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Thursday, May 25, 2017

राष्ट्रवाद या अंधराष्ट्रवाद

राष्ट्रवाद या अंधराष्ट्रवाद
इन दिनों जो सबसे ज्यादा संकट में है तो हमारा राष्ट्र है। हर छोटी बड़ी बात पर राष्ट्र का अपमान ह्यो जाता है, राष्ट्र खतरे में पड़ जाता है या एक लोक समूह राष्ट्रविरोधी हो जाता है। इसमें ऐसे भी लोग शामिल हैं जिन्हें यकीनन राष्ट्र का अर्थ मालूम नहीं। वे नहीं जानते कि राष्ट्र कहते किसे हैं या राष्ट्र की अवधारणा क्या है। कुछ लोग तो राष्ट्रवाद , अति सतर्क राष्ट्रवाद और अंधराष्ट्रवाद की सीमाओं को मिटा कर ज़रूरत के अनुसार उनका घालमेल करते रहते हैं। कुछ अपने सियासी एजेंडे के तहत ऐसा करते हैं हालांकि उन्हें यह मालूम है कि ये मिलावट गलत है और कुछ लोग तो इसलिए करते हैं कि वे जानते ही नहीं कि इससे अच्छा क्या है यानी एक समूह खिलाड़ी है और इतर अनाड़ी है तथा इस खिलाड़ी- अनाड़ी के दो पाटों में पीस रहा है राष्ट्र।1947 में बेड़ियों से जकड़ा राष्ट्र 2017 आते आते खिलाड़ियों अनाड़ियों के बीच फंस गया। अभी हाल की ही घटनाओं को लें , बिचारि लेखिका अरुंधति राय ने कुछ कहा ही नही और कुछ लोगों ने उसे निशाने पर ले लिया। पिछले ही हफ्ते की बात है पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत के पक्ष में निर्णय होने पर भारत को बधाई दी बस फिर क्या था कि भारत और पाक से आलोचनाओं के ट्वीट मिलने लगे। अधिकांश लोग उसके नाम और उसकी धार्मिक पहचान को लेकर पिल पड़े थे। उनका कहना था कि " मोहम्मद" नाम वाला कैसे पाकिस्तान के मुकाबले भारत को बधाई दे सकता है। कैफ ने जवाब भी दिया था कि भारत कुल मिला कर एक सहिष्णु और सर्वधर्म समभाव वाला देश है। कैफ के उत्तर में राष्ट्रवाद का सही अर्थ छुपा था। राष्ट्रवाद अतिसचेतनभाव, अतिराष्ट्रवाद या चरम राष्ट्रवाद( अल्ट्रा नेशनलिज्म)  नहीं है। जैसा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एंकर या एक दाल विशेसवः के भगत करते देखे जाते हैं। इसासे बहुत भारी विभ्रम पैदा होता है।साधारण भाषा में कहें तो राष्ट्रवाद उत्तम है आकर अंध राष्ट्रवाद गलत है। अब यहां पूछा जा सकता है कि यह अंध राष्ट्रवाद, अति राष्ट्रवाद या चरम राष्ट्र वाद क्या है और इसमें अंतर क्या है? साधारण तौर पर अगर कहें तो अंधराष्ट्रवाद राष्ट्र को सर्वोच्च मानना नहीं है बल्कि सब को उसके बाद समाझना है। जबकि राष्ट्रवाद एकता और अखंडता को स्वीकर करते हुए राष्ट्रीय हितों के लिए सचेत रहना है। राष्ट्रवाद देशभक्ति नहीं है यह उससे भी बड़ी बात है। अति सतर्कतावाद राष्ट्रवाद नहीं है। यह खतरे के निशान से आगे है और जो इसे लांघते हैं वे अपना ही अहित करते हैं। ये अनुदार लोग  वामपंथी बुद्धिजीविओं को भी पीछे छोड़ देते हैं । इनका दावा के की 2014 के बाद साम्प्रदायिक घटनाओं में कमी आई है।
अभी हाल में कश्मीर में सेना ने एक कश्मीरी युवक को जीप पर बांध कर घुमाया और इसके लिए जिम्मेदार मेजर गोगोई को को सम्मानित किया गया। साधारण तौर पर कहें तो युद्ध अपराध पर राष्ट्रवाद की कलई कर दी गई । हिंसक भीड़ से निपटने का सेना का अपना तरीका होता है। गोली चलाने भी पहला विकल्प नही है। मेजर गोगोई ने जो कुछ किया उसपर बहस नहीं है लेकिन उन्हें सेना के नियम मानना चाहिए था। हम या देश के कुछ लोग जो कह रहे हैं यह पाकिस्तानी किस्म का राष्ट्रवाद है जिसे अंधराष्ट्रवाद कह सकते हैं इसे हाइपर राष्ट्रवाद या अल्ट्रा राष्ट्रवाद कह सकते हैं। पाकिस्तान आतंकवादी राष्ट्र है जो अंधराष्ट्रवाद के शिकंजे में है। पाकिस्तानियों ने आतंकवाद के माध्यम से हमें तबाह करने की कोशिश में लगा है और हम राष्ट्र को लेकर अपनी करतूतों से उसे यह सोचने एवं प्रचारित करने का अवसर दे रहे हैं कि पाकिस्तानी अंध राष्ट्रवाद ही राष्ट्रवाद है और भारतीय राष्ट्रवाद अंध राष्ट्रवाद है। यह एक विकृत तथ्य है जिसे हर मंच से चुनौती दी जानी चाहिए। अगर हम राष्ट्रवाद और अंधराष्ट्रवाद को रेखा खींच कर विभाजित कर देते हैं  तो उदारवाद, सहिष्णुता और राष्ट्रहित रक्षा को बल मिलेगा। पाकिस्तानी राष्ट्रवाद अनुदार, असहिष्णु और विस्तारवादी है। यह समय है जब हम राष्ट्रवाद और अन्धराष्ट्र वाद के बीच अंतर बता कर अवांतर सत्य के इस दौर में राष्ट्रहित को प्रोत्साहित करें।

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