगार में स्थिति बेहतर है लैंगिक समानता के मामले में गुजरात का स्थान सर्वोच्च है वहां यह अनुपात 72.9 है जबकि बिहार में यह सर्वनिम्न है ।रोजगार में लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए राज्यों को सार्वजनिक स्थानों का निर्माण करना होगा, आवास और कार्यस्थल को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना होगा ताकि महिलाएं गांव से आकर शहरों में काम कर सकें। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव दिलीप चिनॉय के अनुसार जब तक कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा नहीं रहेगी महिला शहरों में आकर काम नहीं कर सकती हैं। जिन राज्यों में काम पर रखे जाने वालों के साथ लिखित अनुबंध तैयार किया जाता है वैसे राज्य में गोवा का स्थान सर्वोच्च है। गोवा में काम पर रखे जाने वाले लोगों में से लगभग 87.59 प्रतिशत लोगों के साथ लिखित अनुबंध किया जाता है जबकि उत्तर प्रदेश में यह सबसे कम है। यहां सिर्फ 16.9 दो प्रतिशत लोगों के साथ ही  अनुबंध होता है। जिन राज्यों में काम पर रखे जाने वाले लोगों को नौकरी के बाद ज्यादा सुरक्षा  और लाभ प्राप्त होता है जैसे प्रोविडेंट फंड और पेंशन इत्यादि ऐसे राज्यों में जम्मू कश्मीर सबसे ऊपर के स्थान पर है। यहां काम पर रखे गए 55.4 7 लोगों को यह सुविधा प्राप्त है । जबकि गुजरात सबसे निचले स्थान पर है यहां काम करने वाले 12.57 प्रतिशत यह सुविधा हासिल है । जो आंकड़े सर्वे से प्राप्त किये गए हैं वह एक तरह से राज्य सरकारों को जिम्मेदार भी ठहराते हैं कि वह इसे सुधारने का प्रयास करें और देश के नौजवानों को ज्यादा कामकाज दे।  नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार शिक्षा में विकास के साथ-साथ अगर कौशल में भी विकास हो खास करके भविष्य के अनुरूप विकास हो तो देश में रोजगार बढ़ सकता है। और देश के नौजवान नौकरी मांगने वालों से नौकरी देने वालों में बदल सकते हैं।

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