जल जमीन और हरियाली के लिए बिहार में एक लंबी मानव श्रृंखला का सृजन किया गया।अगर इसे आंकड़ों के हिसाब से देखें तो यह गिनीज बुक में दर्ज की जा सकती है। रविवार का दिन होने के बावजूद बिहार के सारे सरकारी कार्यालय खुले हुए थे।
जल जमीन और हरियादी के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस श्रृंखला को स्वरूप दिया था। सरकार का कहना है कि इस मानव श्रृंखला का 4.3 करोड़ लोगों का ध्यान गया और इसकी लंबाई 16443 किलोमीटर थी। यह एक तरह से एक मिशन पर लोगों का ध्यान केंद्रित कराने के लिए एक ऑडियो विजुअल प्रयोग था। महात्मा गांधी के सत्याग्रह और आडवाणी जी की रथ यात्रा के बाद यह एक ऐसा प्रयोग था जिससे समूचे देश ने बहुत दिलचस्पी के साथ देखा और उससे संभवत प्रभावित भी हुए। इस मेगा मिशन की देखरेख के लिए सरकार ने सुबह 11:30 बजे से आधे घंटे के लिए 12 हेलीकॉप्टर तैनात किए थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्री पटना में गांधी मैदान में इस श्रृंखला के हिस्सा थे। अनुमानतः केवल पटना में इस श्रृंखला की लंबाई 708 किलोमीटर थी। यद्यपि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम के आयोजन में इतने व्यस्त थे कि पिछले 2 महीने से वे पूरे हफ्ते भर तक पटना में नहीं रहे। उन्होंने कहा 19 जनवरी के बाद विवादास्पद एनआरसी इत्यादि पर बोलेंगे। विगत 4 वर्षों में बिहार में यह अपनी तरह का तीसरा आयोजन है। 2017 में राज्य में शराबबंदी के लिए मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया था। 2018 में बाल विवाह और दहेज के लिए लोगों ने आपस में हाथ मिलाए थे और यह तीसरा वाकया है । पहले दो आयोजन सामाजिक उद्देश्य के लिए थे और इसमें विपक्ष ने भी हिस्सा लिया था । 2017 में नीतीश का जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन था। तब विपक्ष में होने के बावजूद भाजपा ने इसका समर्थन किया था । उसमें भाजपा नेताओं ने राज्य इकाई के कार्यालय में खड़े होकर इसका समर्थन किया था।
लेकिन इस बार यह प्रयास राजनीतिक ध्रुवीकरण का एक औजार बन गया। विपक्षी दल ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। भाजपा के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने स्पष्ट कहा कि पर्यावरण दुनियाभर में चिंता का विषय है यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। एक महत्वपूर्ण मसले में उसकी चिंता शून्य दिखाई पड़ी। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सरकार ने जनजीवन हरियाली मिशन के तहत ₹24500 करोड़ की योजनाएं शुरू की है। लेकिन विपक्ष इसके प्रति मुतमइन नहीं है। उधर, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के अनुसार यह मानव श्रृंखला बिहार में नीतीश कुमार ने खुद को युगपुरुष के रूप में पेश करने के लिए धोखाधड़ी की है। राज्य भर में सड़कों और अन्य सरकारी परियोजनाओं के लिए पेड़ काटे जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत घोषित परियोजनाओं का उद्देश्य जदयू समर्थकों को ठेका देकर लाभान्वित करना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया की पिछली मानव श्रृंखला की घटनाएं भी विफल रहीं क्योंकि मद्य निषेध एक मजाक बन गया है । दहेज हत्या और बाल विवाह बिहार में सबसे ज्यादा है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मानव श्रृंखला योजना के बारे में और उसे गढ़ने के बारे में नीतीश कुमार आलोचना करते हुए कहा बिहार के बच्चों के शरीर पर कपड़ा नहीं है ,पैरों में चप्पल नहीं है, हाथ में कलम नहीं है, पेट में रोटी नहीं है नौजवानों की नौकरी नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री जी अपने चेहरे को चमकाने के लिए करोड़ों खर्च कर दिए ।मुख्य मंत्री का यह नाटक मानवीय मूल्यों के खिलाफ है। अगर कोई उनसे सवाल करता है तो सरकार उसे विज्ञापन देना बंद कर देती है ।उधर, जदयू के नेता विपक्ष के इस रूख से हैरान है। राज्यमंत्री नीरज कुमार ने कहा कि राजद संपत्ति ,भ्रष्टाचार और बलात्कार के आरोपी राजबल्लभ जादव तथा मोहम्मद शहाबुद्दीन के पक्ष में मानव श्रृंखला चाहती थी। पर्यावरण विश्वव्यापी मसला है हम विपक्ष की बुद्धि और प्रयासों के राजनीतिकरण के बारे में कुछ समझ नहीं पा रहे हैं । जदयू नेताओं का कहना है कि मानव श्रृंखला एक रैली क के राजनीतिक प्रभाव को लेकर स्पष्ट नहीं है। लेकिन इससे नीतीश कुमार को एक नेता का स्वरूप प्राप्त हुआ है।
इस तरह की मानव श्रृंखला और रैलियां एक प्रकार से परिवर्तन की वाहक हैं। यह संस्थाओं कर्मचारियों और अन्य संगठनों पर नीतियों में बदलाव के माध्यम से प्रभाव डालते हैं अब इन रैलियों का बदलाव में कितना प्रभाव रहा यह मापना बड़ा जटिल कार्य है। क्योंकि इसमें विरोधी कार्यकर्ताओं की भूमिकाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं। फिर भी, प्रभाव पड़ता है और इससे सामाजिक चेतना को जागृत होते देखा गया है।
Monday, January 20, 2020
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