सोना महंगा , तस्करों की चांदी
सोना किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और वहां के सामाजिक जीवन के बीच एक सेतु का काम करता है और यह आज से नहीं सदियों से कायम है । सोना महंगा होता है तो अर्थव्यवस्था मंद हो जाती है और सामाजिक जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। अगर यह महंगाई अधिक खरीदारी के कारण है तो कई सामाजिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संकट के भय होने लगते हैं, जैसे अर्थव्यवस्था में भयानक मंदी के संकेत या फिर युद्ध की आशंका। इन दिनों खबरें आ रही हैं कि भारत में सोने की तस्करी बहुत तेजी से बढ़ रही है। तस्करी इसलिए नहीं बढ़ रही है अचानक देश में खुशहाली आ गई है और सोने की मांग बढ़ गई है। बल्कि तस्करी इसलिए बढ़ रही है कि सोने पर टैक्स बढ़ गया है जिसके कारण देश के बाजारों में सोना महंगा हो गया है। जब जब सोना महंगा हुआ है विशेष टैक्स के कारण तब तब सोने की तस्करी बढ़ी है और किसी भी महानगर में सोने के बाजार तस्करों के लिए एक आम रास्ता बन गए हैं। डीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार देश के विभिन्न बाजारों में 2 जुलाई से 25 जुलाई के बीच लगभग 25 टन सोना जब्त हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है यह जब्ती तस्करी से लाए गए कुल सोने का 5 प्रतिशत भी नहीं है। गौर करें 22 - 23 दिनों में 25 टन सोना पकड़ा जाता है तो कितना सोना तस्करी से हमारे देश में आया होगा और सोने की इतनी बड़ी मांग के पीछे रहस्य क्या है? डी आर आई यानी राजस्व गुप्तचर निदेशालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में सोने की तस्करी बहुत तेजी से बढ़ रही है। आंकड़े बताते हैं की 2017 - 18 में 974 करोड़ रुपए का सोना जब्त किया गया था जबकि चालू वर्ष के 2 से 25 जुलाई के बीच लगभग 25 टन सोना ज़ब्त किया गया। यह सोना तस्करी से आ रहा था। इसके अलावा कस्टम्स ने भी इतना ही सोना ज़ब्त किया। यानी 2 से 5 जुलाई के बीच देश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का सोना केवल स्मगलिंग से आया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अधिकारियों के अनुमान के मुताबिक 2017 में लगभग 200 टन सोना भारत में तस्करी से आया लेकिन जैसे ही सोने पर टैक्स बढ़ा सोने के तस्करों के लिए यह पीली धातु दिलचस्पी का विषय बंद गई। सरकार ने बजट में सोने पर 2.5 प्रतिशत टैक्स अतिरिक्त लगा दिया है। उम्मीद थी कि इसमें कटौती होगी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और सोने पर कुल टैक्स 12.30 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा आभूषणों पर 3% जीएसटी भी लगता है। यही नहीं आभूषणों के व्यापारी इस पर 2% अलग से अतिरिक्त दाम लेते हैं । जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार और भारतीय बाजार में सोने की कीमतों में लगभग 15.5% का फर्क आता है । बेशकीमती धातु पर 15% से ज्यादा अंतर तस्करी के लिए सबसे ज्यादा रुचिकर है और इसके कारण तस्करी को बढ़ावा मिलता है। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में स्वर्ण नीति बनाने की घोषणा की थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और सोने के कारोबार पर इसका असर ही पड़ा।
सामाजिक कारणों के फलस्वरूप भारत सोने का बहुत बड़ा खरीददार रहा है। सोने के आयात के मामले में दुनिया में इसका दूसरा स्थान है। पिछले वर्ष भारत में 760.4 टन सोने का आयात किया गया था। इसके पहले वाले साल यानी 2017 में 771.2 टन सोने का आयात हुआ था। जिसका 598 टन सोने का उपयोग केवल गहने बनाने में हुआ। टैक्स बढ़ जाने के कारण आयात में गिरावट आई लेकिन तस्करी बढ़ गई। यही कारण है इस देश में जहां- जहां सोने के बाजार हैं वह तस्करी के हब में बदलते जा रहे हैं। इन दिनों सोना सभी संभावित मार्गों से आ रहा है। इतिहास देखें तो पता चलेगा कि भारत में एक वक्त सोने की तस्करी बढ़ी थी और उससे अंडरवर्ल्ड नाम की एक नई आपराधिक प्रजाति की उत्पत्ति हुई। उस समय सोना खाड़ी के देशों से धावो से आता था। तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने सोने की खपत को कम करने के लिए गोल्ड कंट्रोल एक्ट बनाया नतीजा ये हुआ सोने की तस्करी और बढ़ गई। उस समय लंदन के बाजार और भारत के बाजार में सोने की कीमतों में 40% का अंतर था। तस्करी को रोकना संभव नहीं रहा। नतीजतन 1990 में तत्कालीन वित्त मंत्री मधु दंडावते ने गोल्ड कंट्रोल एक्ट रद्द कर दिया। इसके साथ ही सोने की तस्करी थम गई। आज वैसे हालात नहीं हैं, लेकिन सोने की कीमत में भारी अंतर आने से तस्करी बढ़ती जा रही है। सोना केवल खाड़ी के देशों या दुबई से नहीं बल्कि थाईलैंड, बांग्लादेश ,नेपाल, श्री लंका और म्यांमार से भी आ रहा है। इससे एक नई अपराधिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। आतंकी और आपराधिक संगठन अब हथियारों और ड्रग्स स्मगलिंग छोड़कर सोने की स्मगलिंग में लग गए हैं। 10 ग्राम सोने में 5 हजार रुपयों का अंतर किसी भी अपराधी के लिए काफी लाभदायक कहा जा सकता है।
सोने की तस्करी सरकार नहीं रोक सकती है । इस देश की 7516 किलोमीटर सीमा समुद्र से मिलती है जिसे सील कर पाना असंभव है । सोने की भारी तस्करी के कारण बढ़ती कीमत से आभूषण उद्योग बेहाल है। बाजार में मंदी आ गई है । ग्राहक बाजार में प्रवेश करने से डर रहे हैं। यही नहीं सोने की तस्करी से ईमानदार कारोबारियों के लिए कठिनाइयां आ रही हैं और आभूषणों की बिक्री घट गई है। सोने पर इतना ज्यादा टैक्स किसी के हित में नहीं है। सरकार टैक्स की उगाही ठीक से नहीं कर पाएगी और तस्करी बढ़ेगी। तस्करी के कारण आपराधिक सिंडिकेट बढ़ते जाएंगे और बिक्री गिरती जाएगी। हजारों कारीगरों के सामने बेरोजगारी का खतरा आ जाएगा और आभूषण के निर्यात पर भी आघात लगेगा। सोने को गला कर किसी भी शक्ल में ढाल देने में माहिर सोने के ये कारीगर अगर अपराधियों के साथ जुड़ गए तो क्या असर होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है । यानी सामने एक और विपदा दिखाई पड़ रही है अगर यह चलता रहा तो भविष्य में एक और नई आपराधिक गतिविधि स्वरूप लेती नजर आएगी।
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