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Monday, January 27, 2020

सी ए ए उपद्रव के पीछे सीआईए का हाथ

सी ए ए उपद्रव के पीछे सीआईए का हाथ

कोलकाता: भारत को विश्व नेता के रूप में उभरते देखकर सीआईए ने इसे सबक सिखाने की ठानी और बड़ी चालाकी से उसने देश भर में सी ए ए  और उससे जुड़े  अन्य मामलों में  अपने  लोगों को भड़का कर अशांति फैला दी। हालांकि, इसका ठीकरा कई संगठनों के सिर पर  फूटा लेकिन  इन सारे उपद्रव के पीछे सीआईए  की भूमिका है। रॉ के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि भारत को असंगठित कर उसे संकट में डालने के लिए सीआईए ने यह सब किया है। भारत के बड़े शिक्षा संस्थानों में एक विशिष्ट विचारधारा के छात्र संगठन के मशहूर नेताओं को भारी रकम देकर पालने और  उनके माध्यम से  देश के नेताओं  की स्थिति  की पूरी रिपोर्ट हासिल करने में जुटी इस संस्था ने  बड़ी सफाई से भारत में उपद्रव करवा दिया। पहले छात्रों को भड़काया, छात्रों ने आंदोलन किए और उसके माध्यम से समाज के एक वर्ग को भड़का दिया। भारतीय विदेशी खुफिया विभाग रॉ की काउंटर इंटेलिजेंस विंग के बड़े अफसरों और कूटनीतिक हलकों के अनुसार देश की सभी बड़ी यूनिवर्सिटीज में सीआईए के गुर्गे  बैठे  हैं और जानबूझकर वहां से बाहर नहीं जाते हैं। क्योंकि उन्हें हर महीने मोटी रकम दी जाती है और इतना ही नहीं विदेश यात्राओं पर भी ले जाया जाता है। इनमें से कई छात्र नेताओं को सीआईएए से अपने संबंधों के बारे में जानकारी तक नहीं है। उनके तार किसी अन्य माध्यम से उनसे जुड़े हुए हैं। रॉ के अनुसार पिछले हफ़्तों में  जो फसाद  हुए उसमें सीआईए के एजेंटों की बहुत बड़ी भूमिका थी।
     कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक इस उपद्रव के लिए  लोगों के एक वर्ग को भड़काने  और उन्हें  हिंसा पर आमादा करने   के काम में  सीआईए ने बहुत बड़ी रकम खर्च की है। रॉ के काउंटर इंटेलिजेंस विंग के एक वरिष्ठ अनलिस्ट के मुताबिक   देश के  बड़े विश्वविद्यालयों में जो उपद्रव हुए उन का स्वरूप एक ही था और विरोध का रंग भी एक ही था। यही नहीं, अन्य स्थानों पर जो विरोध हुए उन विरोधियों में कश्मीर के पत्थरबाजों की गतिविधियों में भी समानता थी ऐसा लग रहा था कि उन्हें इसके पहले कहीं से कोई प्रशिक्षण मिला था। जैसे ही सरकार को यह खबर मिली उसने उपद्रवियों पर बल प्रयोग को रोक दिया और मामला धीरे-धीरे सीमित होता गया। लेकिन यह मसला अभी और भड़कने वाला है। भारतीय खुफिया सूत्रों के अनुसार 8 फरवरी के बाद इसकी  सुनगुन फिर शुरू होगी  और  यदि सरकार  बल प्रयोग करती है तो यह उपद्रव और बढ़ेंगे। लगभग 1500 हथियारबंद आतंकी बांग्लादेश सीमावर्ती क्षेत्रों में टुकड़े टुकड़े में फैले हुए हैं भारत में उपद्रव होते ही  वह प्रवेश कर जाएंगे। सबसे खतरनाक तथ्य तो यह है की इन सारी करतूतों में कुछ विशेष राजनीतिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन इसका दोष पूर्ववर्ती सिमी और उससे जुड़े संगठनों पर मढ़ा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक नेपाल और बांग्लादेश से हथियारों की कई बड़ी खेप भारत के विभिन्न शहरों में पहुंच चुकी है और इसका समय आने पर उपयोग किया जाएगा। यद्यपि हथियारों के भंडार पर खुफिया सूत्रों की नजर अभी तक नहीं है लेकिन लगभग उन क्षेत्रों को घेर लिया गया है जहां यह भड़क सकते हैं। हथियारों के भंडार की पड़ताल इसलिए नहीं हो पा रही है कि इसे टुकड़े-टुकड़े में कई जगहों पर पहुंचाया गया है इसमें कुछ भूमिका नक्सलियों की भी है। अभी 1 महीने पहले कोलकाता में एक वाणिज्य दूतावास में नक्सलियों के बड़े नेताओं और महावाणिज्य दूत के साथ लंबी बैठक भी हुई थी। उस बैठक में क्या चर्चा हुई यह तो पता नहीं चल पाया लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि नक्सलियों को धन तथा हथियार मुहैया कराने की तैयारी है। जहां तक  पता चला है नक्सली कथित रूप से देश को मध्य भाग से दक्षिण भाग तक एक कॉरीडोर के रूप में विभाजित करना चाहते हैं और अगर गौर करें तो दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक उपद्रव का सबसे ज्यादा प्रभाव है। सरकार को यह खबर प्राप्त हो चुकी है तथा उन्हें कुचलने की तैयारी चल रही है। देश के विश्वविद्यालयों में खासकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इनकी मौजूदगी का स्पष्ट असर दिखाई पड़ रहा है। सरकार इसे शांतिपूर्वक मुकाबले के लिए तैयार है लेकिन कभी भी कुछ हो सकता है।


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